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vikashmishra6766
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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

कुछ ख़ास नहीं बस चलते रहना सीखा है...😊🚶✍🤗

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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

ram lala ayodhya mandir राम से मिलने जाओगे 
राम कौन है जानते हो
कहां मिलेंगे जानते हो
सुनो,,,,
त्याग प्रेम समर्पण 
और सबकुछ सह जाने की अंतिम सीमा को राम कहते है
पिता के वचनों की खातिर
बेटे के वनवास चुन लेने को राम कहते है
राम राम कह देने से राम तुम्हे मिल जायेगे
यह सत्य नहीं है
राम ने जो पथ निर्माण किया है
उस पथ पर तुमको चलना होगा
और पथ पर चलने की पहली ही शर्त है
तुमको मर्यादा में रहना होगा
धैर्य को तुम्हे पालना होगा
अहंकार को जलाना होगा
सबरी के जूठे बेर खाना होगा
केवट की जिद के आगे झुक जाना होगा
कितनी भी पीड़ा अंदर हो अंत तक मुस्कराना होगा
कितना भी शौर्य समाया हो प्रथम विनय ही करना होगा
बोलो क्या कर पाओगे 
राम से मिलने जाओगे
क्या बोले नहीं
नहीं ये ठीक नहीं है
जानते हो,,,,,
जिसने यह पथ निर्माण किया वह स्वयं में भगवान था
चाहता तो फूलों पर चल सकता था
पर कांटों पर चलकर कांटों का भरपूर सम्मान किया
चाहता तो क्रोध में आकर क्षण में ब्रह्मांड मिटा सकता था
पर रावण को जीने का हर मौका देकर अंत में संघार किया
राम रचे है सभी ऋचाओं में
राम बसे है दसों दिशाओं में
जब राम राम की पूर्ण तपस्या हो जायेगी
तब पाओगे
जिस राम को तुम खोज रहे हो
वह तुमको ही खोज रहा है
वह केवल राम ही है
जो राम राम को खोज रहा है

©Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^ #ramlalaayodhyamandir
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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

उन्हें देखने के लिए

मैं अक्सर गाड़ी का शीशा ठीक किया करता था

अब दूरी भी जरूरी थी और देखना भी जरूरी था

मुड़कर देखता तो बद्तमीजी होती 

और सामने से देखता तो जुर्रत

वह देखते तो सुकून

और हंस कर देखते तो कयामत

©Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^
  #sadak
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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

आखिर कितने रंगो से मुझे मोहब्बत होगी
नीला पीला हरा लाल
क्या वह जो रंग पहनेंगे 
उस रंग से मुझे मोहब्बत होगी

©Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^
  #tereliye
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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

हमारी संस्कृति जिन कंधो पर है
उन कंधो पर आधुनिकता का बोझ बढ़ गया
खुशियों और त्योहारों पर घर से दूर रहना
 नए दौर का जीना हो गया है
 वह छोटा था कब बड़ा हो गया
 पता नही
 रिश्ते सब डिजिटल हो गए
 हैप्पी हैप्पी सब फॉरवर्ड हो गया
 हम हंसते है तुम हंसते हो 
 चेहरे कैसे दिखते है 
 पता नही

©Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^
  #Kaarya#digital
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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

जाते हुए पलट कर देखना
याद है मुझे वो सड़क..... 
सूरज के साथ तुम्हारा निकलना
ढलते सूरज के साथ वापस आना
धीरे धीरे पेड़ के ओट में चांद हो जाना
याद है मुझे वो सड़क.....
बरसता हुआ पानी
पानी में तुम, तुम्हे देखता मैं
बादल और धरती का होता आलिंगन
याद है मुझे वो सड़क.....
हवा के झोंके से लहराते हुए बाल
गले से चिपका हुआ सफेद दुपट्टा
कान के झुमके पर टिकी पूरी कायनात
जैसे स्वर्ग की अप्सरा उतर आयी हो भूमि पर
याद है मुझे वो सड़क....
सड़क के किनारे लगी वो लाइट 
आज जली ही नही
चाय की दुकान पर देखो
भीड़ लगी ही नहीं
जैसे सबको पता हो तुम आओगे ही नहीं
एक मुझे छोड़कर 
मैं खड़ा हूं वहीं उसी मोड़ पर
क्या याद है तुम्हें वो सड़क....

©Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^
  #WoSadak
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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

सूरज कहता है यह उदय अस्त
मेरा होना है तेरा भी होना है
इसलिए तपों तुम मुझ जैसा
जलने का डर खोना है तुझसे सोना पिघलेगा
अंधेरा कितना भी छाया हो आखिर में तू चमकेगा

©Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^ #surya
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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

मेरी नजर में राम
धैर्य और साहस की पराकाष्ठा है
प्रेम और समर्पण का अतुलनीय उदाहरण है
सहनशीलता को परिभाषित करता हुआ जीवन है
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का अद्वतीय आभा और आकर्षण है

©Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^
  #ramsita
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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

happy friendship day

©Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^
  #Dosti
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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

एक उन्हे देखने की खातिर उनकी गली में भटकता हूं
कोई पूछे तो बताऊं अपना आराध्य देखने से कौन रोकता है
राह चलता हुआ एक शख्स हंस कर मुझसे बोला
ये कागज पर लकीर खींच देने से मकान थोड़े बनता है

©Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^
  #galiyaan
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Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^

मेरे अन्दर उसकी यादों का
एक उबाल उठ रहा था 
बगल में बैठा कोई 
चाय की चुस्कियां ले रहा था

©Vikash Mishra^⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠_⁠^
  #chai
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