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raghvendra7664
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डॉ राघवेन्द्र

विद्यावारिधि(Ph. D) ज्योतिष हस्त रेखा विशेषज्ञ

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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️

(रेलिया बैरन पिया को लिए जाये रे..) 

चलो मतदान का प्रयोग किया जाये रे।
अपने अधिकार का प्रयोग किया जाये रे  ।। 

पांच वर्ष में चुनाव है आता  । 
वोट डालता है हर मतदाता  । 
अपनी पसंद का नेता चुन लो  । 
उनके तुम हो भाग्य विधाता  ।। 
चलो विधान का प्रयोग किया जाये रे  । 
अपने अधिकार का प्रयोग किया जाये  ।। (१) 

सही वोट से सरकार बनाओ  । 
अपने सारे अधिकार पाओ  । 
जागरुकता अभियान चलाओ  । 
बड़े बुढों को साथ लेकर आओ  । 
चलो संविधान का प्रयोग किया जाये रे  ।। 
अपने अधिकार का प्रयोग किया जाये रे  ।। (२)

  ✍️ नीरज ✍️

©डॉ राघवेन्द्र #election
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डॉ राघवेन्द्र

Jai shree ram 🙏राम नवमी🙏

मर्यादा जिसकी पहचान है वो प्रभु राम हैं ,
राजधर्म जिसका मान है वो प्रभु राम हैं ,
पिता के वचन के लिए राज्य जो त्याग दिए ,
कुल-वंश जिसका अभिमान है वो प्रभु राम हैं ।।(१)

प्रेम से मिला तो जूठा बेर भी वो खा लिए ,
राक्षसों के लिए वो धनुष बाण भी उठा लिए ,
जिसका वचन ही ज्ञान है वो प्रभु राम हैं ।
मर्यादा जिसकी पहचान है वो प्रभु राम हैं ।।(२)

भाइयों के प्रेम की नई परिभाषा बतला दिए ,
विभीषण से दोस्ती कर मित्रता समझा दिए ,
आशीर्वचन जिसका वरदान है वो प्रभु राम हैं ।
मर्यादा जिसकी पहचान है वो प्रभु राम हैं ।।(३)

त्रेता की तरह ही कलयुग में भी आना होगा ,
सत्य और परम्परा को फिर से समझाना होगा ,
कलयुग के रावणों का भी वैसे संहार करो ,
पाप,भय,अराजकता से मुक्त ये संसार करो ,
हर दिल में जिसका सम्मान है वो प्रभु राम हैं ।
मर्यादा जिसकी पहचान है वो प्रभु राम हैं ।।(४)

🌺🙏आपको रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें 🌺🙏

                     ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #JaiShreeRam
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️

ये फ़ितरत होती है जो रातों में अधूरे ख़्वाबों से डर जाते हैं हम ,

मुकम्म्मल होते ग़र वो ख़्वाब तो आज हम भी सिकंदर हो गए होते ।।

                               ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Dreams
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डॉ राघवेन्द्र

🌷नवरात्रि🌷

ऐसे ही अपनी दृष्टि बनाये रखना ,
हर कष्ट से हमें माँ बचाये रखना ।
       🌷🌷🌷🌷🌷🌷
हर दुःख में सहारा तुम बनी हो माँ ,
सही राह हमें बस दिखाये रखना ।।
        🌷🌷🌷🌷🌷🌷
कोई दुर्गा कोई काली अम्बे पुकारता है ,
अपने हर रूप को माँ बनाये रखना ।।
          🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नवरात्रि पर्व तो बस नव दिन का है ,
पूरे वर्ष हर घर में निवास बनाये रखना ।।
           🌷🌷🌷🌷🌷🌷
हम बोध बालक हैं जो गलतियां हुई हों ,
बालक समझ कर उसे भुलाये रखना ।।

💐नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं💐

                    ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #navratri
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डॉ राघवेन्द्र

🌷नवरात्रि🌷

ऐसे ही अपनी दृष्टि बनाये रखना ,
हर कष्ट से हमें माँ बचाये रखना ।
       🌷🌷🌷🌷🌷🌷
हर दुःख में सहारा तुम बनी हो माँ ,
सही राह हमें बस दिखाये रखना ।।
        🌷🌷🌷🌷🌷🌷
कोई दुर्गा कोई काली अम्बे पुकारता है ,
अपने हर रूप को माँ बनाये रखना ।।
          🌷🌷🌷🌷🌷🌷
नवरात्रि पर्व तो बस नव दिन का है ,
पूरे वर्ष हर घर में निवास बनाये रखना ।।
           🌷🌷🌷🌷🌷🌷
हम बोध बालक हैं जो गलतियां हुई हों ,
बालक समझ कर उसे भुलाये रखना ।।

💐नवरात्रि पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं💐

                    ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र
  #navratri
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️

                      ✍️जगाया करते हैं.....✍️

शिकायत नींद से नहीं वो तो आ जाये किसी बहाने से । 
 क़सूर अधूरे ख़्वाबों का है जो रात भर जगाया करते हैं ।। 

बन्द कर भी लूँ इन आँखों को पलकों के चिलमन से । 
अनजाने भय से ये मन को हर रात भटकाया करते हैं ।।

उलझने तमाम हैं ज़िन्दगी में, ये दिल जानता है लेकिन । 
उन्हीं उलझनों में ख़ुद को पूरी रात उलझाया करते हैं ।।

दिन के उजाले में जो नज़रें झील सी दिखती हैं हमें । 
स्याह रातों में वही आँसुओं का सैलाब लाया करते हैं ।।

मुस्कराहट भी बदलते चेहरे का एक नक़ाब है "नीरज" । 
ज़रूरत के हिसाब से ही यहाँ लोग मुस्कुराया करते हैं ।।

                             ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Beautiful_Eyes
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी ✍️

         ✍️मयखाना.... ✍️

कहते हैं गम भुलाने का जरिया है मयखाना  । 
थोड़ा पी लेने से दर्द-ए-दिल चला जाता है  ।। 
तजुर्बा मेरा जो है आओ तुम्हें भी बताता हूँ  । 
अपने लफ़्जों में मधुशाला की दास्तां सुनाता हूँ  ।। (१) 

कोई पीकर मधुशाला में खामोश हो जाता है  । 
थोड़ा थोड़ा लेते हुए कोई मदहोश हो जाता है  । 
जो कहते हैं आया हूँ सब कुछ भुलाने के लिए  । 
दो पैग लेने के बाद वही सब राज बता जाता है  ।
हद से ज्यादा नशे में न रहो यही बात समझाता हूँ  । 
अपने लफ़्जों में मधुशाला की दास्तां सुनाता हूँ।। (२) 

विष से भी खतरनाक अक्सर हो जाती है हाला  । 
जब अपने घर को कोई बना लेता है मधुशाला  । 
मय के जद में होकर अपना दायरा भूल जाते हैं  । 
दिन रात बस गाली गलौज में वक़्त बिताते हैं  । 
नशा आदत न बने "नीरज"यही सबको बतलाता हूँ  । 
अपने लफ़्जों में मधुशाला की दास्तां सुनाता हूँ  ।। (३) 

      ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️
                    ✍️पलकें भिगोना ठीक नहीं..✍️

कुछ कहो तुम भी यूँ गुमसुम सा रहना ठीक नहीं ।
हर बातों को खामोश निगाहों से कहना ठीक नहीं ।।

मजबूरियों के साथ रिश्तों में ना दूरियाँ आ जाये ।
छोटी-छोटी बातों पर यूँ एतबार खोना ठीक नहीं ।।

एक परिणाम ही जिंदगी की तस्वीर बदल देता है ।
इतनी जल्दी खुद पर से विश्वास खोना ठीक नहीं ।।

जिंदादिली तब है जब हरपल मुस्कुराते रहो तुम ।
हालात कैसे भी रहें यूँ पलकें भिगोना ठीक नहीं ।।

जीवन जीने की कला इस जहाँ से सीखो "नीरज"।
अकेलेपन में इस ज़िन्दगी को जीना ठीक नहीं ।।

                         ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #meridiary
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डॉ राघवेन्द्र

तुम हो तो लगता है ✍️आज की डायरी✍️

          दुहाई देता है ✍️✍️✍️

शुरुआती इश्क शायद अंधा हो सकता है मगर  । 
दो चार माह बीतने पर सब साफ़ दिखायी देता है  ।। 

स्वार्थ का प्रेम हो तो टिकता ही कितने दिन तक है  । 
आपस में बढ़ती दूरियों को नाम बेवफ़ाई देता है  ।। 

एकतरफा प्यार हो तो लफ़्जों की जरूरत होती है  । 
दो दिल मिले हों तो बिन कहे सब सुनायी देता है  ।। 

आज के दौर में मर मिटने की बात बेजा लगती है  । 
ब्रेकप के बाद बस मूव करने की दुहायी देता है  ।। 

सोची समझी साजिश है दिल्लगी करने वालों की  ।
टूट जाये दिल तो विचार न मिलने की सफाई देता है  ।। 

             ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र
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डॉ राघवेन्द्र

तुम हो तो लगता है ✍️आज की डायरी✍️

          दुहाई देता है ✍️✍️✍️

शुरुआती इश्क शायद अंधा हो सकता है मगर  । 
दो चार माह बीतने पर सब साफ़ दिखायी देता है  ।। 

स्वार्थ का प्रेम हो तो टिकता ही कितने दिन तक है  । 
आपस में बढ़ती दूरियों को नाम बेवफ़ाई देता है  ।। 

एकतरफा प्यार हो तो लफ़्जों की जरूरत होती है  । 
दो दिल मिले हों तो बिन कहे सब सुनायी देता है  ।। 

आज के दौर में मर मिटने की बात बेजा लगती है  । 
ब्रेकप के बाद बस मूव करने की दुहायी देता है  ।। 

सोची समझी साजिश है दिल्लगी करने वालों की  ।
टूट जाये दिल तो विचार न मिलने की सफाई देता है  ।। 

             ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र
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