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ambeshsalvi5365
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Ambesh Salvi

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Ambesh Salvi

White I miss you my love 💕💕
में तेरे बीना जी नही पा रहा हूं तेरी याद मुझको बहुत तड़पा रही है मेने कभी सोचा नहीं था कि मुझे तेरे बगैर भी कभी जीना पड़ेगा
मैं तेरी याद में हरपल रो रहा हूं मुझे महसूस हो रहा है कि tu मुझे देख रही है सायद तू भी मुझसे बात करने के लिए तड़प रही होगी
मेने कभी सोचा नहीं था कि तेरी मेरी कहानी ऐसे इस मोड़ पर आकर खतम हो जायेगी मेरा दिल हरपल तुझे हर जगह ढूंढ रहा है 😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢

©Ambesh Salvi
  #Free I love you Geeta ji😔😔😔😔🙏🙏🙏

#Free I love you Geeta ji😔😔😔😔🙏🙏🙏 #विचार

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Ambesh Salvi

#ishq
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Ambesh Salvi

जोधपुर महाराजा की बेटी का ब्याह अौर बाराती 16 हज़ार

मारवाड़ नरेश महाराजा तख़तसिंह जी की तीन राजकुमारियों का विवाह जयपुर महाराजा सवाई राम सिंह जी के साथ हुवा था । प्रथम विवाह विक्रम सम्वत् 1909 ( 1853 ईसवी ) में बाईजी लाल चाँद कँवर जी से उस समय जयपुर महाराजा रीवा विहाह करने पहले जाना चाहते थे लेकिन जोधपुर वालों ने उन्हें जोधपुर पहले विवाह करने के लियें बुला लिया । कहते हैं इसमें पीलवा के चम्पावत सरदार जीवराजसिंह जी की बड़ी भूमिका थी । आगे चलकर इनके तीनो बेटों को जयपुर में कानोता नायला ओर साँथा की जागीरें मिली । जनरल अमरसिंह जी बड़े प्रसिद्ध थे ।जिनकी डायरी विश्व प्रसिद्ध हैं ।

जब जयपुर महाराजा बारात लेकर पधारे तब उनके साथ पाँच हज़ार बाराती थे । हाथी पर सवार होकर जेठ सूद 13 को वें क़िले विवाह के लियें पधारे तब बालकृष्ण जी के मन्दिर के पास बारात मय जयपुर के लवाजमे के साथ पहुँची तब वर्षा शुरू हो गयी । वर्षा इतनी अधिक होने लगी की बारात के लोग इधर उधर होने लगे लवाजमा बिखर गया ओर महाराजा का हाथी पदमसर की घाटी चढ़ने लगा तब वहाँ खड़े सीरीमाली बोहरा रामसा ओर छोगोजी ने हाथी के दोनो दाँत पकड़ कर हाथी को फ़तह पोल के आगे ले आये । महाराजा ने प्रसन होकर उन्हें दूसरे देने डेरे आने को कहा । पोशाक भीग गयी नई पोशाक आयी लेकिन जयपुर महाराजा ने कहा की दूल्हा बनने के बाद पोशाक बदलने का रिवाज नहीं हैं । वे गीली पोशाक पहने ही विवाह के फेरो में बेठे । सर प्रताप ने अपनी आत्मकथा में लिखा हैं की हाथी के होदे में पानी भर गया था तो महाराजा बालसुलभ होकर उससे खेलने लगे थे ।

जयपुर महाराजा दुसरी बार सम्वत् 1920 ( 1863 ईसवी ) में महा वद 9 को जोधपुर विवाह के लियें पधारे जब बारात बीलाडा से आगे बढ़ी तब बारात में 16000 सोलह हज़ार बाराती थे ओर मारवाड़ के लोग बरात के साथ होते गये जब जोधपुर पहुँचे तब मारवाड़ के लोक सहित एक लाख लोग थे । यह दृश्य अत्यंत यादगार था । उस विवाह का साक्षी बनने के लियें पुरा मारवाड़ उमड़ पड़ा

महाराजा तख़त सिंह जी ने अपनी दो राजकुमारियाँ इंदरकँवर ओर केशर कँवर का विवाह जयपुर महाराजा से किया । जयपुर की बरात 29 दिन तक जोधपुर की मेहमान नवाजी मे रही । जोधपुर राज्य की हक़ीक़त बही में लिखा हैं की एक दिन एकादशी ( इग्यारस ) को सभी बारात ने उपवास रख लिया । तत्काल पेड़ा ओर कलाकन्द की मिठाई का प्रबन्ध किया गया ।

बही में लिखा हैं कई दिनो तक बारातीयो को जीमण में लाडु ओर मीठा भोजन दिया गया जिससे सभी ने महाराजा को निवेदन किया उन्हें सब्ज़ी रोटी का भोजन दिया जाये । 29 दिनो तक महाराजा जयपुर ओर उनकी बारात की ख़ूब आवभगत की गयी । जोधपुर महाराजा तो उन्हें होली तक रोकना चाहते थे लेकिन फाल्गुन वद 4 के दिन बारात को विदाई दी गयी । 
मारवाड़ के इतिहास में यह सबसे अधिक दिनो तक रुकने वाली बारात थी । इसके अनेक किसे कहानियाँ आज भी लोग  शहर में गाँवो में बड़े बुज़ुर्ग कहते रहते है

जयपुर महाराजा रामसिंह जी राजपूताना के पहले फोटोग्राफ़र  महाराजा थे उन्हें इसका बड़ा शोक था । उन्होंने जोधपुर प्रवास के समय अनेक फ़ोटो खिंचे थे जो जोधपुर के प्रथम छाया चित्र हैं । आज भी इन्हीं चित्रों से जोधपुर के पुराने क़िले शहर ओर राजपरिवार के खींचे फ़ोटो इतिहास लेखन के लिए सही प्रमाण प्रस्तुत करते हैं

जोधपुर के सर प्रताप अपने जीजा महाराजा जयपुर के बहुत निकट थे वे जयपुर ख़ूब रहे जिस कारण उन्होंने राज्य संचालन का अच्छा ज्ञान प्राप्त किया जिसका लाभ आगे चलकर जोधपुर की चार पीढ़ियों को मिला ।

©Ambesh Salvi
  #Sukha
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