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anujchaubey7523
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Anuj Chaubey

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Anuj Chaubey

कभी sin कभी cos कभी theetha याद आ रहे है,
switzerland के सपनों मे Biology के species सता रहे है।


कैसे में चुनू कि maths या Bio मे से क्या काम आ रहा है,
लू गणित या Bio बस plane उड़ाने में मज़ा आ रहा है ।


एक पल में डॉक्टर पल में बकील होने को मन चाह रहा है,
करू mbbs या bams बस इंजीनियर होने को दिल चाह रहा है।


यूँ तो हूँ मैं बेफ़िक्र पर अब पेपर पास आ रहे है,
कल एन्तेहाम का दिन था आज परिणाम पास आ रहे है ।


आज Result हमारा आया हे हमने ज़माने से छुपाया है ,
कैसे हम सब को बताएंगे एक दिन बुरा फस जाएँगे ।


वैसे Result आछा नहीं आया हे फिर भी दिल को बेहलाया है,
कैसे में बताऊ कि 5 में से 5 मे back लगवाया है ।

                                                            Anuj Choubey #ShiningInDark
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Anuj Chaubey

अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः।।

अज्ञानी तथा श्रद्धारहित और संशययुक्त पुरुष नष्ट हो जाता है 
 संशयी पुरुष के लिये न यह लोक है न परलोक और न सुख।। #RIPRahatIndori
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Anuj Chaubey

A step closer to success feels like this 

छोटी सी उम्मीद थी ,थी छोटी सी आशा,
छोटा सा सपना था पर पता नहीं क्यूँ है ये निराशा।

छोटा सा हूँ मैं पर बड़ी है ये निराशा,
 पर पता नहीं क्यूँ अब चलने का नहीं ईरादा।

कहीं सपना है तो है कहीं एक निराशा ,
कहीं हे मुस्किल पर पता नहीं क्या है किश्मत का ईरादा।

कहीं पाने का ज़ज्बा हे , कहीं खोने कि निराशा,
आज मंज़िल ज्यादा दूर नहीं फिर क्यूँ है ड़र का दरवाज़ा।

अल्फाज़ो में वो जीत की आहट आ रही है,
जैसे ड़र के दरबाज़े हुए बंद अब जीत नज़र आ रही है।

दिल के सपनों से ये निराशा आज जा रही है,
जैसे उड़ता पंछी बस वैसी ज़िंदगी नज़र आ रही है।
           
                                                         Anuj choubey #DesertWalk
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Anuj Chaubey

ज़िंदगी के इस पड़ाव में आज वो पल याद आ रहे है,
जैसे कल खड़ा था बेफ़िक्र आज फिर काले बादल छा रहे है।


यूँ तो यादों के वो आलम तनाही में फिर सता रहे है,
सासों में जो ताज़गी थी वो दिन फिर पल पल याद आ रहे है ।


मैं तो था खड़ा इस आस में की कोन साथ दे पाएगा,
जिस मोड़ पर हूँ खड़ा वहा एक भगवान बन साथ दे जाएगा।


न कीमत न आगाज़ बस कुछ दिल की दुआएं साथ ले जाएगा,
मैं तो हो गया था तन्हा क्या पता था बस वही साथ दे पाएगा । 



आज फिर हूँ सोचता की कैसे इस ऋण को में चुका पाउंगा,
न धन से ना दौलत से बस कुछ दिल से आछा ही कर पाऊँगा।

                       Anuj Choubey #CupOfHappiness
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Anuj Chaubey

A step to blink on dowry 

घर-घर खेली थी मैं उस प्यार के आगन में, 
जहा आज मेरे बोझ के मातम का डेरा हे,
घर भी ना रहा सब बिक गया मेरे पिता का,
ऐसा आज ये मुझ जैसी नारी को दहेज प्रथा ने घेरा हे।


आज नहीं तो कल मैं भी इस दल दल मे फस जाऊँगी,
आज बिकी हूँ मैं कल अपनी बेटी को सर चड़ा जाऊँगी,
मैं तो कफ़िर हूँ इस खेल कि अपना अंजाम पता नहीं,
शादी के मंडप मे बिकी हूँ अब ज़िंदा रहने का अरमान नहीं।


अपराध नहीं हे ये मेरा मुझे संसार का ज्ञान नहीं,
अब जागी हूँ कष्ट में कि ये मेरा बिकना प्यार नहीं,
उमीद तो नहीं की इस तराह चंद पैसो मे बिक जाऊंगी,
बचपन बीता प्यार मे अब जूतो की नोक पे रह जाउंगी। 


मैं बेटी हूँ इसका दाम भर भर के उम्र भर थक जाऊँगी,
जो पाप किया नहीं उसका हिसाब पता नहीं कब चुका पाऊँगी
आज नहीं तो कल ये एहसास दिला पाऊँगी,
 मैं खिलौना नहीं हूँ ये कब अपना अस्तित्व बना पाऊँगी ।
 
                 Anuj choubey #LookingDeep
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Anuj Chaubey

मुझे हर पल वो हर दिन बखूबी याद आता है,
जहा में रुका था वहा बस एक सहारा नज़र आता है।
अभी नज़र तो पड़ी भी नहीं थी चाह पर कि,
हर ख्वाहिश से पहले सपना सच होने को नज़र आता है।

मेरा थकना तो कदमों को राश्ते पर रुकवाने को आता है,
पर मेरे ड़र मे भी उनका एक सहारा साथ दे जाता है।
लम्हा- लम्हा- जब जब हार चुका था में ,
बस तब-तब एक ही हाथ उठाने को नज़र आता है।

चल -चल कर थक चुका हूँ मैं इस भीड़ में ,
अब तो बस  रुकने का एहसास दिल में आता है,
मैं तो हार गया इस जंग में अब,
पर एक हाथ फिर जितवाने को बड़ आता है।

                           Anuj choubey #LoveYouDad
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Anuj Chaubey

मोहब्बत के इल्म में यूँ मज़बूर हो गए कि  ,
 जो जाम शाम को पीना था उसे सुबह ही पी गए,
आशिकी तो सिर्फ एक बहाना है,
असल मकसद तो मोहब्बत को आज़माना है।

सोचता था जाम पीकर गगन में उड़ जाऊँगा,
क्या पता था जिस धागे में पिरोया उसी से बैर खा जाऊंगा,
मैं ना रुकूँ इस झंकार से मुझे तो आशिकी को जगाना है,
इस बैर की नफ़रत में प्यार के दिये जलाना हे।

जब मिलें हम तो मौसम में इक हरकत हो,
गिले-शिक़वे दूर हों, मोहब्बत में बरकत हो,
तू आए तो दिल का दरवाज़ा खोल दूँ,
जो अर्से से छिपाई थी वो बात बोल दूँ।

दुनियां जहाँ दर्द मिटाए वो दवाखाना खोल दूँ,
जहाँ मुझ जैसे के ज़ख्म भरें वो मैखाना खोल दूँ ,
अब सब ख़त्म तो हमारा तुमसे क्या वास्ता,
जो तुम तक ना पहुँचे वो रास्ता भी क्या रास्ता।

By:  Anuj Choubey and Somesh Gour
A diamond from two upcomming writers #feather
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Anuj Chaubey

वो लम्हे आज यू फिर याद आ रहे हे,
जैसे परिन्दें श्मशान मे फिर चेह चाहा रहे हे,
फ़िक्र तो नहीं हे अब जान की,
पर प्यार के वो लम्हे नुमाईश दिला रहे हे।

इन चार दिवारी में वो दिन फिर याद आ रहे हे,
 उस चाय के एक पियाले में पूरे यार समा रहे हे ,
कद्र तो नहीं की उन पलो की बक्त पर,
पर आज वही फिर जीने का एहसास दिला रहे हे।

मैं तो क्या सब यहि दुआ फ़ार्मा रहे हे,
की दिल के धागे पिरोये  यारो मे पर,
 आज दुश्मन को भी सीने से लगा रहे हे।

जीने की हिदायत दुआओं में दिला रहे हे,
जहा नफ़रत की राह पर चले थे कल ,
आज वही दिल से दिल मिला रहे हे ।

आज श्मशान तो नहीं हे ये भूमि ,
पर पता नहीं क्यू सब उसी की और चले जा रहे हे,
जरा पीछे मुड़ कर देखो यारो , 
तुम्हारे चाहनेवाले तुमको चीख-चीख कर बुला रहे हे।

                                                      Anuj choubey #depression
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Anuj Chaubey

चांद से कह दो हमको घूरना छोड़ दे,
हम क्या चमके हमसे जलना छोड़ दे।

कल तु बड़ा था इस पूरे जहा में,
 आज हमसे बराबरी करना छोड़ दे।
 
कल दिल लगी थी तुझसे हमे,
आज हमसे दिल लगाना सीख ले।

तु था चमकता पहले सितारो में,
आज हमसे चमकना सीख ले।

दाग तो बोहुत थे हममे,
आज चमक आपने आखोँ से देख ले।
   
Anuj choubey #Barrier
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Anuj Chaubey

चल रहा , चल रहा , चल रहा , हे ये ,
   मौत का हे खौफ जो, मचल रहा हे ये,
               जंग में हम भी कम नहीं, हार का हमें गम नहीं,
       कोरोना से डरने में, जीत का अमन नहीं ।

     काम कुछ नहीं आएगा, 
           जीवन संकट में पड़ जाएगा,
                                घर में रहना ही सिर्फ,जीवन दान दे पाएगा ,
                               परिवार को बचाना हे, प्यार से समझाना हे,
                               घर में  रहकर,  देश का कर्तव्य निभाना हे ।

  "एक बात बताता हूँ,  उसके लब्ज़ों को समझाता हूँ,
     कोरोना से मेरी बात हुई,  उसका संवाद समझाता हूँ "।

            मम्मी का मेरी नाम नहीं, पापा का मुझे काम नहीं,    
बाईयाद में बच्चा हूँ,  मन से में मचलता हूं,
       राहो पर में चलता नहीं , खुद से में भिड़ता नहीं,
   मेहमान लेने आएंगे , इज़्ज़त  से ले जाएंगे ।

                           स्वाभिमानी में बच्चा हूँ , खुद से नहीं जाऊंगा,
                       मेहमान लेने आएंगे, प्यार से चला जाऊंगा,
                 ज़िद्दी में बच्चा हूँ, ऐसे नहीं मान पाऊंगा,
                            घर में रहकर देखो, प्यार से देश छोड़ जाऊंगा ।

न धर्म ना जात न आधार देख पाऊंगा,
         इंसान मिला इंसान से, फ़्री एन्ट्री कर जाऊंगा,
     जाने में जितनी लूँ,  फ़ासी से बच जाऊंगा,
               ऐसे जी चलता रहा, तो पूरा विश्व निगल जाऊंगा ।

                   इंसान मेरा यार हे, साथ देने को तैयार हे,
                           प्यार मुझसे इतना कि , गले लगने को तैयार हे,
                          साथ लिपट में जाऊंगा ,  आहार बना जाऊंगा,
                           सोशल डिस्टेंसिंग करो , में हार मान जाऊंगा  । freedom struggle against corona

freedom struggle against corona #कविता

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