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nareshsinghrawat2224
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Naresh singh rawat

मौत के पास भी जा कर देखा है, मैंने भी दिल लगा कर देखा है!! इश्क की कीमत पूछ लो मुझसे, मैंने घर तक लुटा कर देखा है!!

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Naresh singh rawat

हे जिंदगी मेरा तुझसे एक वास्ता है।
जन्म से मौत की तरफ ले जा रहा तू एक रास्ता है।।
थोड़े से दर्द, थोड़े से सुकून की दास्तां हैं।
मानो यह एक गहरी आस्था है।।

©Naresh singh rawat
  हे जिंदगी मेरा तुझसे एक वास्ता है।
जन्म से मौत की तरफ ले जा रहा तू एक रास्ता है।।
थोड़े से दर्द, थोड़े से सुकून की दास्तां हैं।
मानो यह एक गहरी आस्था है।।

हे जिंदगी मेरा तुझसे एक वास्ता है। जन्म से मौत की तरफ ले जा रहा तू एक रास्ता है।। थोड़े से दर्द, थोड़े से सुकून की दास्तां हैं। मानो यह एक गहरी आस्था है।। #शायरी

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Naresh singh rawat

मुक्कमल तेरी राहों में

©Naresh singh rawat
  कल एक झलक जिंदगी को देख,
वो राहो पे मेरी गुनगुना रही थीं..

फिर ढूंढा उसे इधर उधर,
वो आँख मिचौली कर मुस्करा रही थीं..

एक अरसे के बाद आया मुझे करार,
वो सहला के मुझे सुला रही थीं...

कल एक झलक जिंदगी को देख, वो राहो पे मेरी गुनगुना रही थीं.. फिर ढूंढा उसे इधर उधर, वो आँख मिचौली कर मुस्करा रही थीं.. एक अरसे के बाद आया मुझे करार, वो सहला के मुझे सुला रही थीं... #कविता

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Naresh singh rawat

" स्पर्श "
                ■■■
कहा गया स्पर्श इंसानियत का.?
कहा गया वो स्पर्श जिंदगानी का..?
कहा गया वो स्पर्श जिम्मेदारियों का..?
कहा गया वो स्पर्श इरादों का..?
दृष्टि जीवन की खो ना जाएं
चेतना जीवन की सो ना जाए
क्या विरासत में केवल धन छोड़ कर जाएगें
स्पर्श संस्कार के भी तो बच्चों के हिस्से आएंगे
तेरे संस्कार तेरी पीढ़ी की पहचान कराएगी
जिंदगी को यहीं तो देखना है....
तू किस किस को अपनी मौत पे रुला के जाएगा।।


     आवाज दिल की जज्बात कलम से
     नरेश सिंह रावत

©Naresh singh rawat
  " स्पर्श "
                ■■■
कहा गया स्पर्श इंसानियत का.?
कहा गया वो स्पर्श जिंदगानी का..?
कहा गया वो स्पर्श जिम्मेदारियों का..?
कहा गया वो स्पर्श इरादों का..?
दृष्टि जीवन की खो ना जाएं
चेतना जीवन की सो ना जाए

" स्पर्श " ■■■ कहा गया स्पर्श इंसानियत का.? कहा गया वो स्पर्श जिंदगानी का..? कहा गया वो स्पर्श जिम्मेदारियों का..? कहा गया वो स्पर्श इरादों का..? दृष्टि जीवन की खो ना जाएं चेतना जीवन की सो ना जाए #कविता

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Naresh singh rawat

लगी थी हमें, प्यास बुझाने की आस ;
इसलिए बैठे रहे हम, उस झील के पास |
सब्र की भी परीक्षा है ये,
जो बैठे है वो इस मार्ग में आज.....
लगे हम होने क्यों बैचैन,
जो दूर ना होते, इक पल को भी...
उस जल के ख़ास ;
                            -"

©Naresh singh rawat
  लगी थी हमें, प्यास बुझाने की आस ;
इसलिए बैठे रहे हम, उस झील के पास |
सब्र की भी परीक्षा है ये,
जो बैठे है वो इस मार्ग में आज.....
लगे हम होने क्यों बैचैन,
जो दूर ना होते, इक पल को भी...
उस जल के ख़ास ;
                            -"

लगी थी हमें, प्यास बुझाने की आस ; इसलिए बैठे रहे हम, उस झील के पास | सब्र की भी परीक्षा है ये, जो बैठे है वो इस मार्ग में आज..... लगे हम होने क्यों बैचैन, जो दूर ना होते, इक पल को भी... उस जल के ख़ास ; -" #कविता

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Naresh singh rawat

मंजिल
★★★★

ना किसी से ऊपर उठने का इरादा
ना किसी को नीचे करने की फितरत
बह चलों नदी की तरह नाचते झूमते
खुद को सागर बनाने का सपना लेकर।
आसान ना होगा गहरे पानी का ये सफर
पहुँचने की चाहत तुम्हें तैरना सीखा देगी
तुम बस रखो अपनी नजर मंजिल पर
चट्टानें अपना सीना चीर तुम्हें रास्ता बनाकर देगी।।

आवाज दिल की जज्बात कलम से
नरेश सिंह रावत

©Naresh singh rawat
  मंजिल

मंजिल #कविता

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Naresh singh rawat

मैं तो  जलने को तैयार  हूँ कोई  जलाए मुझको। 
मेरे सामने  ही  मेरी  चिता  में   सुलाये  मुझको। 

रिश्तेदारों   को  खुश  करने  में  ये  उमर  बीती। 
कैसे  नाराज  होंगे   यह   कोई  बताए  मुझको। 

थक गया हूं दुनिया का  दस्तूर निभाते  निभाते। 
इनकी  आगोश  से  अब  कोई  छुड़ाए  मुझको। 

वजूदो-अदम की फिकर अब करे कौन यहाँ पर। 
इसका खौफ  अब  न   कोई    दिखाए  मुझको। 

अब इस किराये के  मकां  में दम  घुटता है मेरा। 
मेरे अपने घर का रस्ता  तो  कोई बताए मुझको

- ✍🏻...नरेश सिंह रावत

©Naresh singh rawat
  मैं तो  जलने को तैयार  हूँ कोई  जलाए मुझको। 
मेरे सामने  ही  मेरी  चिता  में   सुलाये  मुझको। 

रिश्तेदारों   को  खुश  करने  में  ये  उमर  बीती। 
कैसे  नाराज  होंगे   यह   कोई  बताए  मुझको। 

थक गया हूं दुनिया का  दस्तूर निभाते  निभाते। 
इनकी  आगोश  से  अब  कोई  छुड़ाए  मुझको।

मैं तो जलने को तैयार हूँ कोई जलाए मुझको। मेरे सामने ही मेरी चिता में सुलाये मुझको। रिश्तेदारों को खुश करने में ये उमर बीती। कैसे नाराज होंगे यह कोई बताए मुझको। थक गया हूं दुनिया का दस्तूर निभाते निभाते। इनकी आगोश से अब कोई छुड़ाए मुझको। #कविता

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Naresh singh rawat

"जिंदगी ने बहुत कुछ सीखा दिया"
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
● गरीब दूर तक चलता है.. खाना खाने           के लिए...!
● अमीर मिलो चलता है..खाना पचाने के लिए..!
● किसी के पास खाने के लिए... एक वक्त की रोटी नहीं है..।
● किसी के पास खाने के लिए.. वक्त नहीं है..।
● कोई लाचार हैं.. इसलिए बीमार है..।
कोई बीमार हैं..।इसलिए लाचार हैं..।
● कोई अपनो के लिए..।रोटी छोड़ देता है..।
● कोई रोटी के लिए..।अपनों को छोड़ देते हैं..।
● ये दुनिया भी कितनी निराली है।कभी वक्त मिले तो सोचना..।
● कभी छोटी सी चोट लगने पर रोते थे..आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते हैं..।
● पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे.. आज दोस्तों की यादों में रहते हैं..।
● पहले लड़ना मनाना रोज का काम था..आज एक बार लड़ते हैं तो रिश्ते खो जाते हैं..।
● सच में जिंदगी ने बहुत कुछ सीखा दिया,जाने कब हमको इतना बड़ा बना दिया।

©Naresh singh rawat
  जिंदगी बड़ी अलबेली है

जिंदगी बड़ी अलबेली है #कविता

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Naresh singh rawat

मातृभूमि के लिए चाहे मुझे हजार बार भी मृत्यु का सामना करना पड़े, मुझे खेद नहीं होगा। हे प्रभु, मुझे भारतवर्ष में सौ जन्म दे लेकिन मुझे यह भी दे कि मैं हर बार मातृभूमि की सेवा में अपना जीवन त्याग दूं। 

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©Naresh singh rawat
  मेरे जज्बातों से,मेरी कलम इसकदर वाकिफ हो जाती हैं
में इश्क भी लिखना चाहू, तो इंकलाब लिख जाती हैं

मेरे जज्बातों से,मेरी कलम इसकदर वाकिफ हो जाती हैं में इश्क भी लिखना चाहू, तो इंकलाब लिख जाती हैं #कविता

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Naresh singh rawat

में आंख खोलू तो चेहरा 
मेरे पिता का हो

आंख बंद हो तो सपना 
मेरे पिता का हो

में मर भी जाऊं तो
कोई गम नही

लेकिन सामने बैठे हो
वो चेहरा मेरे पिता का हो ...❤️

©Naresh singh rawat
  मेने कभी भगवान को नही देखा है लेकिन भगवान जरूर माँ बाप जैसे ही दिखते होंगे

मेने कभी भगवान को नही देखा है लेकिन भगवान जरूर माँ बाप जैसे ही दिखते होंगे #कविता

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Naresh singh rawat

मेरी पीड़ा मुझसे ना पूछो, मैं खुद के घर में दण्डित बिंदू हूं !
मुझे बचाने कोई ना आया,हां मैं 'कश्मीरी हिन्दू' हूं !!

©Naresh singh rawat
  प्रताड़ित कश्मीरी हिंदू पंडित

प्रताड़ित कश्मीरी हिंदू पंडित #शायरी

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