ख़्वाहिशों के पुलों को मैं निरंतर सजा रहा था
फ़क़त अपना शिकवा मैं रब को सुना रहा था।
खुशियों के तराज़ू पर मैं जीवन को तोल रहा था
मैं अपनी सोच के परे एक जीवन खोज रहा था।
महल कई मिले मुझे इस सफ़र में
पर मैं तो उस बेवफ़ा का खंडहर ढूँढ रहा था। #Passion#writing#yourquote#yqbaba#yqdidi#yqquotes#yqstory