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Pooja
White एक गाँव में एक बूढ़ा आदमी रहता था। उसका नाम रामू था। रामू के पास एक बहुत प्यारा कुत्ता था जिसका नाम मोती था। मोती हमेशा रामू के साथ रहता और उसकी हर बात मानता था। एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। रामू ने सोचा कि वह मेले में जाएगा और मोती को भी साथ ले जाएगा। दोनों मेले में पहुंचे और वहां की रौनक देखकर खुश हो गए। मेले में बहुत सारे खेल, खाने-पीने की चीज़ें और खिलौने थे। रामू ने सोचा कि वह मोती के लिए एक सुंदर खिलौना खरीदेगा। वह एक दुकान पर गया और मोती के लिए एक गेंद खरीदी। मोती गेंद देखकर बहुत खुश हुआ और उसे खेलने लगा। अचानक, मेले में शोर मचने लगा। किसी ने कहा कि एक बच्चा खो गया है। रामू और मोती भी परेशान हो गए। रामू ने मोती से कहा, "मोती, चलो उस बच्चे को ढूंढते हैं।" मोती तुरंत अपनी नाक ज़मीन पर रखकर सूंघने लगा और बच्चे की गंध पहचानने की कोशिश करने लगा। कुछ ही देर में मोती ने बच्चे को ढूंढ निकाला। बच्चा एक दुकान के पीछे छिपा हुआ था और रो रहा था। मोती ने रामू को वहाँ ले जाकर बच्चे को दिखाया। रामू ने बच्चे को उठाकर उसके माता-पिता के पास पहुँचाया। बच्चे के माता-पिता ने रामू और मोती का धन्यवाद किया और कहा, "आप दोनों ने हमारी बहुत मदद की है।" रामू और मोती मेले से वापस अपने घर लौट आए। रामू ने मोती को प्यार से सहलाया और कहा, "तुमने आज बहुत अच्छा काम किया, मोती।" मोती ने रामू की ओर देख कर अपनी पूंछ हिलाई और उसके पास बैठ गया। उस दिन के बाद से गाँव में हर कोई रामू और मोती की प्रशंसा करता और उन्हें एक हीरो मानता। मोती भी और ज़्यादा प्यारा और वफादार कुत्ता बन गया। ©Pooja #Moral story
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White **अनमोल दोस्ती** गाँव के एक छोटे से कोने में रामू और श्यामू नाम के दो दोस्त रहते थे। रामू एक गरीब किसान था, जबकि श्यामू एक छोटा व्यापारी। दोनों की दोस्ती बचपन से ही थी और वे एक-दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह सकते थे। एक दिन गाँव में एक महात्मा जी आए। उन्होंने गाँव वालों से कहा, "मैंने सुना है कि इस गाँव में सच्ची दोस्ती है। क्या कोई मुझे दिखा सकता है?" गाँव वालों ने रामू और श्यामू की दोस्ती की मिसाल दी। महात्मा जी ने रामू और श्यामू को बुलाकर कहा, "मैं तुम्हारी दोस्ती की परीक्षा लेना चाहता हूँ। क्या तुम तैयार हो?" दोनों दोस्तों ने सहमति दी। महात्मा जी ने कहा, "कल सुबह तुम दोनों इस जंगल में मिलो और जो भी सबसे पहले पहुंचेगा, वह एक विशेष उपहार पाएगा।" अगले दिन रामू और श्यामू जंगल की ओर चल पड़े। रामू ने जल्दी चलने की कोशिश की ताकि वह पहले पहुंच सके, लेकिन रास्ते में उसके पैर में चोट लग गई। दर्द से कराहते हुए रामू वहीं बैठ गया। श्यामू, जो पीछे से आ रहा था, रामू को देख कर रुक गया। उसने रामू की हालत देखी और बिना कुछ सोचे उसे सहारा देकर उठाया। श्यामू ने रामू को अपने कंधे पर लाद लिया और धीरे-धीरे चलते हुए जंगल के अंत तक पहुंचा। महात्मा जी ने उन्हें देखकर मुस्कुराया और कहा, "तुम दोनों ने साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती क्या होती है। इस उपहार का कोई मूल्य नहीं है, लेकिन तुम्हारी दोस्ती अनमोल है।" रामू और श्यामू ने महात्मा जी के चरणों में झुककर आशीर्वाद लिया और अपनी अनमोल दोस्ती को और भी मजबूत बना लिया। इस तरह, उनकी दोस्ती की कहानी पूरे गाँव में मशहूर हो गई और लोग उनकी मिसाल देने लगे। ©Pooja #Moral story
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White किसान की बुद्धिमानी एक समय की बात है, एक गाँव में रामू नाम का एक किसान रहता था। वह बहुत ही मेहनती और ईमानदार था। एक दिन वह अपने खेत में हल चला रहा था, तभी उसे एक बड़ा सा पत्थर मिला। रामू ने पत्थर को हटाने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत भारी था। रामू ने सोचा, "अगर मैं इस पत्थर को यहाँ छोड़ दूँगा, तो यह मेरी फसल को नुकसान पहुँचा सकता है। मुझे इसे हटाना ही होगा।" उसने गाँव के कुछ और किसानों को बुलाया और सबने मिलकर पत्थर को हटाने का प्रयास किया, परन्तु पत्थर टस से मस नहीं हुआ। तभी रामू के मन में एक विचार आया। उसने गाँव के सब लोगों को बुलाया और कहा, "हम सब मिलकर एक साथ इस पत्थर को हटाएंगे।" सभी गाँव वाले एक साथ आए और मिलकर पत्थर को उठाने लगे। सबके सहयोग से, आखिरकार पत्थर को हटाने में सफलता मिली। रामू की बुद्धिमानी और गाँव वालों की एकता से वह पत्थर हट गया और रामू का खेत फिर से फसल उगाने के लिए तैयार हो गया। इस घटना से सभी गाँव वालों ने एक महत्वपूर्ण सीख ली कि जब हम सब मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी मुश्किल काम आसान हो जाता है। ©Pooja #Moral story
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White **कहानी का नाम: दोस्ती का अनमोल तोहफा** एक छोटे से गाँव में दो दोस्त, रमेश और सुरेश, रहते थे। दोनों की दोस्ती बचपन से थी और वे हमेशा एक-दूसरे की मदद करते थे। एक दिन, गाँव में एक व्यापारी आया और उसने घोषणा की कि वह एक अनमोल तोहफा देने वाला है, लेकिन वह केवल सबसे अच्छे दोस्त को ही मिलेगा। यह सुनकर गाँव के सभी लोग बहुत उत्साहित हो गए। रमेश और सुरेश ने भी सोचा कि उन्हें वह तोहफा मिलना चाहिए। अगले दिन, व्यापारी ने सभी दोस्तों को एक परीक्षा के लिए बुलाया। उसने कहा, "तुम्हें एक कठिन कार्य करना होगा। जो भी इसे पूरा करेगा, वही तोहफा पायेगा।" कार्य था, एक गहरी नदी को पार करना। नदी में तेज बहाव था और इसे पार करना बहुत मुश्किल था। लेकिन रमेश और सुरेश ने एक-दूसरे पर भरोसा किया और मिलकर योजना बनाई। उन्होंने एक मजबूत रस्सी बनाई और एक-दूसरे की मदद से नदी पार की। जब वे नदी के पार पहुंचे, तो व्यापारी ने उन्हें देखा और बहुत प्रभावित हुआ। उसने कहा, "तुम दोनों ने साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती सबसे बड़ी ताकत है। यह अनमोल तोहफा तुम्हारे लिए है।" और उसने उन्हें एक सुनहरी घड़ी दी। रमेश और सुरेश ने उस घड़ी को आपस में बांटने का फैसला किया। वे समझ गए थे कि असली तोहफा उनकी दोस्ती है, जो किसी भी अनमोल चीज से बढ़कर है। उस दिन से उनकी दोस्ती और भी मजबूत हो गई, और गाँव के सभी लोग उनकी मिसाल देने लगे। दोस्ती का यह अनमोल तोहफा हमेशा उनके दिलों में बसा रहा। ©Pooja #Moral story
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White **गाँव का लड़का** एक छोटे से गाँव में मोहन नाम का एक लड़का रहता था। मोहन के पास बहुत से सपने थे, लेकिन उसके पास साधन नहीं थे। वह पढ़ाई में होशियार था और हमेशा अपने अध्यापकों के सवालों का जवाब जल्दी से दे देता था। गाँव के लोग मोहन की बुद्धिमानी की तारीफ करते नहीं थकते थे। एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। मेले में बहुत सारे खेल, मिठाइयाँ और खिलौने थे। मोहन ने भी मेला देखने का निश्चय किया। वह अपने दोस्तों के साथ मेले में गया और वहाँ की हर चीज़ का आनंद लिया। मेले में एक जादूगर भी आया हुआ था जो अपने करतब दिखा रहा था। मोहन ने पहली बार जादू देखा और वह बहुत प्रभावित हुआ। जादूगर ने घोषणा की कि वह किसी एक बच्चे को अपने साथ शहर ले जाएगा और उसे जादू सिखाएगा। मोहन का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने भी हाथ उठाया और जादूगर ने उसे चुन लिया। गाँव के सभी लोग मोहन की इस उपलब्धि से बहुत खुश हुए। मोहन अपने सपनों की ओर एक कदम बढ़ा चुका था। उसने जादूगर के साथ शहर जाकर जादू सीखा और समय के साथ वह खुद एक बड़ा जादूगर बन गया। अब वह गाँव लौट आया और वहाँ के बच्चों को जादू सिखाने लगा। गाँव के लोग मोहन को देखकर गर्व महसूस करते थे और मोहन ने साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी सपना पूरा हो सकता है। ©Pooja #Moral story
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White **माया का सपना** माया एक छोटे से गाँव में रहती थी। उसके माता-पिता किसान थे और दिन रात खेतों में मेहनत करते थे। माया को पढ़ाई का बहुत शौक था, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। फिर भी, वह हर रोज़ स्कूल जाती और मन लगाकर पढ़ाई करती। एक दिन, गाँव में एक मेले का आयोजन हुआ। माया के माता-पिता ने सोचा कि माया को कुछ खुशी मिलेगी, तो वे उसे मेले में ले गए। वहाँ माया ने एक किताबों की दुकान देखी। उसकी आँखों में चमक आ गई। वह दुकान की ओर दौड़ी और एक किताब उठाकर देखने लगी। उसने देखा कि किताब में उसकी पसंदीदा कहानियाँ थीं। वह किताब खरीदना चाहती थी, लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे। उसने उदास होकर किताब को वापस रख दिया। तभी एक बुजुर्ग व्यक्ति ने माया को देखा और पूछा, "बेटी, तुम इतनी उदास क्यों हो?" माया ने उन्हें अपनी पूरी कहानी सुनाई। बुजुर्ग व्यक्ति ने माया की मेहनत और पढ़ाई के प्रति जुनून को देखा और उससे प्रभावित हुए। उन्होंने माया को किताब खरीदने के लिए पैसे दिए। माया की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने धन्यवाद कहा और किताब खरीद ली। उस रात, माया ने अपनी नई किताब पढ़ते हुए सपना देखा। उसने देखा कि वह एक बड़ी लेखिका बन गई है और उसके माता-पिता बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं। वह सपना माया के दिल में बस गया। अब वह और भी मेहनत से पढ़ाई करने लगी। समय के साथ, उसकी मेहनत रंग लाई और वह सचमुच एक प्रसिद्ध लेखिका बन गई। उसके माता-पिता की आँखों में खुशी के आँसू थे। माया ने साबित कर दिया कि सपने साकार करने के लिए मेहनत और समर्पण की जरूरत होती है। इस तरह माया का सपना सच हो गया और उसने अपने गाँव का नाम रोशन किया। ©Pooja #moral story
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White बचपन की यादें गाँव के छोटे से घर में रहने वाला राहुल हमेशा से ही शरारती था। उसके दादाजी का बगीचा उसका पसंदीदा स्थान था। हर सुबह वह अपने दोस्तों के साथ वहां खेलने जाता था। बगीचे में तरह-तरह के फूल खिलते थे और आम, अमरूद, और नींबू के पेड़ लगे हुए थे। एक दिन राहुल ने अपने दोस्तों से कहा, "चलो आज आम चोरी करते हैं।" सभी बच्चे बड़े उत्साहित हो गए। उन्होंने मिलकर एक योजना बनाई और पेड़ पर चढ़कर आम तोड़ने लगे। अचानक दादाजी ने उन्हें देख लिया और जोर से चिल्लाए, "अरे, तुम सब यहाँ क्या कर रहे हो?" सभी बच्चे डर के मारे नीचे उतर आए। दादाजी ने प्यार से उन्हें समझाया, "बच्चों, आम खाना बुरा नहीं है, लेकिन चोरी करना गलत है। अगर तुम मुझसे माँगते तो मैं खुशी-खुशी तुम्हें आम दे देता।" राहुल और उसके दोस्तों को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने दादाजी से माफी मांगी और वादा किया कि आगे से वे ऐसा नहीं करेंगे। दादाजी ने उन्हें माफ कर दिया और सभी को आम खाने को दिए। उस दिन के बाद से राहुल ने सीखा कि ईमानदारी और सही रास्ते पर चलना कितना महत्वपूर्ण है। वह और उसके दोस्त अब हर दिन दादाजी से आम मांगते और मिल-बांटकर खाते थे। इस घटना ने उनकी दोस्ती और भी मजबूत कर दी। ©Pooja #Moral story
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White **एक छोटा सा सपना** राजू एक छोटे से गाँव में रहता था। उसकी माँ गरीब थी और खेतों में काम करती थी। राजू का सपना था कि वह बड़ा होकर एक डॉक्टर बने। हर रोज़ वह स्कूल के बाद खेतों में अपनी माँ की मदद करता। उसकी माँ उसे समझाती, "राजू, मेहनत से कभी डरना नहीं चाहिए।" एक दिन गाँव में एक बड़ा डॉक्टर आया। वह गाँव वालों का मुफ्त में इलाज कर रहा था। राजू ने डॉक्टर से पूछा, "क्या मैं भी बड़ा होकर आपकी तरह डॉक्टर बन सकता हूँ?" डॉक्टर ने मुस्कराते हुए कहा, "बिल्कुल, अगर तुम मन लगाकर पढ़ाई करोगे तो कुछ भी संभव है।" राजू ने अपनी पढ़ाई में पूरी मेहनत लगा दी। स्कूल की छुट्टियों में वह और भी ज्यादा पढ़ाई करता। उसकी मेहनत रंग लाई और वह मेडिकल कॉलेज में दाखिला पा गया। कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद राजू डॉक्टर बन गया। गाँव लौटकर उसने एक छोटा सा क्लिनिक खोला और गरीब गाँव वालों का मुफ्त में इलाज करने लगा। राजू ने अपने सपने को पूरा कर लिया और अब वह अपने गाँव के लोगों की मदद कर रहा था, ठीक उसी तरह जैसे कभी एक डॉक्टर ने उसकी मदद की थी। ©Pooja #Moral story
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White बगीचे में चमत्कार रवि और उसके दोस्तों का पसंदीदा खेल का मैदान गाँव का बड़ा बगीचा था। हर दिन स्कूल के बाद, वे वहां खेलने जाते थे। एक दिन, खेलते-खेलते रवि की नजर एक छोटे पौधे पर पड़ी। पौधा कुछ खास था, उसमें अजीब सी चमक थी। रवि ने दोस्तों को बुलाया, "देखो, यह पौधा कितना अनोखा है!" सभी ने पौधे की तरफ देखा और सहमत हो गए। अगले दिन, रवि पौधे के पास पानी ले आया और उसे सींचा। धीरे-धीरे, यह उनकी दिनचर्या बन गई। पौधा भी रोज़ बढ़ने लगा। एक दिन, पौधे ने सुंदर फूल खिला दिया। वह फूल इतना मनमोहक था कि बगीचे में आने वाला हर व्यक्ति उसकी तारीफ करता था। रवि और उसके दोस्तों ने फूल को 'चमत्कारी फूल' का नाम दिया। गांव में यह बात फैल गई और लोग उस फूल को देखने आने लगे। फूल के बारे में जानने के लिए कई विद्वान भी आए। फिर एक दिन, एक बूढ़ी औरत बगीचे में आई और रवि से कहा, "बेटा, यह सिर्फ एक फूल नहीं है, यह तुम्हारी मेहनत और देखभाल का परिणाम है।" रवि और उसके दोस्तों ने महसूस किया कि सच्चा चमत्कार उनके प्रयास और प्यार में था। फूल तो सिर्फ एक प्रतीक था। इस अनुभव ने उन्हें मेहनत और लगन का महत्व सिखा दिया। उस दिन से, रवि और उसके दोस्त बगीचे का और भी अच्छे से ख्याल रखने लगे और गांव का हर व्यक्ति उनकी सराहना करने लगा। बगीचा अब न सिर्फ खेलने की जगह थी, बल्कि एक प्रेरणा का स्रोत भी बन गया था। ©Pooja #Moral story
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White **एक छोटा सपना** राधिका एक छोटे से गाँव की एक सीधी-सादी लड़की थी। उसकी आँखों में बड़े-बड़े सपने थे, लेकिन साधनों की कमी की वजह से वे सपने पूरे नहीं हो पा रहे थे। उसके पिता एक किसान थे और माँ घर का काम संभालती थीं। राधिका का सबसे बड़ा सपना था कि वह एक दिन डॉक्टर बने और अपने गाँव के लोगों की मदद करे। एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। राधिका ने अपने माता-पिता से वहाँ जाने की अनुमति मांगी। मेले में उसने पहली बार एक डॉक्टर को देखा जो गरीब लोगों का मुफ्त में इलाज कर रहा था। राधिका ने डॉक्टर से बात की और बताया कि वह भी डॉक्टर बनना चाहती है। डॉक्टर ने उसकी आँखों में चमक देखी और कहा, "तुम्हारे सपने बहुत बड़े हैं, लेकिन अगर तुम सच्ची मेहनत करो और विश्वास रखो, तो कुछ भी असंभव नहीं है।" राधिका ने डॉक्टर की बात को मन में बसाया और और भी मेहनत से पढ़ाई करने लगी। उसके माता-पिता ने भी उसकी पढ़ाई में पूरा समर्थन दिया। धीरे-धीरे, राधिका ने सभी परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं और उसे शहर के एक बड़े कॉलेज में दाखिला मिल गया। कई सालों की मेहनत और संघर्ष के बाद, राधिका आखिरकार डॉक्टर बन गई। उसने गाँव लौटकर एक छोटा सा क्लीनिक खोला और अपने गाँव के लोगों का इलाज मुफ्त में करने लगी। गाँव के सभी लोग उसे बहुत प्यार और सम्मान देते थे। राधिका के सपने ने न सिर्फ उसकी जिंदगी बदल दी, बल्कि पूरे गाँव का भविष्य भी उज्ज्वल कर दिया। उसने साबित कर दिया कि अगर सपने बड़े हों और दिल में सच्ची लगन हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता। ©Pooja #Moral story
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