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rishikushwaha4757
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Rishi Kushwaha

Try to be a Rainbow in someone clouds (Youtuber-RainboW Rishi Colourful man)

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Rishi Kushwaha

आओ तो जरा मेरे पास कभी,बातें कुछ हमसे भी कर लो।
मुलाकात भी हो जाए तुमसे,दिल की दुनिया से भी मिलना हो।
कुछ तुम बोलो,कह दें कुछ हम,बातों से फिर बातें कर लो।
कुछ दर्द बयाँ हम तुमसे करें,कुछ मरहम सा तुम भी कर दो।
आओ तो जरा मेरे पास कभी....
फिर मिलना बिछड़ना करते हैं,कुछ मनाना रूठना भी कर लो।
चुप हो जाना जब रूठना तुम,दिल मेरा थोड़ा परेशां हो।
होठों पर मेरे माफी हो,मेरे होठ तेरे गालों पर हों।
तुम मुस्का देना देकर माफी,जब बाहें तेरी गले पर हों।
आओ तो जरा मेरे पास कभी.... बातें कुछ दिल की तुमसे...😍

बातें कुछ दिल की तुमसे...😍

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Rishi Kushwaha

किसको करीब और किसको अजीज कहूँ...
मैं जिया हूँ अपनी दोस्ती,और उसी में मैं मरूँ...
ये दोस्ती तो बस एक नाम है,ये बनती है इंसां औ लम्हे जोड़ कर..
 मैंने जिए हैं लम्हे दोस्ती के,जाके हर एक पड़ाव पर ..... #meridosti
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Rishi Kushwaha

मुस्कुराहटें छीन ली जाती हैं,ईर्ष्या के इस दौर में।
खुशियाँ दबा सी दी जाती हैं मक्कारी के शोर में।
तुम देख लेना अपनों को जरा करीब से और गौर से।
तुम्हें गिराने में भी किसी अपने का ही लगा जोर है। दौर ए ईर्ष्या

दौर ए ईर्ष्या

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Rishi Kushwaha

#बेबस मजदूर

#बेबस मजदूर #poem

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Rishi Kushwaha

#lovebeat  मोड़कर तो न जाते

#lovebeat मोड़कर तो न जाते

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Rishi Kushwaha

न जाने आजकल  हमसे वो अक्सर खुश नहीं रहते।
वो बोलते नहीं हमसे और हम कभी चुप नहीं रहते।
जो कहना चाहते उनसे,न कह पाए कभी कहकर।
है चाहत उसके अंदर भी वो सबकुछ भाँप हैं लेते।।
कभी बातें न हों मुख से,तो सब कुछ नैन हैं कहते।
हृदय जब मुस्कुराता है,नहीं फिर भेद हैं रहते।।
🖊️R@inbow🌈 खामोशियों से कुछ बातें

खामोशियों से कुछ बातें #Talk

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Rishi Kushwaha

इमारतें पूरी करने आया था शहर,वो छोड़कर गांव की कच्ची झोपड़ी।
दिन ऐसा नसीब में आएगा ये सोचकर किस्मत रो पड़ी।
उस वक्त की ठोकर खाकर वो चल तो पड़ा उस आंगन को।
दिल थाम के वो चलता ही गया,बस थाम के अपने दामन को।
मन में थी ललक उस गांव औ घर की,जो छूट गया था ख्वाबों की खातिर।
ये खेल था किस्मत का खेला,थी जिसमें बाजी हर एक शातिर।
जा आधा सफर वो तय कर आया,तब बेबस हो गया पैरों से।
जब आस ने थामा धड़कन को,तब साँस थम गई बेमन से।। बेबस मजदूर👷

बेबस मजदूर👷 #poem

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Rishi Kushwaha

#withMyPen
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Rishi Kushwaha

रहता इंतजार है हर पल रात का,जब बनकर गुलाब वो महकती है। 
दिख जाता उसको चांद जब,वो चकोर सी चहकती है।
वो प्यासी सी रह जाती है,रातों में आहों के साये में। 
ढल जाता है वो चांद जब,सूरज के तेज उजाले में। 
वो इश्क़ चांद औ चकोर का,रह जाता रोज अधूरा सा। 
है चाह यही उस चकोर की,कोई कर जाए इसे पूरा सा। 
चाहत तो है उस चांद को,कि मिल जाए साथ चकोर का। 
पूरा हो जाए ख्वाब जो गर,मिल जाए साथ गर बाहों का। चकोर का चाँद🌖

चकोर का चाँद🌖

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Rishi Kushwaha

मेरे सिर के आसमां ने रंग अपना कुछ यूँ दिखाया है,लगता है जैसे उस पर वैश्विक ताप का साया है।
पल में बदला है मेरे संसार का मौसम,कार्बन सा असर  लोगों पर छाया है।।
छवि उज्ज्वल घर से बाहर है जिनकी,कुछ उतनी ही अंदर धूमिल भी है।
खुद को जो ब्रह्म समझते हैं,उनके कृत्यों में प्रताड़ना भी शामिल है।।
दूजों को ज्ञान दिया हर पल,उस ज्ञान को अभिमान समझते हैं।
सबको पालन का ध्येय दिया,खुद उसको कुचलते फिरते हैं।।
देना सद्बुद्धि तनिक उनको,खुद अपना संसार बिखेरे हैं।
जिन जड़ों को सींचा चार पीढ़ी,उनको ही आज उजाड़े हैं।। गृह सर्वेसर्वा

गृह सर्वेसर्वा #story

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