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anshu8927480801635
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illiterate Indian(अनपढ़)

अरे दोष क्यों देते हो भगवान को मौत तो सबसे बड़ा वरदान है नया जीवन देती है इंसान को अनपढ़भारतीयइटावा उत्तर प्रदेश

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illiterate Indian(अनपढ़)

नजरों ने आपके कमाल कर दिया है
 
इस हंसी ने तुम्हारी एकांत कर दिया है

अब कहूं तो कहूं क्या ए दोस्तों 

हरी-भरी जमीन को वीरान कर दिया है।

©illiterate Indian(अनपढ़)
  #StandProud
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illiterate Indian(अनपढ़)

सावन की पहली बौछार पर 
झूम झूम कर गा उठता है फूल भी 
किंतु तुम्हारे अटल मौन के सामने 
मेरी वाणी का पौरुष अधिकार है 
तो क्या मैं स्वीकार करूं यह आज से 
यहां मौन है जीत, मुखरता हार है।।

©illiterate Indian(अनपढ़)
  #DarkWinters
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illiterate Indian(अनपढ़)

हमारी स्वतंत्रता ही हमारा जीवन है। 
और हमारा व्यवहार ही हमारी पूंजी, 
हमारी नेकनीयत ही हमारा चरित्र है।
हमारी सोच, विचार ही हमारा भविष्य है हमारा यह क्षणभंगुर शरीर ही हमारा राष्ट्र पुरुष भारत है!!

©illiterate Indian(अनपढ़)
  #RepublicDay
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illiterate Indian(अनपढ़)

सब कुछ है यहां, 
पर आप कुछ भी नहीं है 
जब आप ही ना हो इस जहां में  
तो फिर अब कुछ भी नहीं है !!

©illiterate Indian(अनपढ़)
  #SAD
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illiterate Indian(अनपढ़)

सभ्यता 
सभ्यता केवल हुनर के साथ 
ऐब करने का नाम है।
आप बुरे से बुरा काम करें,
लेकिन अगर आप उस पर पर्दा डाल सकते हैं, 
तो आप सभ्य हैं, 
सज्जन है, जैंटलमैन है।
अज्ञात

©illiterate Indian(अनपढ़)
  #Mountains
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illiterate Indian(अनपढ़)

प्रकृति हूं मैं-

तुम ना मुझको बांध पाओगे !

स्वच्छंद हूं मैं !!

अनपढ भारतीय इटावा (उत्तर)

प्रदेश)

©illiterate Indian(अनपढ़)
  #SunSet
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illiterate Indian(अनपढ़)

चिंता से चतुराई घटे 
दुख से घटे शरीर
पाप से धनलक्ष्मी घटे 
कह गए दास कबीर!!
कबीरदास जी

©illiterate Indian(अनपढ़)
  #Likho
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illiterate Indian(अनपढ़)

अर्थ अर्थात धन, वैभव और इंद्रिय सुख की 
सभी वस्तुएं अंतिम और निकृष्ट कोटि में आती है 
धन से इंद्रिय भोग की विभिन्न वस्तुएं प्राप्त की जा सकती है।
इसलिए इस अर्थ के युग में सब लोग 
अधिकाधिक धन येनकेन प्रकारेण अर्जित करने में व्यस्त हैं।

धन सुख का साधन है अवश्य-
किंतु उसमें सबसे बड़ी दुर्बलता यह है 

कि बड़े परिश्रम और कष्ट से अर्जित हुआ धन 
उस समय मिट्टी जैसा रह जाता है।
जब इंद्रियां असमर्थ और मन क्षुब्ध होता है 
रोग और वृद्धावस्था में कोई भोग्य वस्तु रुचिकर नहीं लगती।
भंडार में वे सब निरर्थक रह जाती है।
अज्ञात

©illiterate Indian(अनपढ़)
  #chaand
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illiterate Indian(अनपढ़)

धरती मां!!

धरती मां का रोना रोकर, 
खुद ही उसका मूल्य लगाते 
अपने लालच स्वार्थ की खातिर 
अपनी मां का चीर हरण कराते, 
फिर भी इस मानव को 
तनिक भी शर्म ना आती 
फिर भी इस विकसित मानव को देखो 
खुद ही इस में फंसता जाता 
और इसी का जश्न मनाता 
यही 21वीं सदी का इंसान कहाता ??

©illiterate Indian(अनपढ़)
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illiterate Indian(अनपढ़)

सूरज ढलता है तो दिल में एक ठीस उठती है 
यादें धुंधली सी होती है और दिल में एक हूक सी उठती है
रात बढ़ती है तो दिल पर बोझ सा बढ़ता है 
मानो दिल पर पत्थरों की बौछार उठती है!!

©illiterate Indian(अनपढ़)
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