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simranchadha1606
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Simran Chadha

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Simran Chadha

White                   "Vote with Choice"

                Old Team - No Voice
               New Team- Your Voice

©Simran Chadha
  #mountain
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Simran Chadha

ke ache insaan bnna maa ka khal rkhna teri maa ko bhot lado se pala hai maine jaise teri maa ne tuje pala hai tu uski aulad hai jo meri saanso me basti hai.....

©Simran Chadha
  Nani
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Simran Chadha

"दिल  -ए - नादान "

अब  ना  इन्कार  ना ही  कोई  बहाना  होगा 
दिल -ए -बीमार  तुझे  हंस  के  दिखाना  होगा 

जब  भी  मचलेंगे  मेरे  हाथ  तुझे  छूने  को 
तेरी  धड़कन  तो  महज़  एक  बहाना  होगा 

अपने  कुछ  शिकवे  शिकायत  ही  बचा  के  रख  लो 
तुम  को  सौ  बार  यहां  लौट  के  आना  होगा 

पहले  अपना  था  मगर  अब  है  अमानत  उसकी 
अब  तो  इस  दिल  के  भी  नाजों  को  उठाना  होगा

बात  उनको  ही  मनाने  की  नहीं  है  ए  संग 
मसला  यह  है  के  खुद  को  भी  मनाना  होगा

©Simran Chadha together

together #Shayari

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Simran Chadha

"फरियाद "

नये साल पे बाबाजी थोडी महर करदो 
इंसान को माफ कर हम सबकी खुशियां ढेर करदो........

जो भी गलती हुई है हमसे उसकी बहुत सज़ा मिल चुकी है 
कितनो का अपनो से साथ छूटा तेरा बन्दा टूटा है दुखी  है
  
कितनो ने अपनो को खोया है 
आखिरी घड़ी में हाथ लगाने को तरसा और रोया है

गरीब से अचानक रोटी छिन गयी 
मीलों चले नंगे पाओं खाली पेट ही अपने परिवार को ढोया है.........

अपने इंसान को माफ कर वापिस देदो वो खुशियां 
जो डूब चुकी है पार लगादे वो लुटिया.........

हाथ जोड़कर तेरे चरणों में हैं खड़े 
माफी मांग रहे हैं और बुन रहे हैं नये साल के सपने बड़े ............

अब कोई अपनो को ना खोये ना ही कोई खाली पेट सोये 
बस अब चाहता तेरा इंसान है अच्छे कर्मों के  बीज  बोये ............

©Simran Chadha #fariyad
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Simran Chadha

"फरियाद "

नये साल पे बाबाजी थोडी महर करदो 
इंसान को माफ कर हम सबकी खुशियां ढेर करदो......

जो भी गलती हुई है हमसे उसकी बहुत सज़ा मिल चुकी है 
हमसे गलतियां  बहुत हुई हैं जिनकी वज़ह से हम सब दुखी हैं.......  

कितनो ने अपनो को खोया है 
आखिरी घड़ी में हाथ लगाने को तरसा और रोया है

गरीब से अचानक रोटी छिन गयी 
मीलों चले नंगे पाओं खाली पेट ही अपने परिवार को ढोया है.........

अपने इंसान को माफ कर वापिस देदो वो खुशियां 
जो डूब चुकी है पार लगादे वो लुटिया.........

हाथ जोड़कर तेरे चरणों में हैं खड़े 
माफी मांग रहे हैं और बुन रहे हैं नये साल  के सपने बड़े ............

अब कोई अपनो को ना खोये ना ही कोई  खाली पेट सोये 
बस अब चाहता तेरा इंसान है अच्छे कर्मों के  बीज  बोये ............

©Simran Chadha #Fariyaad 

#bye2020
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Simran Chadha

"फरियाद "
नये साल पे बाबाजी थोडी महर करदो 
इंसान को माफ कर हम सबकी खुशियां ढेर करदो......

जो भी गलती हुई है हमसे उसकी बहुत सज़ा मिल चुकी है 
हमसे गलतियां  बहुत हुई हैं जिनकी वज़ह से हम सब दुखी हैं.........

कितनो ने अपनो को खोया है 
आखिरी घड़ी में हाथ लगाने को तरसा और रोया है
गरीब से अचानक रोटी छिन गयी 
मीलों चले नंगे पाओं ही अपने परिवार को ढोया है.........

अपने इंसान को माफ कर वापिस देदो वो खुशियां 
जो डूब चुकी है पार लगादे वो लुटिया.......

हाथ जोड़कर तेरे चरणों में हैं खड़े 
माफी मांग रहे हैं और बुन रहे हैं नये साल के सपने बड़े ............

अब कोई अपनो को ना खोये ना ही कोई खाली पेट सोये 
बस अब चाहता तेरा इंसान है अच्छे कर्मों के  बीज  बोये ............

©Simran Chadha #Hope
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Simran Chadha

"किसान"

कर्ज़ मे डूबी हुई पहचान हूं,
देश की हूं जान खुद बेजान हूं
वोट वाले दिन तो मै भगवान हूं
ख़ूं  से सीचूं खेत शक्तिमान हूं
लटक कर फ़न्दो से देता जान हूं
देश का अभिमान और सम्मान हूं
हिन्द हूं भारत हूं हिन्दोस्तान हूं
भूखा अन्नदाता हूं और हैरान हूं
राजनीति भी अजब सा खेल है
जाने क्यों कहतें हैं  मै शैतान हूं
मै सियासत से हूं बस मारा गया
कर्म से मै वीर हूं ,मै शान हूं
सात दशकों से मै चुप लुटता रहा,
सर उठाया ,कहते हैं हैवान हूं
सब्र मेरे को को न परखो और तुम
उठ गया तो प्रलय हूं तूफा़न हूं ।।

©Simran Chadha #


#Supportfarmmers
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Simran Chadha

मजदूर

गाँव के हरे भरे खेतों  को  छोड़ 
निकला था शहर नये भाविष्य  की  ओर.......
ठीक ठाक कमाने लगा  था 
दो वक़्त की रोटी खा घर चालाने लगा था...... 
एक दिन अचानक कुछ हुआ ऐसा 
मोहताज खाली जेब नहीं था एक भी पैसा..... 
सारकारें बोलती रहीं हम साथ हैँ 
मदद  करेंगे 
खाली पेट कब तक रहते 
दम कैसे भरेंगे........ 
हाथ  जोड़े पेरों  में गिरके  
मांगी  मदद 
ना दिखी कोई उम्मीद तो 
पैदल ही नाप दी सड़क....... 
मीलों चले कई दिन चले 
पहुँचे थे अपने गाँव में 
ठोकर पड़ी तो तय किया 
ज़िन्दगी  कटेगी अब यहीं पीपल की छावं में ......... #mazdoor
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Simran Chadha

Dedicated to all my Shaheed Jawans.....

सरहद पे खड़ा सोचता हूँ मैं माँ बाबा कैसे रहेंगे

हमसफ़र मेरी ,औलाद मेरी, मेरी शहीदी कैसे सहेंगे.....

नीले आसमान  का यूँ शोर  मचाना 

बंदूक और  मिसाइल का खेल बंद करो.....

गूंजी फ़िज़ाओं का यूँ समझाना

बस करो अब तो लाशों के ढ़ेर से डरो.......

मैं भी जीना चाहता हूँ , मेरे भी तो सपने हैं

फिर क्यों आया तिरंगे में लिपटे हुए मैं ,मेरे पीछे भी तो मेरे

 अपने हैं.....

By Simran Chadha
wisdom@fb #IndianArmy
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Simran Chadha

इंसान ने चाहा इंसान से डरूँ
कशमकश में था चाहत किसकी पूरी करूँ........
दुनियां को सितारा तारोँ में देखना था
मेरा सूकून तो माँ की गोद में लेटना था......... #SushantSinghRajput
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