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gajendrasharma3292
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G. K. Sharma

मैं न बनवा के कहीं, ताजमहल जाऊँगा बस यहाँ छोड़ के कुछ गीत-ग़ज़ल जाऊँगा ज़ीस्त में बर्फ़ के टुकड़े सा पड़ा हूँ मैं तो उम्र की धूप चढ़ेगी, तो पिघल जाऊँगा

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G. K. Sharma

White नादाँ हैं वो लोग जिन्हे,                        अपनी माँ पर अभिमान नहीं है
माँ की गोद से अधिक सुरक्षित,                       दुनिया में स्थान नहीं है

©G. K. Sharma #mothers_day
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G. K. Sharma

मतलब के लिए मीठा बनना नहीं आता है
 तुझ-सा ये हुनर मुझको दुनिया नहीं आता है
  आज़ाद-सा इक दरिया मैं ख़ुद को समझता हूँ
 मुझको किसी सागर में मिलना नहीं आता है

©G. K. Sharma
  # मन के दो मौसम

# मन के दो मौसम #शायरी

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G. K. Sharma

# जुदाई

# जुदाई #शायरी

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G. K. Sharma

# मन के दो मौसम

# मन के दो मौसम #शायरी

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G. K. Sharma

ख़त का मज़मून तो अधूरा था 
अश्कों से तर मगर वो पूरा था 

आँसुओं का लिखा मैं पढ़ लूँगा 
उसको मुझ पर यक़ीन पूरा था

©G. K. Sharma
  #मन के दो मौसम

#मन के दो मौसम #शायरी

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G. K. Sharma

इस जमाने ने तोड़ डाला है 
हमने जब-जब भी दिल उछाला है

 हाथ में जो हमारे प्याला है
 सिर्फ़ इसने हमें सँभाला है 
 
काम लो तुम दिमाग़ से यारों 
दिल तो नादाँ है भोला-भाला है 

तुम सा कोई नहीं मिला हमको
 हमने सारा जहाँ खँगाला है 

आज बस इश्क़ ही किया हमने
 काम बाक़ी का कल पे टाला है

©G. K. Sharma
  # मन के दो मौसम

# मन के दो मौसम #शायरी

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G. K. Sharma

 बेशक चाँद नहीं निकला और रात अभी अँधियारी है 
बेशक राहू का साया फिर आज सूरज पर भारी है

 लेकिन मन के अँधियारों से हार नहीं मानो यारों 
संकल्पों के दीप जलाओ अगली सुबह तुम्हारी है

©G. K. Sharma
  # मन के दो मौसम

# मन के दो मौसम #शायरी

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G. K. Sharma

साँझ की आँखों में पानी भर रहा हूँ 
याद फिर मैं आज माँ को कर रहा हूँ 

मोम सा हूँ मैं हक़ीक़त तो यही है 
बनके लेकिन मैं यहाँ पत्थर रहा हूँ 

इक मकाँ तकसीम होकर कह रहा है
 माँ यहाँ थी जब तलक मैं घर रहा हूँ 

वो तेरा महफ़ूज़ आँचल अब नहीं है 
सोच कर मैं दिल ही दिल में डर रहा हूँ 

लोरियाँ फिर गा मुझे बाँहों में भर के
 देख मैं पलकें उनींदी कर रहा हूँ

©G. K. Sharma
  #MothersDay
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G. K. Sharma

इनकी तामीर क्या ज़रूरी है 
मुफ़लिसों के ये ख़्वाब हैं यारों 

एक हो तो ख़ुदा करे पूरी
 हसरतें बेहिसाब हैं यारों

©G. K. Sharma
  #मन के दो मौसम

#मन के दो मौसम #शायरी

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G. K. Sharma

खो न पाये किसी के ख़्वाबों में 
हम तो उलझे रहे हिसाबों में 

बोल दो प्यार के नहीं बोले 
उम्र को खो दिया किताबों में

©G. K. Sharma
  #मन के दो मौसम

#मन के दो मौसम #शायरी

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