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Pooja

#moral story

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Unsplash किसी एक छोटे से गाँव की कहानी

गाँव में एक छोटा सा लड़का था, जिसका नाम मोहन था। मोहन गरीब था, लेकिन उसकी आँखों में सपने थे। वह दिन-रात मेहनत करता था, और गाँव के खेतों में काम करता। उसकी सबसे बड़ी ख्वाहिश यह थी कि वह बड़ा आदमी बने और अपने गाँव का नाम रोशन करे।

एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। मोहन ने भी सोचा कि इस मेले में जरूर जाना चाहिए। लेकिन, उसके पास पैसे नहीं थे। फिर उसने सोचा, "मैं मेहनत करके कुछ पैसे कमाऊँगा और मेले में जाऊँगा।"

वह अगले कुछ दिनों तक खेतों में और घर में काम करता रहा। उसकी मेहनत रंग लाई और उसने मेले में जाने के लिए पर्याप्त पैसे जमा कर लिए।

मेले में पहुँचा तो उसने देखा कि वहाँ तरह-तरह के लोग, खेल, नाच-गाने और बहुत कुछ था। लेकिन मोहन ने एक बात सीखी, जो उसने अपने जीवन में कभी नहीं सोची थी। वह यह था कि असली खुशी किसी चीज़ में नहीं, बल्कि अपने आत्मविश्वास और मेहनत में छुपी होती है।

मोहन ने अपना सपना पूरा करने की राह पर चलने की ठानी। उसने बहुत मेहनत की और कुछ सालों बाद वह गाँव का सबसे सफल व्यक्ति बना। उसकी कहानी आज भी गाँव में सुनाई जाती है।

सीख: सफलता सिर्फ मेहनत और आत्मविश्वास से मिलती है, और जब आप अपने सपनों के पीछे पूरी लगन से चलते हैं, तो वह सपने जरूर सच होते हैं।

©Pooja #Moral story

Pooja

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White कहानी: "सच्चाई का रास्ता"

एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम मोहन था। मोहन गरीब था, लेकिन बहुत ईमानदार और मेहनती था। वह हर दिन अपने छोटे से खेत में काम करता और दिन के अंत में घर लौट आता। गाँव में एक बडी ज़मीन का मालिक था, उसका नाम रघु था। रघु बहुत अमीर और लालची था।

एक दिन रघु ने मोहन से कहा, "अगर तुम मेरी ज़मीन पर काम करोगे, तो मैं तुम्हें ढेर सारे पैसे दूँगा।" मोहन ने सोचा कि वह ये काम कर सकता है, लेकिन उसके मन में एक शंका थी। उसने रघु से पूछा, "आपकी ज़मीन पर काम करना ठीक है, लेकिन अगर कुछ गलत हुआ तो?"

रघु हंसते हुए बोला, "तुम चिंता मत करो, कुछ नहीं होगा।"

मोहन ने काम शुरू कर दिया, लेकिन जल्दी ही उसे एहसास हुआ कि रघु के खेत में कुछ गलत हो रहा है। रघु उसे ज़मीन के बीच में से कुछ गड्ढे भरने का कहता था, लेकिन मोहन को लगता था कि वहाँ कुछ छुपाया जा रहा था। एक दिन मोहन ने वह गड्ढा खोला और देखा कि वहाँ से सोने की छड़ें और कुछ अन्य मूल्यवान चीजें निकलीं।

मोहन को समझ में आ गया कि रघु चोरी कर रहा था। उसे दुविधा हुई। अगर वह सच बताता है, तो रघु उसकी जिंदगी बर्बाद कर देगा। लेकिन मोहन ने अपनी आत्मा से समझौता न करने का निर्णय लिया।

वह गाँव के मुखिया के पास गया और सारी सच्चाई बता दी। मुखिया ने रघु को सजा दिलवायी। मोहन को उसके ईमानदारी के लिए सम्मानित किया गया।

मोहन ने सीखा कि सच्चाई का रास्ता भले ही कठिन हो, लेकिन अंत में वही सबसे सही होता है।

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Pooja

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White कर्म की शक्ति

एक छोटे से गाँव में एक साधारण सा लड़का, रामू, रहता था। उसका जीवन बहुत कठिन था, लेकिन उसका मन साफ और कर्मशील था। वह रोज़ सुबह जल्दी उठता, खेतों में काम करता और फिर शाम को स्कूल जाता। गाँव के बच्चे उसकी मेहनत और ईमानदारी की बहुत तारीफ करते थे, लेकिन रामू का सपना कुछ और था। वह एक दिन बड़ा आदमी बनना चाहता था, ताकि वह अपने गाँव और परिवार की मदद कर सके।

एक दिन गाँव में एक बड़े व्यापारी का आगमन हुआ। वह व्यापारी गाँव के सभी बच्चों को एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का न्यौता देने आया। प्रतियोगिता का इनाम एक बड़ा पुरस्कार था, जो रामू के जीवन को बदल सकता था। प्रतियोगिता में सभी बच्चे शामिल हुए, लेकिन रामू की मेहनत और ईमानदारी ने उसे दूसरों से अलग बना दिया।

प्रतियोगिता के बाद व्यापारी ने सभी बच्चों के बीच पुरस्कार वितरण किया। जब उसकी बारी आई, तो व्यापारी ने रामू को सबसे बड़ा पुरस्कार दिया और कहा, "तुम्हारे मेहनत और अच्छे काम ने मुझे प्रभावित किया। मैं तुम्हें एक बड़ा अवसर दे रहा हूँ।"

रामू को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन उसने ईमानदारी से मेहनत करना जारी रखा। धीरे-धीरे वह बड़ा आदमी बन गया, और अपने गाँव में अच्छे कार्य करने लगा। उसने जाना कि सही कर्म और मेहनत का फल हमेशा मिलता है, चाहे वह समय लगे या न लगे।

रामू का जीवन एक सिख है कि अगर हम अपने कर्मों में सच्चाई और मेहनत रखें, तो जीवन में कभी न कभी सफलता जरूर मिलेगी।

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Pooja

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White सपनों का शहर

राजू एक छोटे से गाँव में रहता था। उसका सपना था कि वह बड़े शहर में जाकर बहुत बड़ा आदमी बने। रोज़ वह अपने छोटे से खेत में काम करता, लेकिन उसके मन में बस एक ही ख्याल था – शहर का जीवन, जहां पैसे की कोई कमी नहीं होती, और लोग बड़े-बड़े कारों में घूमते हैं।

एक दिन उसने तय किया कि अब वह गाँव छोड़ देगा और शहर में जाएगा। उसने अपने सारे पैसे इकट्ठा किए और एक ट्रेनों में बैठकर शहर की ओर रवाना हो गया। रास्ते भर वह सपने देखता रहा कि वह कैसे शहर में नाम कमाएगा और एक दिन सब उसे जानेगा।

शहर पहुँचते ही उसे एक चमकदार और भीड़-भाड़ वाली दुनिया दिखाई दी। बड़े-बड़े इमारतें, चमचमाती कारें, और लोग जिन्हें देखना ही एक जादू जैसा लगता था। लेकिन बहुत जल्दी उसे अहसास हुआ कि शहर का जीवन उतना सरल नहीं था जितना वह सोचता था।

राजू को शुरुआत में कोई काम नहीं मिला, और उसे रैन बसेरा में रात बितानी पड़ी। वह दिन-रात नौकरी की तलाश में भटकता रहा, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। धीरे-धीरे उसे समझ में आया कि केवल बड़े शहर का सपना देखना ही काफी नहीं है, बल्कि कड़ी मेहनत और धैर्य की भी जरूरत होती है।

कुछ महीने बाद, राजू को एक छोटे से होटल में काम मिल गया। वह खुश था कि अब उसे किसी न किसी तरह का काम मिल गया है। समय के साथ, राजू ने अपने काम में महारत हासिल की और धीरे-धीरे होटल का सबसे अच्छा कर्मचारी बन गया।

कुछ सालों बाद, वह उसी होटल का मालिक बन गया। राजू अब समझ चुका था कि सफलता का रास्ता सरल नहीं होता, लेकिन सही मेहनत और ईमानदारी से हर कठिनाई को पार किया जा सकता है।

राजू ने गाँव लौटकर अपने छोटे से खेत पर एक अच्छा सा घर बनवाया और वह जानता था कि असली खुशियाँ छोटे-छोटे सुखों में ही होती हैं।

अंत

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Pooja

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White किस्मत का खेल

एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम रमेश था। वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था, लेकिन उसके पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी। वह खेतों में काम करता और जो कुछ भी कमाता, उसे अपने माता-पिता और छोटे भाई-बहनों के लिए खर्च कर देता।

एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। रमेश ने भी सोचा कि क्यों न एक बार मेला देखा जाए। वह अपनी छोटी सी बचत से कुछ पैसे लेकर मेला देखने गया। वहाँ बहुत सारी चीजें देखने को मिलीं, लेकिन एक झूला उसे बहुत आकर्षित किया। रमेश ने झूला झूलने का फैसला किया, लेकिन उसके पास उतने पैसे नहीं थे। वह बहुत ही सोच-विचार में था कि क्या करे।

तभी एक बूढ़ा आदमी उसके पास आया और बोला, "तुम्हारे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन मैं तुम्हें एक अवसर देता हूँ।" रमेश ने हैरान होकर बूढ़े आदमी की ओर देखा। बूढ़े आदमी ने कहा, "अगर तुम इस झूले को झूलने के बाद अपनी आँखें बंद करोगे और मन से एक दुआ करोगे, तो तुम्हारी किस्मत बदल सकती है।"

रमेश ने बिना किसी सोच के झूला झूला और फिर आँखें बंद करके अपनी दुआ माँगी। उसकी दुआ थी कि वह अपने परिवार को खुशहाल देखे और कभी भी पैसे की तंगी का सामना न करना पड़े। जैसे ही उसने आँखें खोलीं, देखा कि बूढ़ा आदमी गायब हो चुका था।

कुछ महीनों बाद, रमेश के खेत में एक नया खजाना मिला, जो किसी ने पहले कभी नहीं देखा था। रमेश और उसके परिवार का जीवन बदल गया। वह अब एक संपन्न किसान बन चुका था। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी किस्मत इतनी जल्दी बदल जाएगी।

आज भी रमेश यह कहानी अपने बच्चों को सुनाता है और बताता है कि मेहनत और ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है। साथ ही, वह यह भी याद दिलाता है कि कभी-कभी किस्मत भी अपनी भूमिका निभाती है, लेकिन मन में अच्छाई और मेहनत हो तो जीवन में हर कठिनाई आसान हो जाती है।

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White सपनों की उड़ान

एक छोटे से गांव में एक लड़का रहता था जिसका नाम मोहन था। मोहन बहुत ही होशियार और मेहनती था, लेकिन उसके पास कोई बड़ा संसाधन नहीं था। वह हमेशा अपने सपनों में खोया रहता था, जहां वह एक बड़ा आदमी बनकर दुनिया को बदलता।

एक दिन मोहन ने गाँव के पुराने पुस्तकालय में एक किताब देखी, जिसमें दुनिया के महान नेताओं और वैज्ञानिकों की कहानियाँ थीं। उसने उस किताब को पढ़ा और उसमें लिखे विचारों से प्रेरित होकर ठान लिया कि वह भी कुछ बड़ा करेगा।

वह रोज़ स्कूल के बाद घंटों पढ़ाई करता और मेहनत करता रहा। गांव के लोग उसकी मेहनत को देखकर हैरान थे। वह जानता था कि अगर उसे अपने सपनों को हकीकत में बदलना है, तो उसे कड़ी मेहनत करनी होगी।

समय बीतता गया, और मोहन ने अपने सपनों को हासिल करने के लिए कई मुश्किलों का सामना किया। वह शहर गया, उच्च शिक्षा प्राप्त की, और एक बड़ी कंपनी में नौकरी पाई। उसकी मेहनत रंग लाई और वह एक सफल व्यक्ति बन गया।

आज मोहन गाँव में लौट आया है, लेकिन अब वह सिर्फ सपने नहीं देखता। उसने अपने सपनों को पूरा किया और अब वह दूसरों को प्रेरित करता है कि अगर मेहनत की जाए, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता।

सीख: सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत और धैर्य सबसे ज़रूरी चीजें हैं।

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White कभी ना हारो

एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम मोहन था। वह बहुत मेहनती था, लेकिन उसे किसी चीज़ में सफलता नहीं मिल रही थी। पढ़ाई में भी वह हमेशा पिछड़ जाता था, खेल कूद में भी हार जाता था। उसके दोस्तों ने उसे मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया था।

एक दिन मोहन के दादाजी उसे अपने पास बुलाए और बोले, "तुम जब तक हार नहीं मानोगे, तब तक तुम कभी जीत नहीं सकोगे। जीवन में कठिनाइयाँ आएंगी, लेकिन अगर तुम अपनी मेहनत से हार मानने का नाम नहीं लोगे, तो एक दिन सफलता तुम्हारे कदमों में होगी।"

मोहन ने अपने दादाजी की बातों को दिल से सुना और कड़ी मेहनत करने लगा। धीरे-धीरे वह अपनी पढ़ाई में अव्‍वल आने लगा, और खेलों में भी उसकी मेहनत रंग लाने लगी। एक दिन वह गाँव का सबसे अच्छा खिलाड़ी बन गया। अब वह सफलता का स्वाद चख रहा था, लेकिन उसने कभी भी हार मानने का नाम नहीं लिया था।

सिख: कभी भी कठिनाई से हार मत मानो, मेहनत और धैर्य से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।

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White सपनों का रंग

राहुल एक छोटे से गांव में रहता था। वह एक गरीब लड़का था, लेकिन उसकी आँखों में एक सपना था – वह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा। राहुल का दिल हमेशा अपनी परेशानियों से लड़ने और अपने सपनों को साकार करने की इच्छा से भरा रहता था।

वह हर दिन खेतों में काम करता, लेकिन उसे अपनी पढ़ाई से भी बहुत प्यार था। गांव में कोई अच्छा स्कूल नहीं था, इसलिए वह शहर जाकर पढ़ाई करने का सपना देखता था। एक दिन उसने ठान लिया कि वह किसी भी हालत में शहर जाएगा।

राहुल ने अपने माता-पिता से अपनी इच्छा जाहिर की। शुरू में वे बहुत घबराए, क्योंकि वे जानते थे कि शहर में जीवन आसान नहीं होता। लेकिन राहुल के हौंसले को देखकर वे समझ गए कि उसे अपना सपना पूरा करने का मौका देना चाहिए।

कुछ दिनों बाद, राहुल शहर आ गया। उसे वहां बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने हार नहीं मानी। दिन-रात मेहनत करके वह एक अच्छे स्कूल में पढ़ाई करने लगा। कुछ सालों बाद, राहुल ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से परीक्षा पास की और एक बड़े इंजीनियर की नौकरी पाई।

राहुल का सपना सच हो गया था, लेकिन उसने कभी नहीं भुलाया कि सफलता केवल मेहनत से मिलती है, न कि किसी भी प्रकार की आसानी से। वह हमेशा उन कठिनाइयों को याद करता था, जिन्होंने उसे मजबूत बनाया।

अब, जब वह सफल हो चुका था, तो वह अपने गांव वापस लौटा और वहां के बच्चों को भी यह सिखाया कि अगर तुम्हारे सपने बड़े हैं, तो तुम्हें उनका पीछा करने का साहस भी बड़ा होना चाहिए।

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White सच्ची दोस्ती

एक छोटे से गाँव में दो बच्चे रहते थे, एक का नाम अर्जुन था और दूसरे का नाम मोहन। वे दोनों अच्छे दोस्त थे और हमेशा एक-दूसरे के साथ खेलते थे। गाँव में एक बड़ा सा जंगल था, जिसमें लोग अक्सर अपने कामों के लिए जाते थे। अर्जुन और मोहन ने सोचा कि वे भी एक दिन जंगल में जाएंगे और वहां की सैर करेंगे।

एक दिन, वे दोनों जंगल की ओर चल पड़े। रास्ते में उन्होंने बहुत सारी सुंदर फूलों की कलियाँ और रंग-बिरंगे पक्षियों को देखा। लेकिन जैसे ही वे जंगल के भीतर पहुंचे, अचानक एक भालू सामने आ गया। अर्जुन डर के मारे कँपकँपाने लगा, जबकि मोहन ने बिना घबराए उसकी मदद करने का सोचा।

मोहन ने अर्जुन से कहा, "भागो! मैं भालू से निपटता हूँ।" अर्जुन ने भागने की बजाय मोहन के पास खड़ा रहकर उसका साथ दिया। मोहन ने अर्जुन से कहा, "मुझे तुम्हारी मदद चाहिए, हम दोनों मिलकर भालू को भगाएंगे।"

दोनों ने मिलकर अपने-अपने तरीके से भालू को डराया। अर्जुन ने लकड़ी उठाई और मोहन ने पत्थर। आखिरकार, भालू डरकर जंगल में भाग गया।

अर्जुन ने मोहन को गले से लगा लिया और कहा, "तुम सचमुच मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो।" मोहन हंसते हुए बोला, "दोस्ती का मतलब है एक-दूसरे का साथ देना, चाहे मुश्किलें कैसी भी हों।"

उस दिन के बाद से अर्जुन और मोहन की दोस्ती और भी गहरी हो गई। वे हमेशा एक-दूसरे का साथ देते और किसी भी मुश्किल का सामना मिलकर करते थे।

कहानी से सिख: सच्ची दोस्ती का मतलब होता है एक-दूसरे का साथ देना, चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किल क्यों न हो।

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Pooja

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सपनों का सच

राजू एक छोटा सा लड़का था, जो एक छोटे से गाँव में रहता था। वह हमेशा अपने सपनों के बारे में सोचता रहता था। उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ा आदमी बनेगा, जैसे उसके गाँव के कुछ लोग जो शहर में काम करते थे। राजू के पास कोई खास संसाधन नहीं था, लेकिन उसकी मेहनत और लगन उसे कभी भी निराश नहीं करती थी।

एक दिन राजू ने गाँव के स्कूल के पास एक पोस्टर देखा। पोस्टर में लिखा था, "जो भी मेहनत करेगा, उसे मिलेगा उसका वांछित सपना।" यह पढ़कर राजू के मन में नई उम्मीद जागी। उसने ठान लिया कि वह भी कुछ बड़ा करेगा।

राजू ने अपनी पढ़ाई में पूरी तरह से ध्यान लगाना शुरू किया। वह दिन-रात मेहनत करता, कभी भी थकता नहीं था। गाँव के लोग उसका मजाक उड़ाते थे, लेकिन वह अपनी राह पर चलता रहा।

एक दिन, गाँव के स्कूल में एक बड़ा परीक्षा हुआ। राजू ने पूरी मेहनत से तैयारी की थी। जब परिणाम आया, तो राजू का नाम सबसे ऊपर था। अब वह गाँव का सबसे अच्छा छात्र बन चुका था। उसके बाद, उसने शहर में अच्छे स्कूल में दाखिला लिया और फिर धीरे-धीरे वह एक बड़ा डॉक्टर बन गया।

राजू का सपना सच हो गया, क्योंकि उसने कभी हार नहीं मानी थी और अपनी मेहनत से उसे प्राप्त किया था। उसकी कहानी अब गाँव के बच्चों के लिए प्रेरणा बन गई।

समाप्त

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