Nojoto: Largest Storytelling Platform
kapilyadav5990
  • 16Stories
  • 32Followers
  • 105Love
    18Views

kapil yadav

  • Popular
  • Latest
  • Video
a902e4f6997f9c64db39b76db36e33f0

kapil yadav

रिश्तों में दरार सोचता हूँ दोस्तों के खिलाफ कुछ फत़वे जारी 
किए जाए 
इसी बहाने उनकी आवाज सुनने को मिलेगी ....
a902e4f6997f9c64db39b76db36e33f0

kapil yadav

एक रोज हम भी तुझे चलती रेल से बरेली के उन मकानों  में  देखा  करते  थे,
जो शहर के किनारे  लोगों  की आवाजों  से बहुत दूर बसे  थे ।
 तुझे  देखते थे ,मुस्कुराते  थे 
बारिश  में  रेल  की  पटरियों  पे नहाते थे  ।
जब  कभी  भी  अब  उस रास्ते  से  सफर  हो  तो ड़र  जाता  हूँ, 
न जाने क्यों  मैं  अपने  ही  घर में  बदल जाता  हूँ, 
शहर में अब  गाँव  की बात हो 
तो न जाने  क्यों  डर जाता  हूँ  ... #इश्क
#विचार
a902e4f6997f9c64db39b76db36e33f0

kapil yadav

एक रोज हम भी तुझे चलती रेल से बरेली के उन मकानों  में  देखा  करते  थे,
जो शहर के किनारे  लोगों  की आवाजों  से बहुत दूर बसे  थे ।
 तुझे  देखते थे ,मुस्कुराते  थे 
बारिश  में  रेल  की  पटरियों  पे नहाते थे  ।
जब  कभी  भी  अब  उस रास्ते  से  सफर  हो  तो ड़र  जाता  हूँ, 
न जाने क्यों  मैं  अपने  ही  घर में  बदल जाता  हूँ, 
शहर में अब  गाँव  की बात हो 
तो न जाने  क्यों  डर जाता  हूँ  ... #इश्क
#विचार
a902e4f6997f9c64db39b76db36e33f0

kapil yadav

एक रोज हम भी तुझे चलती रेल से बरेली के उन मकानों  में  देखा  करते  थे,
जो शहर के किनारे  लोगों  की आवाजों  से बहुत दूर बसे  थे ।
 तुझे  देखते थे ,मुस्कुराते  थे 
बारिश  में  रेल  की  पटरियों  पे नहाते थे  ।
जब  कभी  भी  अब  उस रास्ते  से  सफर  हो  तो ड़र  जाता  हूँ, 
न जाने क्यों  मैं  अपने  ही  घर में  बदल जाता  हूँ, 
शहर में अब  गाँव  की बात हो 
तो न जाने  क्यों  डर जाता  हूँ  ... #इश्क
#विचार
a902e4f6997f9c64db39b76db36e33f0

kapil yadav

एक रोज हम भी तुझे चलती रेल से बरेली के उन मकानों  में  देखा  करते  थे,
जो शहर के किनारे  लोगों  की आवाजों  से बहुत दूर बसे  थे ।
 तुझे  देखते थे ,मुस्कुराते  थे 
बारिश  में  रेल  की  पटरियों  पे नहाते थे  ।
जब  कभी  भी  अब  उस रास्ते  से  सफर  हो  तो ड़र  जाता  हूँ, 
न जाने क्यों  मैं  अपने  ही  घर में  बदल जाता  हूँ, 
शहर में अब  गाँव  की बात हो 
तो न जाने  क्यों  डर जाता  हूँ  ... #इश्क
#विचार
a902e4f6997f9c64db39b76db36e33f0

kapil yadav

मेरे कुछ अजीज दोस्त
 शाम होते ही किताबों में नजर आते थे।
वो आज-कल न जाने  क्यों , 
पूरी  रात छत पे नजर  आते  है  ।

सुना  है  उसके  घर की  छत पे ,
शाम  को सन्नाटा  रहता  है।
सो खुले आसमां का बहाना करके
न जाने  किसके ख्वाब  की  अपने  दिल  में  मोमबत्तीयाँ जलाता  है। 
रात को उसे  नींद आए  भी तो कैसे
वो एक आवाज  फिर तो हर गीत
उसे सुने  से लगते  होगे।
फिर क्या मंजिल है, क्या  मुकद्दर  है
सब सावन के महीने  से लगते होगे।

सुबह होते  ही वो उसकी तस्वीर  देखकर  चाय पीता  होगा। 
शहर के मकानों  में  शायद वो अपना  गाँव ढूँढता  होगा......
a902e4f6997f9c64db39b76db36e33f0

kapil yadav

रात को छत सन्नाटें की गोद में  सो जाती है 
तेरी  करवटे न जाने किस नशे में  खो जाती  है 
तू मेरे सामने आई थी कल -परसों आज क्या है
आज क्या है आज कोई ओर बात हो जाती है 
मैं  भी तेरी  तरह सोचता  हूँ कभी कभार तभी शायद 
दिन में  कभी रात में  बात हो जाती  है  
तुम मुझसे  मिलती हो  
तो अच्छा  है 
नहीं  तो  मेरी  भी किसी  ओर शख्स  से बात हो जाती  है 
तुम मुझे  रात का चाँद न समझो  
अब तो चाँद  की भी  सूरज से बात हो जाती  है 
शहर की इमारतों में  तू बड़ी  खुश  रहती  है 
खैर मेरी  अब भी गाँव के मकानों से बात हो जाती है

a902e4f6997f9c64db39b76db36e33f0

kapil yadav

एक शहर था मेरे दिल के अंदर 
अब वो कितना विरान लगता है 
जैसे मुझे अपना  ही घर कब्रितान लगता है #gif #ghar
a902e4f6997f9c64db39b76db36e33f0

kapil yadav

एक शहर था मेरे दिल के अंदर 
अब वो कितना विरान लगता  है 
जैसे मेरा घर ही कब्रितान लगता है #gif #love
a902e4f6997f9c64db39b76db36e33f0

kapil yadav

कोई ख़्वाब है कोई इल्तिजा नहीं 
 मैं तेरे पास हूँ कोई मशवरा नहीं .... #nojot# poetry # rekhta # shayri ...
कोई ख्वाब है

#nojot# poetry # rekhta # shayri ... कोई ख्वाब है

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile