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shubhamvermapram1693
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Shubham Verma Pramod

लेखक,कवि,अध्यापक,छात्रनेता,सत्यान्वेषी

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Shubham Verma Pramod

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Shubham Verma Pramod

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Shubham Verma Pramod

#MyPoetry
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Shubham Verma Pramod

#Broken
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Shubham Verma Pramod

#Hope
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Shubham Verma Pramod

दोस्तों से शिकायतें होंगी ;
दुश्मनों से गिला नहीं होता !

परिंदे खुद बनाते हैं ; 
आसमानों में रास्ता नहीं होता !

मुहब्बत के मदरसे नहीं होते ; 
दर्द का फ़लसफ़ा नहीं होता !

फ़ितरतन गल्तियां करेगा वो ,
 आदमी खुदा नहीं होता !
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Shubham Verma Pramod

सोचो

चीन ने सबको महामारी कोरोना दे दिया।
दूर रहना मुँह छुपाना हाथ धोना दे दिया।
भीड़ में तनहाइयों को अब कहाँ ढूँढ़े शुभम
अनियंत्रित जन्मदर बेमौत खोना दे दिया।।

✍️शुभम वर्मा प्रमोद #corona
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Shubham Verma Pramod

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Shubham Verma Pramod

आज की शाम को कुछ यूँ बिताया जाए,
उनकी बेबफाई का कोई गीत नया गाया जाए।

खाली हो गया है दिल का कमरा मेरा,
उनकी यादों का कोई दीया जलाया जाए।

गली में सूनी लगती है अब दुकान मेरी,
इसको मोहब्बत के किसी बाजार में सजाया जाए।

हर दर्द का हिसाब आँसू बहाकर ही क्यों,
कुछ गमों को हँसकर भी भुलाया जाए।

बहुत जल चुका हूँ जमाने की आग में "प्रमोद",
मेरी लाश को अब दफनाया जाए।
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Shubham Verma Pramod

होशियार रहना कि चाल बहुत गहरी है,
जरा जोर से चिल्लाओ सरकार बहरी है।

दीवार से छिपाकर मुफलिसी अपनी,
दिखाते है तस्वीर जिसकी फ्रेम सुनहरी है।

बचाओगे कैसे खुद को सोच कर रखो,
वही है कातिल जो तुम्हारा पहरी है।

समझदार खूब समझते है इस बात को,
तरक्की मुल्क की कहाँ पर क्यों ठहरी है।

तंगी ए हालात है वो साफ नजर आतें है,
दिखाया है कि घास ज्यादा हरी है।

वाजिब नही मुत्मइन होना इतनी जल्दी,
जो मिजाज है वो आवाम का जरा़ लहरी है।

घर से निकले हो तो जरा तसल्ली रखो,
अभी तो सुबह है और बाकी दुपहरी है।

दर्द क्या समझेगे झोपडी़ के रहने वालों का,
जिनके पास बडी सी हवेली है।

ये अहल ए वतन के त्यौहार नही,
ये बारूद की दिवाली खून की होली है।

मद में डूबे,जनता का शोषण करती,
ये सरकार नही जुमलेबाजों की टोली है।

क्यों पढे़गे खून से लिखी फाइलों को,
मेज के नीचे लटकती पैसों की थैली है।

ये तो मातम में भी दीये जलातें है,
क्या जानें रात अभी बडी़ अधेंरी है।

आ तो गये हो मगर उम्मीद न रखना,
दिखावे का इंसाफ नाम की कचहरी है।

*शुभम वर्मा प्रमोद*
  हरदोई ,यूपी
8707767622
#मुफलिसी-गरीबी
#मुत्मइन -भरोसा करना सरकार बहरी है।

सरकार बहरी है। #कविता #मुफलिसी #मुत्मइन

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