समंदर, समंदर नहीं रहा; नदियां, नदियां नहीं रही।
नदियों का निर्मल जल, समंदर ने खारा कर दिया।
तारो से भरा आसमां था, बंजरा ज़मीन सा मारा कर दिया।
बेशक ज़माने की चाल है, मुझे गिराने में इनका बुरा हाल है।
#कविता
NARENDRA CHANDRAWANSHI
कुछ चेहरे इतने खास होते है,
मिलने जिनसे इत्तेफाक होते है,
दो दिन की मुलाक़ात होती है,
फिर ज़माने भर की बात होती है,
#शायरी
NARENDRA CHANDRAWANSHI
हमेशा फ़सल ईमानदारी की बोना,
जिंदगी के हर्षोल्लास में रंगबिरंगे रहना,
खूब बनाना फसाने इस ज़माने में,
जज्बा दिल में कभी कम होने न देना,
#शायरी#Safed