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लिखावट आज कमतर है, कभी बेहतर लिखूंगा मैं। अंधेरे से उजाले में कभी बेहतर दिखूंगा मैं॥ अभी नन्हा सा पौधा हूं बनूंगा एक दिन तरुवर। जड़ें मजबूत कर अपनी निरंतर नित बढूंगा मैं॥
वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~
वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~
वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~
वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~
वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~
वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~
वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~
वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~
वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~