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dharampal1190
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Pooja

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Pooja

White यहाँ एक लघु कथा है:

### सच्चा मित्र

एक गाँव में रामू और श्यामू नाम के दो दोस्त रहते थे। दोनों हमेशा साथ रहते थे और एक-दूसरे की मदद करते थे। एक दिन, वे जंगल की सैर पर निकले। चलते-चलते अचानक उनके सामने एक भालू आ गया। भालू को देखकर रामू डर गया और तुरंत एक पेड़ पर चढ़ गया। 

श्यामू को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था, इसलिए उसने जमीन पर लेटकर अपनी सांस रोक ली, जैसे कि वह मरा हुआ हो। भालू श्यामू के पास आया, उसे सूँघा और उसे मरा समझकर वहाँ से चला गया।

रामू नीचे आया और श्यामू से हंसकर पूछा, "भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था?"

श्यामू ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, "भालू ने कहा कि सच्चे दोस्त वही होते हैं जो मुसीबत में काम आएँ।"

रामू को अपनी गलती का अहसास हुआ, और उसने श्यामू से माफी मांगी। उस दिन से वे और भी अच्छे दोस्त बन गए।

### कहानी की सीख

सच्चा मित्र वही है जो मुसीबत में साथ दे।

©Pooja
  #Moral story

Moral story

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Pooja

White **कहानी: नया दोस्त**

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़का था जिसका नाम राहुल था। राहुल बहुत शर्मीला था और उसके कोई दोस्त नहीं थे। एक दिन, वह गाँव के पास वाले जंगल में घूमने गया। अचानक, उसने एक घायल पिल्ले को देखा। पिल्ला बहुत कमजोर था और दर्द में था।

राहुल ने पिल्ले को अपनी गोद में उठाया और घर ले आया। उसने उसकी देखभाल की, उसे दूध पिलाया और उसकी चोट पर मरहम लगाया। धीरे-धीरे पिल्ला ठीक हो गया और दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। राहुल ने उसका नाम मोती रखा।

मोती अब हमेशा राहुल के साथ रहता। जब भी राहुल उदास होता, मोती उसे खुश करने की कोशिश करता। गाँव के अन्य बच्चों ने भी राहुल की तरह मोती से दोस्ती करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे, राहुल का आत्मविश्वास बढ़ने लगा, और उसने कई नए दोस्त बना लिए।

मोती ने राहुल को सिखाया कि सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत में साथ दे। राहुल ने अपनी ज़िंदगी में नया दोस्त पाकर बहुत खुशी महसूस की। 

इस तरह, एक छोटे से पिल्ले ने राहुल की दुनिया बदल दी और उसे सच्ची दोस्ती का महत्व सिखाया।

**समाप्त।**

©Pooja
  #Moral story
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Pooja

White **अच्छाई का फल**

एक छोटे से गाँव में रामू नाम का एक किसान रहता था। रामू बहुत मेहनती और ईमानदार था। वह हर दिन अपने खेत में कड़ी मेहनत करता और अपनी फसल को अच्छे से उगाता था। 

एक दिन, जब रामू अपने खेत में काम कर रहा था, उसने देखा कि एक छोटा सा पिल्ला खेत के कोने में बैठा हुआ है। पिल्ला बहुत ही भूखा और कमजोर दिख रहा था। रामू का दिल पिघल गया और उसने उस पिल्ले को अपने घर ले जाने का फैसला किया।

रामू ने पिल्ले को अच्छी तरह से खिलाया-पिलाया और उसकी देखभाल की। पिल्ला धीरे-धीरे स्वस्थ हो गया और रामू के साथ खेत में खेलने लगा। रामू ने पिल्ले का नाम 'मोती' रखा।

कुछ महीनों बाद, एक रात रामू गहरी नींद में सो रहा था। अचानक, मोती जोर-जोर से भौंकने लगा। रामू की नींद टूट गई और उसने देखा कि कुछ चोर उसके घर में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। रामू ने तुरंत गाँव वालों को बुलाया और सभी ने मिलकर चोरों को पकड़ लिया।

गाँव वालों ने रामू की तारीफ की और कहा कि मोती ने उनकी मदद की थी। रामू ने मुस्कराते हुए कहा, "अच्छाई का फल हमेशा मीठा होता है। मैंने मोती की मदद की थी, और आज उसने मेरी मदद की।"

इस घटना के बाद, मोती रामू का सबसे अच्छा दोस्त बन गया और रामू ने उसे अपने परिवार का हिस्सा बना लिया। दोनों ने मिलकर बहुत खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत किया।

©Pooja
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Pooja

White **अनोखी दोस्ती**

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम राहुल था। राहुल को जानवरों से बहुत प्यार था। उसके पास एक प्यारा कुत्ता था, जिसका नाम शेरू था। राहुल और शेरू पूरे दिन साथ खेलते थे और एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे।

एक दिन, गाँव में मेला लगा। राहुल ने अपने माता-पिता से मेले में जाने की इजाजत मांगी। माता-पिता ने कहा, "तुम जा सकते हो, लेकिन शेरू को भी साथ ले जाना।" राहुल खुशी-खुशी शेरू को साथ लेकर मेला गया।

मेले में बहुत सारी चीजें थीं - झूले, मिठाई, खिलौने, और बहुत सारे लोग। राहुल और शेरू ने खूब मजा किया। लेकिन अचानक, शेरू भीड़ में कहीं खो गया। राहुल घबरा गया और शेरू को ढूंढने लगा।

राहुल ने मेला का चक्कर लगाया, लेकिन शेरू कहीं नहीं मिला। आखिरकार, राहुल ने हार मान ली और एक पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगा। तभी, एक बूढ़ी औरत वहां से गुजरी और राहुल से पूछा, "बेटा, क्या हुआ?"

राहुल ने अपनी पूरी कहानी सुनाई। बूढ़ी औरत ने मुस्कुराते हुए कहा, "डरो मत, मैं तुम्हारी मदद करूंगी।" उन्होंने अपने साथ लाए हुए एक छोटे से बक्से को खोला और उसमें से एक जादुई सीटी निकाली। उन्होंने कहा, "इस सीटी को बजाओ, तुम्हारा दोस्त वापस आ जाएगा।"

राहुल ने सीटी बजाई, और कुछ ही पलों में शेरू दौड़ता हुआ राहुल के पास आ गया। राहुल ने खुशी से शेरू को गले लगा लिया और बूढ़ी औरत का धन्यवाद किया। बूढ़ी औरत ने कहा, "याद रखना, सच्ची दोस्ती में जादू होता है।"

राहुल और शेरू खुशी-खुशी घर वापस आ गए। उस दिन के बाद, राहुल ने सीखा कि सच्ची दोस्ती कभी भी टूट नहीं सकती, चाहे कुछ भी हो जाए।

©Pooja
  #Moral story
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Pooja

White एक गाँव में एक छोटा बच्चा, रामू, रहता था। रामू बहुत ही जिज्ञासु और मेहनती था। उसकी माँ उसे रोज़ सुबह खेतों में काम करने के लिए भेजती थी। एक दिन, खेत में काम करते हुए, रामू को एक पुराना घड़ा मिला। घड़ा बहुत ही सुंदर और अनोखा था।

रामू ने उस घड़े को घर ले जाकर माँ को दिखाया। माँ ने घड़े को देखा और कहा, "यह घड़ा बहुत पुराना लगता है। शायद इसमें कोई रहस्य छिपा हो।"

रामू ने घड़े को साफ किया और उसमें पानी भरा। जैसे ही उसने घड़े में पानी डाला, घड़ा चमकने लगा और उसमें से एक जिन्न निकला। जिन्न ने कहा, "धन्यवाद, रामू! तुमने मुझे इस घड़े से मुक्त किया। अब मैं तुम्हारी तीन इच्छाएँ पूरी करूँगा।"

रामू बहुत खुश हुआ। उसने सोचा और कहा, "पहली इच्छा है कि हमारे गाँव में कभी भी खाने की कमी न हो।"

जिन्न ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और गाँव में भरपूर अन्न पैदा होने लगा। रामू ने दूसरी इच्छा मांगी, "मैं चाहता हूँ कि मेरे माता-पिता हमेशा स्वस्थ और खुश रहें।"

जिन्न ने फिर से अपनी जादुई छड़ी घुमाई और रामू के माता-पिता तुरंत स्वस्थ और खुश हो गए। तीसरी इच्छा के लिए रामू ने सोचा और कहा, "मैं चाहता हूँ कि पूरे गाँव के बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें।"

जिन्न ने मुस्कुराते हुए अपनी जादुई छड़ी घुमाई और गाँव में एक सुंदर स्कूल बन गया। 

रामू और उसके गाँव के लोग जिन्न के धन्यवाद से बहुत खुश हुए और उन्होंने जिन्न को धन्यवाद दिया। जिन्न ने रामू को आशीर्वाद दिया और कहा, "तुम्हारे अच्छे दिल और मेहनत के कारण तुम्हारा जीवन हमेशा खुशहाल रहेगा।"

रामू ने सीखा कि सच्ची मेहनत और अच्छे विचार हमेशा अच्छे परिणाम लाते हैं।

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Pooja

White ### एक सच्ची दोस्ती

एक छोटे से गाँव में अर्जुन और विक्रम नाम के दो लड़के रहते थे। दोनों बचपन के दोस्त थे और हमेशा साथ खेलते थे। उनका दोस्ती का रिश्ता बहुत गहरा था, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति में बहुत अंतर था। अर्जुन के पिता गाँव के सबसे अमीर व्यापारी थे, जबकि विक्रम के पिता एक गरीब किसान थे।

एक दिन, गाँव में एक मेला लगा। अर्जुन ने विक्रम से कहा, "विक्रम, चलो मेला देखने चलते हैं। वहाँ बहुत मज़ा आएगा।"

विक्रम ने उत्तर दिया, "अर्जुन, मेरे पास पैसे नहीं हैं। मैं कैसे जाऊँ?"

अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हें पैसे की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। मैं तुम्हारे लिए सब कुछ ले लूंगा। चलो, देर मत करो।"

दोनों दोस्त मेले में पहुंचे और वहाँ की हर चीज का आनंद लिया। अर्जुन ने विक्रम के लिए खाने-पीने की चीजें खरीदीं और कुछ खिलौने भी। विक्रम ने मन ही मन सोचा, "अर्जुन कितना अच्छा दोस्त है।"

वापस लौटते समय, अर्जुन ने विक्रम से कहा, "विक्रम, मुझे लगता है कि हमारी दोस्ती सच्ची और अमूल्य है। हमें हमेशा एक-दूसरे का साथ देना चाहिए।"

विक्रम ने सहमति में सिर हिलाया और कहा, "हाँ अर्जुन, सच्ची दोस्ती धन-दौलत से नहीं मापी जाती। तुमने आज यह साबित कर दिया।"

समय बीतता गया और दोनों दोस्त बड़े हो गए। अर्जुन अपने पिता के व्यापार में हाथ बँटाने लगा और विक्रम अपने पिता के खेत में काम करने लगा। लेकिन उनकी दोस्ती में कभी कोई कमी नहीं आई। 

एक दिन गाँव में बाढ़ आ गई और विक्रम का घर और खेत पानी में बह गए। अर्जुन ने बिना किसी देरी के अपने पिता से बात की और विक्रम के परिवार को अपने घर में रहने के लिए बुला लिया। अर्जुन के पिता ने भी दिल खोलकर उनका स्वागत किया।

विक्रम ने अर्जुन से कहा, "तुम्हारा एहसान मैं कभी नहीं भूलूंगा, अर्जुन। तुमने एक बार फिर साबित कर दिया कि सच्चे दोस्त कैसे होते हैं।"

अर्जुन ने हंसते हुए कहा, "यह कोई एहसान नहीं है, विक्रम। यह तो हमारा कर्तव्य है।"

इस तरह अर्जुन और विक्रम की दोस्ती ने साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती हर मुश्किल का सामना कर सकती है और हर हाल में एक-दूसरे का साथ देती है।

©Pooja
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Pooja

White **ईमानदारी की जीत**

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में राम नाम का एक ईमानदार किसान रहता था। राम का परिवार बहुत गरीब था, लेकिन राम ने कभी भी किसी की चीज़ चुराने या गलत तरीके से पैसे कमाने की कोशिश नहीं की। 

एक दिन, राम खेत में काम कर रहा था जब उसे एक चमचमाती सोने की अंगूठी मिली। राम ने सोचा कि यह अंगूठी किसी गाँववाले की हो सकती है। उसने गाँव में सभी से पूछा, लेकिन किसी ने दावा नहीं किया कि वह अंगूठी उनकी है।

राम ने तय किया कि वह उस अंगूठी को गाँव के सरपंच के पास ले जाएगा। सरपंच ने भी गाँव में घोषणा कराई, लेकिन कोई भी अंगूठी का मालिक नहीं मिला। सरपंच ने राम से कहा, "राम, तुम इस अंगूठी को अपने पास रख लो। यह तुम्हारी ईमानदारी का इनाम है।"

राम ने अंगूठी ले ली, लेकिन उसने सोचा कि उसे इस अंगूठी से किसी की मदद करनी चाहिए। उसने अंगूठी को बेच दिया और उससे मिले पैसे से गाँव के स्कूल की मरम्मत करवा दी और कुछ पैसे गरीब बच्चों की शिक्षा पर खर्च कर दिए।

कुछ महीनों बाद, गाँव में एक अमीर व्यापारी आया। उसने सरपंच से कहा, "मैंने यहाँ कुछ महीने पहले एक सोने की अंगूठी खो दी थी। क्या किसी को वह मिली है?" सरपंच ने राम को बुलाया और व्यापारी से मिलवाया।

राम ने व्यापारी को पूरी कहानी सुनाई। व्यापारी ने राम की ईमानदारी से प्रभावित होकर उसे इनाम के रूप में दस सोने की मुद्राएँ दीं। राम ने वह मुद्राएँ भी गाँव के विकास और गरीबों की मदद के लिए खर्च कर दीं।

इस प्रकार, राम की ईमानदारी और निस्वार्थता ने उसे गाँव में एक आदर्श बना दिया और सभी ने उसकी प्रशंसा की। ईमानदारी की जीत ने गाँव में एक नई दिशा दिखाई और सबने राम के पदचिन्हों पर चलना शुरू किया।

**शिक्षा:** इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ईमानदारी और निस्वार्थता हमेशा जीतती है और समाज में आदर व सम्मान दिलाती है।

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Pooja

White ### नया जीवन

**रामू** एक छोटे से गाँव का रहने वाला था। वह एक साधारण किसान था, जो अपने परिवार के साथ हंसी-खुशी जीवन बिता रहा था। एक दिन, गाँव में एक बड़ी बाढ़ आ गई और रामू का घर पूरी तरह से नष्ट हो गया। उसकी सारी फसलें बर्बाद हो गईं और परिवार के पास कुछ भी नहीं बचा।

**रामू** ने अपने परिवार को संभालते हुए सोचा कि अब क्या करना चाहिए। गाँव के मुखिया ने उसे सुझाव दिया कि वह शहर में जाकर कुछ काम ढूंढे। रामू ने अपने परिवार से विदा ली और शहर की ओर चल पड़ा।

शहर में पहुँचते ही रामू ने देखा कि यहाँ जीवन बहुत तेज़ी से चलता है। उसने कई जगहों पर काम की तलाश की, लेकिन हर जगह उसे निराशा ही हाथ लगी। एक दिन, उसने एक निर्माणाधीन इमारत के पास काम के लिए पूछताछ की। वहाँ के ठेकेदार ने उसे मजदूरी का काम दे दिया।

**रामू** मेहनती और ईमानदार था। उसने पूरी लगन के साथ काम किया और जल्द ही ठेकेदार की नजर में आ गया। उसकी मेहनत को देखते हुए ठेकेदार ने उसे स्थायी नौकरी दे दी। रामू ने धीरे-धीरे पैसे जमा करना शुरू किया और गाँव में अपने परिवार को पैसे भेजना शुरू किया।

कुछ महीनों बाद, रामू को एक और बड़ा मौका मिला। एक बड़े व्यवसायी ने उसकी मेहनत और ईमानदारी को देखते हुए उसे अपने फार्महाउस की देखभाल की जिम्मेदारी दी। रामू ने यह काम भी पूरी निष्ठा के साथ किया और व्यवसायी के दिल में अपनी जगह बना ली।

समय बीतता गया और रामू की मेहनत रंग लाई। उसने अपने परिवार के लिए नया घर बनवाया और उन्हें शहर में अपने पास बुला लिया। अब रामू का परिवार खुशहाल था और उन्होंने अपने जीवन को नए सिरे से शुरू किया।

**निष्कर्ष** यह है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, मेहनत और ईमानदारी से हम हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं। रामू की कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष ही सफलता की कुंजी है।

©Pooja
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White ### गाँव की बचपन की यादें

गाँव का नाम स्नेहपुर था। वहाँ एक छोटा सा बच्चा, रवि, अपने माता-पिता और दादी के साथ रहता था। स्नेहपुर एक शांत और सुंदर गाँव था, जहाँ हरियाली और प्यार की कोई कमी नहीं थी। रवि की उम्र केवल दस साल थी, पर उसकी चंचलता और मासूमियत सबका दिल जीत लेती थी।

हर सुबह, रवि अपनी दादी के साथ गाँव के मंदिर जाता था। मंदिर के पास एक बड़ा पीपल का पेड़ था, जिसकी छाँव में बैठकर दादी उसे पुरानी कहानियाँ सुनाया करती थी। रवि को उन कहानियों में बहुत मज़ा आता था। उसकी दादी की कहानियाँ सुनते-सुनते वह सपनों की दुनिया में खो जाता था।

एक दिन, रवि ने सुना कि गाँव में मेला लगने वाला है। वह बहुत खुश हुआ और तुरंत अपनी माँ के पास दौड़ता हुआ गया। माँ ने उसे बताया कि मेले में बहुत सारी मिठाइयाँ, खिलौने, और झूले होंगे। रवि की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। 

मेले वाले दिन, रवि ने अपनी सबसे प्यारी शर्ट पहनी और पूरे परिवार के साथ मेले गया। वहाँ उसने गुब्बारे, चाट और अपनी पसंदीदा मिठाई, जलेबी खाई। मेले में उसने एक खिलौना भालू देखा, जो उसे बहुत पसंद आया। उसके पिता ने उसकी खुशी देखकर वह भालू उसे दिला दिया।

शाम को, जब रवि अपने खिलौने के साथ घर लौटा, तो वह बहुत थक गया था। उसने भालू को अपने पास रखा और अपनी दादी की कहानियाँ सुनते-सुनते सो गया। 

उस रात, रवि ने सपने में देखा कि वह अपने नए भालू के साथ जादुई जंगल में घूम रहा है, जहाँ पेड़ों पर चॉकलेट और जमीन पर मिठाईयाँ बिखरी हुई हैं। 

इस तरह, स्नेहपुर में रवि का बचपन हँसी-खुशी और प्यारी यादों से भरा हुआ था। गाँव की सरलता और दादी की कहानियाँ उसके जीवन को खास बनाती थीं। 

और इस तरह, रवि के बचपन की मीठी यादें हमेशा उसके दिल में बसी रहीं।

©Pooja
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White ### कहानी: भोलू और उसका सपना

गाँव के एक छोटे से घर में भोलू नाम का एक लड़का रहता था। भोलू बहुत ही साधारण परिवार से था, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े थे। उसे आसमान में उड़ते हुए हवाई जहाज बहुत पसंद थे। जब भी कोई हवाई जहाज उसके गाँव के ऊपर से उड़ता, वह उसकी ओर टकटकी लगाकर देखता रहता।

एक दिन भोलू ने अपने पिता से कहा, "पिताजी, मैं भी बड़ा होकर पायलट बनना चाहता हूँ।" उसके पिता मुस्कुराते हुए बोले, "सपने देखना अच्छी बात है बेटा, लेकिन उसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।"

भोलू ने ठान लिया कि वह पायलट बनकर ही रहेगा। गाँव के स्कूल में पढ़ाई पूरी करने के बाद, भोलू शहर की ओर निकल पड़ा। वहां उसने एक पार्ट-टाइम नौकरी की और साथ ही साथ पायलट बनने के लिए कोर्स किया।

भोलू की मेहनत और समर्पण रंग लाए। वह पायलट बनने में सफल हो गया। एक दिन, जब वह अपने गाँव के ऊपर से हवाई जहाज उड़ा रहा था, उसने देखा कि उसके पिता आकाश की ओर देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे। भोलू ने विमान को झुका कर उन्हें सलाम किया।

गाँव में सभी लोग भोलू पर गर्व महसूस कर रहे थे। भोलू ने साबित कर दिया कि यदि आप अपने सपनों के प्रति समर्पित रहते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं, तो कोई भी सपना पूरा हो सकता है।

### शिक्षा:
भोलू की कहानी हमें सिखाती है कि सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत और दृढ़ संकल्प आवश्यक है। सपनों का पीछा करने से हमें कभी नहीं डरना चाहिए, क्योंकि मेहनत और समर्पण से सब कुछ संभव है।

©Pooja
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