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nitinnandantiwar4416
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NiTiN NaNDaN

YaRa RaB

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NiTiN NaNDaN

तेरी यादो में, मैं ऐसा घूमा प्रिय ! 

जैसे कंगन घुमाया हो तुमने कभी !!

•••नितिन नन्दन

©NiTiN NaNDaN
  हमराह

हमराह #Shayari

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NiTiN NaNDaN

हे राम सिया के राम सुनो, 
बस इतना भाव - विभोर कर दो। 
जब खुले नयन तो आप दिखो, 
जब ढले नयन तो याद रहो ।।

              •••नितिन नंदन

©NiTiN NaNDaN
  #PhisaltaSamay एक मार्ग

#PhisaltaSamay एक मार्ग #Poetry

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NiTiN NaNDaN

अपनी बातों को अपनों से कहने के लिए ।

मैं मरता रहता हूँ तुझमे जिंदा रहने के  लिए ।।

©NiTiN NaNDaN
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NiTiN NaNDaN

*लोग संग रहने का अब मन नहीं बनाते,*




 *वो घर तो बनाते हैं, आंगन नहीं बनाते।*

©NiTiN NaNDaN
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NiTiN NaNDaN

Even when a woman feels sad, her heart is filled
 with compassion. His face is sad, neither any family
 member can read nor there is a mirror in the house. 
She gently hums some songs softly from her sad 
heart or turns a few pages of her favorite book or 
goes to look at the banks of a river. Only she 
can know that sadness is nothing but a dark spot 
hidden in layers. She wants to open closed windows,
 she wants to fly with her own wings and she wants to
 turn the bed from time to time. A woman's sadness 
is read at home in the same way as diaries folded 
in a cupboard. When a woman returns from her 
work, she returns to work again. In this way, there 
are seven days in the week but by stealing a little 
bit of those seven days, she makes eight days
 but she does not know that her living and non-living
 survival activities are her eighth day.And she keeps 
searching for the eighth day among her seven days.

                            And we say that---

In the lap of a woman's Sunday...

Home's Sunday sleeps !!!

                                      ✍️  NiTiN NaNDaN

©NiTiN NaNDaN
  #berang
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NiTiN NaNDaN

एक स्त्री के उदासी को भी उदास आता है,तो उसका 
मन करुणा से भर जाता है। उसका उदास चेहरा, न तो 
कोई परिवार का सदस्य पढ़ पाता है और न ही लगा 
घर में आईना। वह अपने उदास मन से धीरे से कुछ गीत 
गुनगुना लेती है या अपनी पसंदीदा किताब के कुछ
 पन्ने पलट देती है या फिर किसी नदी के किनारों को निहारने
 चली जाती है। सिर्फ वो ही यह जान सकती है कि उदासी
 और कुछ नही बल्कि परतो में छिपा स्याह-सा 
एक धब्बा है। वह बन्द खिड़कियाँ  खोलना चाहती है, 
वह अपने पंखो से उड़ना चाहती है और समय पर
 बिस्तर सलवटों से करवट फेरना चाहती है। एक स्त्री की उदासी
 को ठीक उसी प्रकार घर में पढ़ा जाता है जिस प्रकार
 तह से लगाई गई डायरियाँ अलमारी में।एक स्त्री जब 
अपने काम से लौटती है तो फिर वह काम पर लौटती है।
 इस तरह से कहने को तो सप्ताह के सात दिन होते है 
परन्तु उन सातो दिनों में से थोडा - थोड़ा दिन चुराकर, 
वह आठ दिन बना देती है लेकिन वह यह नहीं जान 
पाती कि उसकी यह सर्जीव-निर्जीव गतिविधियाँ ही 
उसका आठवाँ दिन है और वह इसी आंठवें दिन को
 अपने सातो दिनो में ढूढ़ती रहती है।

और हम कहते है कि---

                            स्त्री के रविवार की गोद में... 
                            घर का इतवार सोता है !!!   

            ✍️नितिन नंदन

©NiTiN NaNDaN
  कश्मकस

कश्मकस #Knowledge

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NiTiN NaNDaN

एक स्त्री के उदासी को भी उदास आता है,तो उसका मन करुणा से भर जाता है। उसका उदास चेहरा, न तो कोई परिवार का सदस्य पढ़ पाता है और न ही लगा घर में आईना। वह अपने उदास मन से धीरे से कुछ गीत गुनगुना लेती है या अपनी पसंदीदा किताब के कुछ पन्ने पलट देती है या फिर किसी नदी के किनारों को निहारने चली जाती है। सिर्फ वो ही यह जान सकती है कि उदासी और कुछ नही बल्कि परतो में छिपा स्याह-सा एक धब्बा है। वह बन्द खिड़कियाँ  खोलना चाहती है, वह अपने पंखो से उड़ना चाहती है और समय पर बिस्तर सलवटों से करवट फेरना चाहती है। एक स्त्री की उदासी को ठीक उसी प्रकार घर में पढ़ा जाता है जिस प्रकार तह से लगाई गई डायरियाँ अलमारी में।एक स्त्री जब अपने काम से लौटती है तो फिर वह काम पर लौटती है। इस तरह से कहने को तो सप्ताह के सात दिन होते है परन्तु उन सातो दिनों में से थोडा - थोड़ा दिन चुराकर, वह आठ दिन बना देती है लेकिन वह यह नहीं जान पाती कि उसकी यह सर्जीव-निर्जीव गतिविधियाँ ही उसका आठवाँ दिन है और वह इसी आंठवें दिन को अपने सातो दिनो में ढूढ़ती रहती है।

और हम कहते है कि---

                            स्त्री के रविवार की गोद में... 
                            घर का इतवार सोता है !!!   

            ✍️नितिन नंदन

©NiTiN NaNDaN
  #outofsight
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NiTiN NaNDaN

ram lala ayodhya mandir पंचवटी से रघुवर लौटे 
अवध धाम के लोग है हरखे 
धन्य हुई पावन ये नगरी 
देख के चितवन रूप अवध का
मनमोहक ये दृश्य हुआ है 
सजा हुआ हर मन में उपवन 
ध्यान लगाय के शबरी रास्ता 
देख रही है अंखियन में 
राम नाम से फूल मा खुशबू 
राम नाम से बेर चखे है। 
सीय को खोजत - खोजत रघुवर 
पहुँचे फिर जब शबरी घर में
मन्त्र-मुग्ध हुई शबरी माता
लखन सोच में उलझ पड़े है। 
मन्द मन्द बोले रघुराई 
लखन को बात समझ नहीं आयी
ऐसे ही हम सब उलझे थे
फिर रघुवर ने बात बढाई 
अवधपुरी लौटे रघुराई 
अवधपुरी लौटे रघुराई ।।

      •••नितिन नंदन

©NiTiN NaNDaN
  #ramlalaayodhyamandir
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NiTiN NaNDaN

कोई जिए हमें भी देख कर, तो बात बनें..
मर तो लोग किसी पे भी जाते हैं

©NiTiN NaNDaN
  अभाव

अभाव #Shayari

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NiTiN NaNDaN

मुस्कुराहट तबस्सुम हंसी कहकहे...!! 


 ___सब खो गए हम बड़े हो गए..!!

©NiTiN NaNDaN
  #Ambitions अभाव

#Ambitions अभाव

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