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talatkhan4381
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Talat Khan

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Talat Khan

रास्ते यारों की बात मान के  धोका में खा गया।
गुलशन के रास्तों से में सहरा में आ गया।

छालों से मेरे पैर के      रिसने लगा लहू।
तो रेत पर किया वो सफ़र याद आ गया।

डॉ तलत खान 
साहिब ✍ दिल के ज़ख़्म

दिल के ज़ख़्म #शायरी

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Talat Khan

न शेरों में वज़न है और न ग़ज़लों में बहर जिनकी!
सुख़न की चाट कर झूठन सुख़नवर बन गये हैं वो!!
डॉ तलत खान
साहिब ✍ आज का ताज़ा शेर

आज का ताज़ा शेर #शायरी

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Talat Khan

साहिव की कलम से!
साहिब की आवाज़ में!

साहिव की कलम से! साहिब की आवाज़ में! #शायरी

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Talat Khan

तुम बिन सजनी      हम बंजारे।
भटके     बन बन      मारे मारे।

प्रेम सुधा बरसा      दो सजनी।
ह्रदय मरुघर         बाट निहारे।

अधर गुलाबी     कन्चन काया।
हिरनी जैसे         नयन तुम्हारे।

चतुर चपल नैनन    से हम पर।
बाण चलाये        सजन हमारे।

प्रेम अतुर    नैनन से    भड़के।
तन मन में    अग्नी के     धारे।

बाहुपाश में       मचले मनवा।
धीर धरो   कछु   प्रीतम प्यारे।

मादक रुत में   कामुक हिरनी।
भटके    नंदन बन      में सारे।

प्रेम आलिंगन में     कसने को।
कस्तूरी की           गंध पुकारे।

बिरहन तरसे        सेज सजाये।
नैन बिछाये          दरस निहारे।

सब के साजन आ गए सखियों।
कब आऐंगे         सजन हमारे।

तुम बिन सजनी      हम बंजारे।
तुम बिन सजनी      हम बंजारे।

डॉ तलत खान "साहिब"
कोटा राजस्थान साहिब की क़लम से!

हिंदी शायरी

साहिब की क़लम से! हिंदी शायरी

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Talat Khan

मुझको सीने से  लगा ले तेरी औक़ात नहीं।
मैं के आतिश हूँ तेरा जिस्म झुलस जाएगा।

डॉ तलत खान "साहिब"
कोटा राजस्थान साहिब की क़लम से!

साहिब की क़लम से!

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Talat Khan

कच्ची मिट्टी सी तेरे कोरे बदन की खुशबु।
शाम ढलते ही मेरे जिस्म को महकाती है।

थरथराते हुवे लब  ताबो-दहक साँसों की।
मेरी बाहों में वो शम्मा सी पिघल जाती है।

डॉ तलत खान "साहिब"
कोटा राजस्थान साहिब की कलम से!
रोमानी शायरी

साहिब की कलम से! रोमानी शायरी

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Talat Khan

ज़ूल्फे ख़म देख के उनकी ये गुमाँ होता हे।
सैंकड़ों नागिनें   बेताब हैं   डसने को मुझे।

"डॉ तलत खान"
कोटा राजस्थान साहिब की क़लम से!

साहिब की क़लम से! #शायरी

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Talat Khan

चाँद जब देखेगा तुमको    चाँदनी बढ़ जाएगी।
आप के आने से थोड़ी     ज़िंदगी बढ़ जाएगी।

बनके सुबहा ज़िंदगी की आप गर आ जाओगे।
खुद फ़िज़ाओं में गुलों में   ताज़गी बढ़ जाएगी।

आप की नज़रों में सागर  सी अजब गहराइयाँ।
खुद भी तरसेगा समंदर    तिश्नगी बढ़ जाएगी।

डॉ तलत खान "साहिब"
कोटा राजस्थान साहिब की कलम से!

साहिब की कलम से! #शायरी

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