कुछ पिंजरे मे कैद चिड़ियों की तरह, आंखों मे डर का सैलाब लिए..
कुछ आज़ाद परिंदे के जैसे, बेसब्री और समंदर भर ख़्वाब लिए..
कुछ रह जाती हैं चारदीवारी मे, कुछ किरण, हिमादास बन जाती हैं..
कुछ अनकही कहानी सी, कुछ इतिहास बन जाती हैं..
इन्हें आज़ाद जीवन दो, ये क्या नहीं कर पाएँगी..
ये बेटियां हर मोड़ पर नए रूप में नज़र आयेंगी..
- 'अयाची'
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