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रानी सोनी 'परी'

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रानी सोनी 'परी'

White  अनंत,अगम,अगोचर,अविनाशी है कौन।
भोलेनाथ,शिवशंकर, कैलाशी है कौन?
जिनका नाश नही होता,वो अविनाशी।
जो पर्वत पर जाय विराजे,वो कैलाशी।।
जो भी नाम भक्तों के मन को भा जाए।
सच्चे मन से ध्याये शिव धरा पर आए।।
भूतनाथ,आशुतोष,नीलकंठ कहलाये कौन।
महाकाल,अर्धनारीश्वर,भस्माकर है कौन।
जिसने विष को पी डाला,नीलकंठ कहलाये।
अपने तन पर भस्म रमाई,भस्माकर बन आये।
हर नाम की अपनी महिमा तेरी भोलेनाथ।
जिसने तेरी पूजा की रखा उनपर तूने हाथ।।
आक,धतूरा,बिल्वपत्र,भस्म दूध है प्यारे।
विष का प्याला पीकर,संकट पार उबारे।।
चंदा का श्रृंगार सर ,जटा में गंगा विराजे।
तन पर रमाई भस्म,रुद्राक्ष गले में साजे।।
त्रिशूल,डमरू,शंख,इनकी शोभा न्यारी।
अर्धनारीश्वर रूप शोभित ,पार्वती माँ प्यारी।
कार्तिकेय,गणपति पुत्र, करे नंदी की सवारी।
सिंह की खाल बना सिंहासन,गले नागधारी।
है भोले नाथ है शिव शंकर सुनो अर्ज हमारी।
इस पाप की दुनियां में,रखना लाज़ हमारी।।

रानी सोनी

©रानी सोनी 'परी' #GoodMorning
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रानी सोनी 'परी'

White मुलाकात जरूरी है 
कितनी भी हृदय से दूरी हो, पर बात जरूरी है।
इस दूरी को दूर करने को, मुलाकात जरूरी है।

इसने बोला उसने बोला, सबने बातें कह डाली।
अपनी बातों में कुछ तो, सवालात जरूरी है।

जब भी देखी बुराई देखी, क्या हम इतने बुरे थे।
अच्छाई दिखने को, मन में जज्बात जरूरीहै।

तुम भी जले और हम भी जले,बेकार बातों में।
इस जलती सुबह से बचने,इक रात जरूरी है।

है गहरे काले बादल,दिखता नहीं है रोशनदान।
पत्थर की दीवारों पर,देना आघात जरूरी है।

रानी

©रानी सोनी 'परी' #Thinking
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रानी सोनी 'परी'

White सुकून कहीं खो गया है 
यह मेरे शहर को ,न जाने क्या हो गया है।
वो बचपन वाला सुकून,कहीं खो गया है।
खो गई है आंगन में बचपन की शरारतें।
खो गई है देर तक आराम वाली करवटें।
खो गई है बारिश में कागज़ वाली नाव।
खो गई है धूप में खपरैल वाली छांव।
रात में जागता शहर दिन में सो गया है 
यह मेरे शहर को न जाने क्या हो गया है।
कहां है वो स्कूल का लटकता सा थैला।
कहां है वो पुरानी किताब कपड़ा मैला।
अब आचार की खुशबू नदारद हो गई।
अब सबकी अपनी अपनी चादर हो गई।
चादर की सादगी, स्वच्छता कह धो गया है।
यह मेरे शहर को न जाने क्या हो गया है।
ढूंढो जरा कहां गया वह छुट्टी वाला इतवार।
कहां है साथ बैठ टीवी देखने वाला परिवार।
गुल्ली डंडा,खो - खो और पापा की चिट्ठी।
आंगन में तुलसी और बर्तन धोने की मिट्टी।
ये कंप्यूटर मोबाइल दूरी मिट्टी में बो गया है।
यह मेरे शहर को न जाने क्या हो गया है।
वो बचपन वाला सुकून कहीं खो गया है।
रानी

©रानी सोनी 'परी' #Life❤
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रानी सोनी 'परी'

#Dosti
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रानी सोनी 'परी'

@कलम

@कलम #शायरी

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रानी सोनी 'परी'

रोक ना पाओगे

रोक ना पाओगे #कविता

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रानी सोनी 'परी'

#merikahaani
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रानी सोनी 'परी'

दोस्त के रूप में तूने,अवतार लिया।।
तू आ नही सकता, हर बार मेरे पास।
मेरे दर्द का लेकिन, हो गया अहसास।
सखी बनाकर भेज दिया बाटें मेरा दर्द।
बचपन से बुढापे तक वो मेरी हमदर्द।।
न अपेक्षा न उपेक्षा,केवल चाहा प्यार।
झूठे सारे रिस्ते पाये, सच्चा मेरा यार।।
जख्म जो मुझे मिला,आंखे नम हुई तेरी।

दोस्त के रूप में तूने,अवतार लिया।। तू आ नही सकता, हर बार मेरे पास। मेरे दर्द का लेकिन, हो गया अहसास। सखी बनाकर भेज दिया बाटें मेरा दर्द। बचपन से बुढापे तक वो मेरी हमदर्द।। न अपेक्षा न उपेक्षा,केवल चाहा प्यार। झूठे सारे रिस्ते पाये, सच्चा मेरा यार।। जख्म जो मुझे मिला,आंखे नम हुई तेरी। #कविता

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