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pankajtarun4264
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Pankaj sharma Tarun

लेखक,कवि,

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Pankaj sharma Tarun

प्रदीप छंद।

जुल्मों  की  जंजीरें  तोड़ो,खुला हुआ मैदान है।

गद्दारों  को  गोली मारो ,घर इनका शमशान है।।


लूट रहे जनता की दौलत, समझे अपने बाप की।

जनता  भूखों  मरती  रोती, करें बुराई  आप की।।

फँसी हुई है सबकी अब तो,आफत में ही जान है।

दया नहीं है इनके दिल में,सचमुच  यह शैतान हैं।।

जुल्मों की जंजीरें......


धंधे  सारे  चौपट   होते, मनमाने   सब   भाव हैं।

महँगाई  भी  बढ़ती जाती,सबकी  डूबी  नाव  है।।

विद्यालय  पर  ताले  लटके,शिक्षा का अपमान है।

भ्रष्ट हुए हैं कुछ गुरु जन भी,दुखी बड़ी सन्तान है।।

जुल्मों की जंजीरें......


फिल्मी  बाला  है  अधनंगी, व्याभिचार में लिप्त है।

पालक मौन खड़े सब देखे,इनकी मति भी सुप्त है।।

वृद्धों  की  सुनता  कब  कोई, नहीं बचा सम्मान है।

शिक्षित हो कर भी सब देखो, बनते सब नादान  है।।


जुल्मों की जंजीरें तोड़ो,खुला हुआ मैदान है।

गद्दारों को गोली मारो,घर इनका शमशान है।।

पंकज शर्मा"तरुण".

पिपलिया मंडी मध्यप्रदेश।

©Pankaj sharma Tarun #Alive
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Pankaj sharma Tarun

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Pankaj sharma Tarun

#muktak #vedio
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Pankaj sharma Tarun

मुक्तक।

मुझे  भी  आपके दीदार की चाहत बनी रहती।

मुलाकातें  जो  होती हैं बड़ी राहत बनी रहती।।

क़सीदे  काढता  रहता  हुँ  मैं  तेरी मुहब्बत के।

सलीके से भरे जीवन की आदत भी बनी रहती।।

पंकज शर्मा "तरुण"

©Pankaj sharma Tarun # मुक्तक # hindipoetry

# मुक्तक # hindipoetry

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Pankaj sharma Tarun

#मुक्तक
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Pankaj sharma Tarun

घुड़की में आशीष है।
***************
जिनके  चरणों  में  जन्नत  है, घुड़की में  आशीष है।
माँ  ही  ममता  माँ ही मेरी,भगवन और जगदीश है।।

उँगली थामे चलना सीखा,मुख से पहला नाम लिया।
जब भी गिरता मैं धरती पर, मुझको तूने थाम लिया।।

त्याग  तपस्या  की  तुम  मूरत, वंदन बारम्बार करूँ।
इस जग में तुमसे ही माता,सबसे ज्यादा प्यार करूँ।।

कई अभागे इस धरती पर,मां से नफरत करते हैं।
इसे अकेला छोड़ जगत में, बीवी  पर ही मरते हैं।।

हर प्राणी को माँ की चाहत,है मिलती ममता सबको।
पूजा कर भगवान समझ कर,सुधर जरा भाई अबतो।।
पंकज शर्मा"तरुण". #MothersDay
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Pankaj sharma Tarun

दोहा।
ममता से बढ़ कर नहीं,नारी का श्रृंगार।
गहरे सागर सम हृदय,लहराता है प्यार।।
पंकज शर्मा "तरुण ".

©Pankaj sharma Tarun #MothersDay2021
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Pankaj sharma Tarun

घुड़की में आशीष है।
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जिनके  चरणों  में  जन्नत  है, घुड़की में  आशीष है।
माँ  ही  ममता  माँ ही मेरी,भगवन और जगदीश है।।

उँगली थामे चलना सीखा,मुख से पहला नाम लिया।
जब भी गिरता मैं धरती पर, मुझको तूने थाम लिया।।

त्याग  तपस्या  की  तुम  मूरत, वंदन बारम्बार करूँ।
इस जग में तुमसे ही माता,सबसे ज्यादा प्यार करूँ।।

कई अभागे इस धरती पर,मां से नफरत करते हैं।
इसे अकेला छोड़ जगत में, बीवी  पर ही मरते हैं।।

हर प्राणी को माँ की चाहत,है मिलती ममता सबको।
पूजा कर भगवान समझ कर,सुधर जरा भाई अबतो।।
पंकज शर्मा"तरुण".

©Pankaj sharma Tarun #MothersDay
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Pankaj sharma Tarun

दिनांक:-०७.०५.२२
आज का दोहा छंद।
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नज़र नहीं हटती कभी,इतना अद्भुत रूप।
कोटि कोटि वंदन करूँ,तुम देवों के भूप।।

औघड़ दानी शिव तुझे,कहते भोले नाथ।
दण्डवत  हो  करूँ नमन,रहना मेरे साथ।।

शिव महिमा जो गा रहे,पाते वह वरदान।
सन्त सभी फैला रहे,शिव पुराण से ज्ञान।।
पंकज शर्मा"तरुण".

©Pankaj sharma Tarun #hills
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Pankaj sharma Tarun

दिनांक:-०५.०५.२२
आज का दोहा छंद।
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झूठ सभी बोला करो,है मिलता  सम्मान।
सच्चे थर थर काँपते,यही आज का ज्ञान।।

कुर्सी से चिपके रहो, खाओ छप्पन भोग।
दिख  जाए जब कैमरा,करना यारा योग।।

जलने वाले हैं बहुत,मत करना परवाह।
हाथी  जैसी  चाल चल,भोंके कुत्ते राह।।
पंकज शर्मा"तरुण".

©Pankaj Tarun #Beauty
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