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dineshuniyal3201
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Dinesh Uniyal

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Dinesh Uniyal

White अहंकार

अहंकार है जहां वहां 
रह सकता यह सत्कार नहीं
जिसको चाहो उसे बसा लो
मन है एक, दो चार नहीं

मन को उथल पुथल कर इसमे
कुछ भी नहीं तू पाएगा
अहंकार को मन में बसा कर
अपना सब कुछ गंवाएगा

अहंकार को मन में बसा कर 
रावण तू बन जाएगा
उस ईश्वर को मन में बसा ले 
मन पावन हो जाएगा

अहंकार के बस जाने से 
मन में दुर्गुण आ जाएगा
ईश्वर प्रेम को मन में बसा ले 
मन सद्गुण से भर जाएगा

अहंकार को जो अपनाएं 
जीवन में उसे अधिकार मिले
ईश्वरीय गुणों को जो अपनाता
उसे आदर और सत्कार मिले

अहंकार को छोड़ दे मानव 
मन में तू भगवान बसा
अहंकार के मिट जाने से 
होता है चमत्कार नया
        दिनेश उनियाल

©Dinesh Uniyal
  #अहंकार
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Dinesh Uniyal

जिंदगी का सबक


जब से स्कूलों की 
परीक्षा वाली घड़ी खत्म हुई 
तब से जिंदगी की 
परीक्षा वाली घड़ी शुरू हो गई
हर रोज कुछ नया 
अनुभव करा रही है जिंदगी 
बहुत कुछ नया सिखा रही है जिंदगी
हम खुद से खुद का साथ ना दे तो 
कोई साथ देता नहीं यहां 
हर पल यही बता रही है जिंदगी
सब अपने आप में गुम हैं 
दूसरे की परवाह नहीं किसी को 
जिंदगी का एक ही उसूल है 
यहां हमें गिरना भी खुद है 
तो हमें उठना भी खुद है
यही सबक हमें सिखा रही है जिंदगी

                     दिनेश उनियाल

©Dinesh Uniyal
  # जिंदगी का सबक

# जिंदगी का सबक #कविता

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Dinesh Uniyal

भोर भए पनघट पर

भोर भए पनघट पर कान्हा  
क्या तुम आज भी आते हो ?...
पनघट पर बैठी पनिहारी की
क्या मटकी फोड़ छुप जाते हो?...

वहां के जंगल जंगल में 
क्या अब भी गायों को चराते हो?...
दूध दही और माखन को
क्या अब भी तुम चुराते हो?...

सुध बुध खोए पशु पक्षी को
क्या मीठी तान सुनाते हो?...
अपने ग्वाल बालों के संग
क्या अब भी उधम मचाते हो?...

सही बताना कान्हा क्या तुम
अब भी यमुना तट में आते हो?...
अपने प्यारे भक्तों  को तुम
अपनी एक झलक दिखलाते  हो

मेरी विनती भी सुनलो तुम कान्हा
मुझसे मिलने आ जाना
भोर भए पनघट पर  कान्हा
मुझे दर्शन तुम दिखला जाना

              दिनेश उनियाल

©Dinesh Uniyal
  #Bhor bhaye
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Dinesh Uniyal

White उड़न खटोला

बढ़िया सा एक उड़न खटोला
मैं भी एक बनवाऊं
अपने बच्चों को संग लेकर
दूर गगन उड़ जाऊं
तारों की दुनिया में जाकर
सबसे उन्हें मिलवाऊं
सबसे अच्छा सुंदर पल
उनके यादों में बसवाऊं
अपने उस उड़न खटोले में
तारे भर भर लाऊं
सभी अनाथ बच्चों में
तारे खूब बटवाऊं
सारे बच्चों के जीवन में
खुशियां फिर ले आऊं
मैं अपने उड़न खटोले में
उन्हें चांद की सैर कराऊं


     दिनेश उनियाल

©Dinesh Uniyal
  #Emotional_Shayari
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Dinesh Uniyal

White पिता
पिता है तो सुखी संसार है
पिता एक उम्मीद है, एक आस है परिवार की हिम्मत और विश्वास है, ...
पिता हौसला है छायादार वृक्ष की तरह जो दिन भर धूप सहकर अपने बच्चों को छाया देता है, ...
पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है, ...
पिता बच्चों को उंगली पकड़ कर अपने पांव पर खड़ा कराता है, ...
उसे सिखाता है जिंदगी के फलसफे
पिता परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है, ...
पिता ज़मीर है पिता जागीर है
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है, ...
एक पिता ही है जो अपने बच्चों को कामयाब इंसान के रूप में देखना चाहता है, ...
पिता वह लाठी है जो बच्चों को सीधी राह में रखने के लिए हमेशा खड़ा है, ...
उन्हें सही राह दिखाने के लिए हर विपरीत परिस्थिति से लड़ा है, ...
पिता ही वह काया है जिसने बच्चों में संस्कार जगाया है, ...
पिता दिन भर ढोता है पीड़ाओं का पहाड़ और दर्द का समुंदर बहाता है, ...
अपना सुख चैन मिटा कर अपनी संतान के लिए लाता है, ...
चुटकी भर खुशी और चैन ...

                     दिनेश उनियाल

©Dinesh Uniyal
  #sad_quotes
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Dinesh Uniyal

White मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है,

ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है,

देकर आपकी आँखों में आँसू,

अक्सर अकेले में वो आपसे ज्यादा रोता है

                              दिनेश उनियाल

©Dinesh Uniyal
  #bike_wale
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Dinesh Uniyal

White मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है,

ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है,

देकर आपकी आँखों में आँसू,

अक्सर अकेले में वो आपसे ज्यादा रोता है

                              दिनेश उनियाल

©Dinesh Uniyal
  #bike_wale
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Dinesh Uniyal

White कहीं दूर निकल जाऊं
आज मन मेरा न जाने क्यों
उखड़ा उखड़ा सा लग रहा है
वक्त भी हाथों से मेरे अब
फिसला फिसला सा लग रहा है
कहीं दूर निकल जाऊं तन्हाइयों में
अपने हालातों को देखकर
खूब रोऊं और फिर मुस्कुराऊं
मन करता है कहीं भाग जाऊं
और मौत को गले लगा लूं
फिर सोचूं अभी नहीं
थोड़ा ओर आगे चलकर देख लूं
क्या पता आगे खुशियों का मेला
 दिनेश उनियाल

©Dinesh Uniyal


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