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bhaskaranand7418
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Bhaskar Anand

A poet,Blog writer, storyteller, Story writer,Art lover,Nature lover

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Bhaskar Anand

उठा जो जमीं से वो हल्का हवा था 
कहाँ वो समा में भी कोई वजह था 
लगी आग जब भी वो चलता बना था 
धरा पे रहा जो सिर्फ़ वही लड़ा था 

पलायन हुआ जो विकल था स्वयं में
विकटता की घड़ी में टूटा पड़ा था 
लड़ा जो डट कर संघर्ष के समर में
उठ कर दुबारा सिर्फ़ वही खड़ा था 

भास्कर #Poem #nojoto #nojotopoetry #hindi #life #lifelessons
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Bhaskar Anand

गाँव मे शहर "मुझे पता था ऐसा होने वाला है। जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबकुछ शान्त सा दिख रहा था। अभिनय के अंतिम चरण में समय का चक्र गतिमान लग रहा था, और माया प्रभावी। मैं नहीं चाहता था कि मेरे अकस्मात से कोई प्रभावित हो लेकिन ये हो न सका। सभी माया में संबंध के मायावी प्रलोभन में आसक्त थे। 

मुझे भी सब याद आ रहा है, कभी भी मैं कूच कर सकता हूँ, लेकिन ये पलायन नहीं था, ये स्वाभाविक और स्वीकार्य था। जीवन के गंतव्य के प्रभंजन से कौन बच सका था अबतक, स्वयम्भू भी उसके गत्य से खुद को अलग नहीं कर सके जब।"

मैं खो सा गया थ

"मुझे पता था ऐसा होने वाला है। जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबकुछ शान्त सा दिख रहा था। अभिनय के अंतिम चरण में समय का चक्र गतिमान लग रहा था, और माया प्रभावी। मैं नहीं चाहता था कि मेरे अकस्मात से कोई प्रभावित हो लेकिन ये हो न सका। सभी माया में संबंध के मायावी प्रलोभन में आसक्त थे। मुझे भी सब याद आ रहा है, कभी भी मैं कूच कर सकता हूँ, लेकिन ये पलायन नहीं था, ये स्वाभाविक और स्वीकार्य था। जीवन के गंतव्य के प्रभंजन से कौन बच सका था अबतक, स्वयम्भू भी उसके गत्य से खुद को अलग नहीं कर सके जब।" मैं खो सा गया थ

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Bhaskar Anand

डूब कर जो, बारिश में तुम गीला हुए थे कभी
आजकल धूप में वही कपडे सूखते नज़र आता है।

आजकल तुम डूबते नहीं, किसी मंजर में
मुझे तुम्हारा सब कुछ एक व्यतीत सा नज़र आता है


भास्कर #hindi #nojoto #nojotopoetry #shayari #experiance #life
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Bhaskar Anand

कहा था न तुमसे, की स्याही कुछ मलिन सा है
शायद कोई अभिव्यक्ति का भास्कर पनप रहा होगा।
मलिन सा चरित्र, उन्मुख हो आलोकित हो रहा है
प्रतिवेश का प्रारब्ध भी मानों अब सुशोभित होगा।।
लहरों का तन्मयता देखो अब संजाफ़ से प्रताड़ित है।
कोई संघर्ष का सामर्थ्य शायद समृद्ध हो रहा होगा।।
लड़ने की विवेचना भी अब विमर्षगामी है।
मुझे शक है कि कोई अब विवेक का मशाल जला रहा होगा।।
हाँ अब धरा ,गगन और पवन भी कुछ संगामी सा है
अंतर्द्वंद का प्रतिरूप शायद अब कोई हवन कर रहा होगा।।

कहा था न तुमसे, की स्याही कुछ मलिन सा है
शायद कोई अभिव्यक्ति का भास्कर पनप रहा होगा।

भास्कर अभिव्यक्ति का ओज
#nojoto #nojotohindi #bhaskarpoetry #हिन्दी

अभिव्यक्ति का ओज #Nojoto #nojotohindi #bhaskarpoetry #हिन्दी

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Bhaskar Anand

दीवाली,माँ और मैं दीवाली हमेशा से ही स्याह और काली रही है, इस बार भी कुछ अलग नहीं है। अमावस्या सैदव की तरह ऊर्जावान है और तटस्थ भी। मगर सदैव प्रकाश और उत्साह उसके स्याह को मलिन किये रहता था।  ये दीवाली हमारे लिए कुछ ज्यादा ही घनघोर और रंगहीन सा लग रहा है। वैसे ही जैसे स्याम रंग का प्रकृति है, सारे रंग को अवशोषित करने या अपने में समाहित करने की। ऐसा प्रतीत हो रहा है की ये वास्तविक में हमारे जिंदगी के सारे रंगो को लील लिया हो जैसे। प्रकृति का ये बदरंग दीवाली का शायद कोई विकल्प नहीं है, इसकी कोई क्

दीवाली,माँ और मैं दीवाली हमेशा से ही स्याह और काली रही है, इस बार भी कुछ अलग नहीं है। अमावस्या सैदव की तरह ऊर्जावान है और तटस्थ भी। मगर सदैव प्रकाश और उत्साह उसके स्याह को मलिन किये रहता था।  ये दीवाली हमारे लिए कुछ ज्यादा ही घनघोर और रंगहीन सा लग रहा है। वैसे ही जैसे स्याम रंग का प्रकृति है, सारे रंग को अवशोषित करने या अपने में समाहित करने की। ऐसा प्रतीत हो रहा है की ये वास्तविक में हमारे जिंदगी के सारे रंगो को लील लिया हो जैसे। प्रकृति का ये बदरंग दीवाली का शायद कोई विकल्प नहीं है, इसकी कोई क्

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Bhaskar Anand

अंतरमन की चिर व्यथा, जब मुखमंडल तक आया था
मेरा आभा गौण कहीं था,और विस्थापन ही छाया था
तब उस अन्तःरुदन में माँ तुम फिर से ढाँढस बन आयी थी
मेरे मन के अमावस में, कोई दीप प्रज्वलित करने धायी थी
भास्कर माँ
#diwali #me #maa #माँ
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Bhaskar Anand

https://youtu.be/cuk08jjtxp4

https://youtu.be/cuk08jjtxp4

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Bhaskar Anand

लहू का रंग लहू का रंग मेरा भी लाल था धमनियों में भी वही रक्त स्त्राव था हौसलों की उड़ानें मेरी भी मुकम्मल थी मुझमे भी वही जोश और सम्मान था हाँ लहू का रंग मेरा भी लाल था हवा, धरा और गगन मेरे लिए भी समान था

लहू का रंग लहू का रंग मेरा भी लाल था धमनियों में भी वही रक्त स्त्राव था हौसलों की उड़ानें मेरी भी मुकम्मल थी मुझमे भी वही जोश और सम्मान था हाँ लहू का रंग मेरा भी लाल था हवा, धरा और गगन मेरे लिए भी समान था

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Bhaskar Anand

 #nojoto #nknownpost #truth #teachersday #teachhumanity
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Bhaskar Anand

"वो कान्हा है" जो ब्रह्म है स्वयम्, ब्रह्माण्ड लिए जो स्वयम् में ही है सम्पूर्ण सदा वो मानव है, वो ज्ञानी भी वो शाम है और सवेरा भी वो लाल है माँ का प्यारा है वो तेजस्वी ललाट कान्हा है।

"वो कान्हा है" जो ब्रह्म है स्वयम्, ब्रह्माण्ड लिए जो स्वयम् में ही है सम्पूर्ण सदा वो मानव है, वो ज्ञानी भी वो शाम है और सवेरा भी वो लाल है माँ का प्यारा है वो तेजस्वी ललाट कान्हा है।

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