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raghvendra7664
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डॉ राघवेन्द्र

विद्यावारिधि(Ph. D) ज्योतिष हस्त रेखा विशेषज्ञ

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डॉ राघवेन्द्र

Unsplash ✍️आज की डायरी✍️

            मुझे शिद्दत से पढ़ना होगा तुम्हें.. ✍️

हर पन्ने को पलटने से जो समझ आये, वो किताब बन गया हूँ मैं । 
सफ़र -ए-ज़िन्दगी को समझने के लिये, मुझे शिद्दत से पढ़ना होगा तुम्हें ।।

मेरी खामोशी, बेबसी, दर्द और मुस्कुराहट को जानने के लिए  । 
थोड़ा वक़्त अपना निकालकर बस मेरे साथ रहना होगा तुम्हें ।। 

इस सफ़र में मेरे, कई दिलचस्प कहानियां भी मिलेंगी तुम्हें  । 
कलम के साथ बैठो कुछ मशहूर किस्से लिखना होगा तुम्हें  ।। 

भूल जाओगे अपने तमाम दुःख-दर्द बस एक मुलाकात में  । 
दूसरों के तकलीफ को दिल से महसूस करना होगा तुम्हें  ।। 

मुझे मालूम है किस्मत और कर्म का खेल निराला है "नीरज" । 
सफलता के लिए मग़र इनमें उलझने से बचना होगा तुम्हें  ।। 

                   ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Book
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी ✍️

    ✍️ Long distance love.... ✍️

कभी न कभी याद करता तो होगा  । 
हमें सोचकर वो मुस्कुराता तो होगा  ।। 

बिछड़ने का गम वो बताये नहीं भी  । 
आँखों से अश्कों को बहाता तो होगा  ।। 

 वफ़ा करने वालों की जब बात होगी  । 
ओठों पर मेरा नाम आता तो होगा  ।। 

मजबूरियाँ थी जो यूँ दूर हो गए हम  । 
जमाने को ये बात समझाता तो होगा  ।। 

लिखा था जो उसको रूबरू बिठाकर  । 
उन गीतों को अब भी गुनगुनाता तो होगा  ।। 

              ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #lovebirds
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️

"फ़िक्र गुज़रे हुए वक़्त का कब तक करोगे तुम ,
जो मुश्किलें हैं उनसे आख़िर कबतक डरोगे तुम ।

दुश्मन से मिलकर जीते तो "जयचन्द" कहलाओगे ,
 लड़ कर के जो जीत मिली तो "सिकंदर" बनोगे तुम ।।

                        ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Likho
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डॉ राघवेन्द्र

💐 गणतंत्र दिवस 💐

तमाम प्रयासों से हमारा संविधान बड़ा हुआ है । 

 वक्त के साथ इसमें हमारा विश्वास गहरा हुआ है ।। 

  कोशिशें कितनी भी हो इसे कमज़ोर करने की । 

 गहरी जड़ों के साथ ये मजबूती से खड़ा हुआ है ।।

   कई विधान हैं इसमें जो हममें एकता बनाए हैं । 

  ऐसे नियमों से हमारा ये संविधान भरा हुआ है ।।

    "🇮🇳गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🇮🇳

                     ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #RepublicDay
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डॉ राघवेन्द्र

✍️ आज की डायरी✍️

         ✍️सम्हलना आना चाहिए हमें...✍️

हर बात की अहमियत समझ आना चाहिए हमें । 
आलोचनाओं को कभी कभी अपनाना चाहिए हमें ।। 

ठेस लगती है बहुत जब अपनों का विश्वास खोता है । 
उसी विश्वास को फ़िर से दिलाना आना चाहिए हमें ।।

वक़्त की रफ़्तार से घबराना कोई अच्छी बात नहीं । 
बदलते वक़्त के साथ भी चलना आना चाहिए हमें ।।

कठिन रास्ते हो तो लड़खड़ाना भी ज़रूर होता है । 
मंज़िल -ए -सफ़र में सम्हलना आना चाहिए हमें ।।

लिखे को बदल पाना मुश्किल है ये सच बात है लेकिन  । 
मिट गयी रेखाओं को फ़िर से बनाना आना चाहिए हमें ।।

                              ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Likho
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी ✍️

             तुम.... ✍️✍️

अच्छा ये तो बताओ कहाँ जाओगे तुम । 
दूर होकर ये वक़्त कैसे बिताओगे तुम  ।। 

मिल जायेंगे बहुत जश्न मनाने के लिए तुम्हें । 
अपने दर्द-ए-गम को किसे सुनाओगे तुम ।।

जब भी आयेगी याद पुराने लम्हों की  । 
तन्हाईयों में कौन सा गीत गुनगुनाओगे तुम ।।

जीने मरने की कसमें खा लिए थे साथ में ।
पराये हो गए गर तो कसम कैसे निभाओगे तुम ।। 

सुकूँ मिल जायेगा मिलने की घड़ी सोचकर । 
जो भी तारीख मुकम्मल बतलाओगे तुम ।। 

यादें ही बहुत है अकेले जीने के लिये "नीरज"। 
ये बात कब तक ख़ुद को समझाओगे तुम ।। 

          ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #lovebirds
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डॉ राघवेन्द्र

White ✍️आज की डायरी✍️
✍️क्यूँ मुझे शहरी नहीं बना पा रहे हो✍️

क्यूँ मुझे अपना नहीं बना पा रहे हो ,
मुझसे दिल्लगी नहीं लगा पा रहे हो ,
हूँ तो कई सालों से तेरे ही पहलू मैं ,
क्यूँ मुझे शहरी नहीं बना पा रहे हो ।।(१)

आया था गाँव से तो अच्छा लगा था ,
देखा ये माहौल तो सब सच्चा लगा था ,
अब वही गली -कूचों से ऊबन हो रही ,
कमरे से निकलने की इच्छा नहीं हो रही ,
क्यूँ औरों सा मुझे नहीं बना पा रहे हो ।।
क्यूँ मुझे शहरी नहीं बना पा रहे हो ।। (२)

 माना कि शहर आना हमारी मज़बूरी है ,
घर-परिवार के लिए पैसा भी ज़रूरी है ,
इतना भी मशगूल न हो की सब भूल जाओ ,
न कोई तुम्हें याद करे न तुम याद आओ ,
मिट्टी से जुड़े दिल को फ्लैट सा बना रहे हो ।।
क्यूँ मुझे शहरी नहीं बना पा रहे हो ।। (३)

कितनी भी कोशिश हो दूर करना मुश्क़िल है,
दिल का जुड़ाव बार -बार होना मुश्क़िल है ,
जब तक इस रोजी-रोटी का सवाल रहेगा ,
तब तक ही शहर में रहने का बवाल रहेगा ,
रोकना मुमकिन नहीं क्यूँ मुझे लुभा रहे हो ।।
क्यूँ मुझे शहरी नहीं बना पा रहे हो ।।(४)

       ✍️ नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #sad_qoute
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डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️

                   ✍️उम्र गुजर जाती है... ✍️

फ़िर से एक रात यूँ ही जागते गुज़र जाती है  । 
जब तमाम कमियों में मेरी ये नज़र जाती है ।।

सूनी आँखों में जब आँसुओं का सैलाब देखता हूँ  । 
मेरी परछाईं ही मुझे देखकर तब सिहर जाती है ।।

तन्हाई भी मेरे साथ वक्त नहीं गुजारती है अब । 
समय के साथ उसकी भी आदत बदल जाती है ।।

किसे दोष दें अपने इस बिगड़े हालात के लिए  । 
जब साथ निभाने के वादे से किस्मत भी मुक़र जाती है ।।

गिला ये नहीं खुद से कि क्या किया अबतक "नीरज"। 
अफ़सोस है कि इन्हीं सोच में आधी उम्र गुज़र जाती है ।।

                        ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Likho
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डॉ राघवेन्द्र

New Year 2025 🌹नववर्ष🌹

आ गया नया वर्ष चलो खुशियां मनाते हैं ।
 फ़िर से इक उम्मीद की ज्योति जगाते हैं ।

बीते साल की गलतियों से सबक लेकर हम ।
नए साल में मन्ज़िल की ओर कदम बढ़ाते हैं ।।

भूलकर किसी का गर दिल दुखाया हो कभी ।
प्यार भरी बातों से फ़िर उन्हें गले लगाते हैं ।।

सपनों का क्या है वो तो बनते बिगड़ते हैं ।
नए साल में फ़िर से एक नया ख़्वाब सजाते हैं ।।

सकारात्मक ही रहना है नए साल में "नीरज"।
नकारात्मकता को आओ हम दूर भागते हैं "।।

💐आपको और आपके परिवार को नववर्ष
            की अनंत शुभकामनाएं.💐

       ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #Newyear2025
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डॉ राघवेन्द्र

New Year 2024-25 ✍️आज की डायरी✍️

                 ✍️बीत गया एक और साल✍️

बीत गया आज ये साल भी चलो कुछ यादों को याद कर लें । 
अच्छी बातों को सहेज लें बुरी बातों को नज़रअन्दाज कर लें ।। 

बात इस 'जनवरी' की करूँ तो बस ठंड का एहसास होता है । 
चलो प्यार के प्रतीक 'फरवरी' से ही एक मुलाक़ात कर लें ।।

रंगों की बात चली तो ये खूबसूरत 'मार्च' याद आ गया । 
आओ इस 'अप्रैल' से गर्म भरे मौसम की शुरुआत कर लें ।।

इस 'मई' में हम कई परीक्षाओं के दौर से भी गुजरे थे । 
चलो इस 'जून ' में अच्छे परिणामों का इन्तजार कर लें ।।

ये 'जुलाई ' फ़िर से लेकर आया था पढ़ने- पढ़ाने का मौसम । 
चलो इस 'अगस्त' में अपने देश को फ़िर से आज़ाद कर लें ।।

विजय के पर्व दशहरा को मनाया है 'सितम्बर'-अक्तूबर में ही । 
आओ इन महीनों में शुरू सुहावने मौसम की बात कर लें ।।

दीप जलाकर 'नवम्बर' को उजाले से भर दिया था हमनें । 
चलो फ़िर से इस सर्द 'दिसम्बर' की छुट्टियों की बात कर लें ।।

बीत गया फ़िर.....................

 "खट्टी-मीठी यादों के साथ 💐2024💐को अलविदा"

                           ✍️ नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र #NewYear2024-25
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