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arpitagnihotri5345
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Arpit Agnihotri

साहित्य को एक साधना स्वयं को एक साधक मानकर,,मैं जीवन के दर्पण में स्वयं का प्रतिबिंब निहारता मैं मानवीय मूल्यों से साक्षात्कार की खोज में हूँ 🙏🙏

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Arpit Agnihotri

#Flavor #Of #A #New #Journey
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Arpit Agnihotri

करवट ले रहा है ज़ेह्न में ये ख़्याल किसका
किसी की याद ने चुपके से जगाया है हमें

©Arpit Agnihotri
  #दिल_ए_एहसास
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Arpit Agnihotri

उनको भी ऐतबार कहाँ
ये हर रोज़ का सिलसिला है तो
दिल भी उनका अब तलबगार कहाँ

©Arpit Agnihotri
  #दिल_ए_एहसास
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Arpit Agnihotri

#हर_हर_महादेव
🚩🚩🙏🙏🚩🚩
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Arpit Agnihotri

किसी खुशी से अब वास्ता नहीं मेरा...

©Arpit Agnihotri
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Arpit Agnihotri

#खुद_की_ही_तलाश_में_और_खुद_से_बेख़बर
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Arpit Agnihotri

Love knows no difference अभी कोई दास्ताँ छोटी सी सुनाकर जाओ
फिर कभी आएंगे कोई कहानी मुकम्मल बनकर
              💞अर्पित ब्रजेन्द्र अग्निहोत्री💞 Just ♥️ Se

Just ♥️ Se

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Arpit Agnihotri

Love knows no difference अभी कोई दास्ताँ छोटी सी सुनाकर जाओ
फिर कभी आएंगे कोई कहानी मुकम्मल बनकर
              💞अर्पित ब्रजेन्द्र अग्निहोत्री💞 Just ♥️ Se

Just ♥️ Se

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Arpit Agnihotri

If you were together तलाश करते तो मिल जाता वो कहीं तुमको
आँख में क़तरा जो आवारगी में छोड़ आए थे
                  **अर्पित ब्रजेन्द्र अग्निहोत्री** दिल-ए-एहसास जो आँखों में छलक आता है

दिल-ए-एहसास जो आँखों में छलक आता है

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Arpit Agnihotri

क्या मर्ज़ी थी उसकी ख़ुदा जाने
मुझे चलना था और मैं चलता रहा

मुझे कहां थीं मयस्सर वो चांदनी रातें
हिज़्र की रात साथ थी मैं चलता रहा

कुछ दूर जाकर गुम हो गया साया भी
स्याह रात थी और मैं लड़ता रहा

कहीं तो रौशनी होगी कहीं सवेरा भी
बस यही सोच मैं बढ़ता रहा बढ़ता रहा

तेरी तलाश में क्या जाने क्या खो आया
वक्त दरिया था बहना था बहता रहा

अभी खत्म कहाँ थे ख़ार मेरी राहों के
कुछ टूटे कुछ चुभे मैं चलता रहा

कहां मुमकिन था तेरे साथ भी ठहर जाना
रेत सा रिश्ता-फिसलना था फिसलता रहा

 *अर्पित ब्रजेन्द्र अग्निहोत्री* सफ़र ज़िन्दगी के यूँ ख़त्म कहाँ होते हैं
मंज़िलें सामने होकर भी कहाँ मिलती हैं

सफ़र ज़िन्दगी के यूँ ख़त्म कहाँ होते हैं मंज़िलें सामने होकर भी कहाँ मिलती हैं

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