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shiprapandeyjagr1687
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Shipra Pandey ''Jagriti'

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Shipra Pandey ''Jagriti'

White अरे...! 
छोड़ो ना 
मिलने मिलाने का ये सिलसिला
 वही रोज रोज की तकरार
नया क्या है इसमें..? 
चलो फि से...
एक दूजे से अनभिज्ञ हो
नई पहचान बनाने की
कोशिश करते हैं ना...!!

©Shipra Pandey ''Jagriti' #sad_quotes
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Shipra Pandey ''Jagriti'

White उफ़्फ्फ...! 
सब तो छोड़ दिया
पर.. 
एक लत जो छूटती नहीं
तुझे याद करना
और... 
तेरी तस्वीर से बातें करना..!!

©Shipra Pandey ''Jagriti' #sad_quotes
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Shipra Pandey ''Jagriti'

White जिद्दी..
दोनों ही हैं एक से
मेरा झुकना संभव नहीं
और तुम्हारा .....!!

©Shipra Pandey ''Jagriti' #love_shayari
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Shipra Pandey ''Jagriti'

White तेरा आना संभव नहीं हुआ,
इंतज़ार...
मेरा ख़त्म नहीं हुआ..!
अजीब है ना..? 
पेपर ये गलती से भी
कभी लीक नहीं हुआ..!!

©Shipra Pandey ''Jagriti' #love_shayari
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Shipra Pandey ''Jagriti'

White तेरे साथ  वक़्त कैसे गुजरता है पता नहीं
पर..
तेरे बाद वक़्त कैसे गुजरता है किसे पता..!!

©Shipra Pandey ''Jagriti' #good_night
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Shipra Pandey ''Jagriti'

बस तिल और गुड़ की मिठास नहीं
अपनों के प्यार और विश्वास का अहसास भी
दो राशियों का ही नहीं दो परिवारों का  
मिलन है संक्रांति
गुस्से प्यार लाड़ दुलार का मिश्रण है
 ( खिचड़ी) 
 ज़िंदगी की पतंग हो रिश्तों की मजबूत डोर दो
तब मिल कर हैप्पी मकर संक्रान्ति बोल दो।

©Shipra Pandey ''Jagriti' #makarsankranti
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Shipra Pandey ''Jagriti'

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset लो लोहरी भी आ गई
अब तो सारे गिले शिकवे 
इस अग्नि में स्वाहा कर दो
आओ हम मिलके सारी बंदिशें
सारी मुसीबतों को जला दें
यूँ मिले हम कि
ना कर सके कोई अलग इक दूजे को
जैसे मिल कर एक हो जाती है
गुड और तिल
जैसे घुल जाती है मिठास
महक जाती है फिजाएँ 
ऐसे ही महक उठे जीवन हमसब का
नये फसल से भर जाता है घर बार जैसे
ऐसे भरे जीवन में सबके इक दूजे का प्यार और विश्वास..!

©Shipra Pandey ''Jagriti' #Lohari
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Shipra Pandey ''Jagriti'

Unsplash  
अनपढ़ हूँ... 
पढ़ नहीं सकती
ना समझ हूँ 
तुम्हारे कहे शब्द
कम समझ आते हैं मुझे
पर.,किताबों की भाषा..! 
बखूबी समझ सकती हूँ.
अबकी उपहार स्वरूप मुझे
मेरे पूर्वजों की थाती भेट कर देना..!!

©Shipra Pandey ''Jagriti' #Book
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Shipra Pandey ''Jagriti'

White सुनो ना...! 
ये जो तुम्हारा मौन है ना 
चुभता बहुत है
तुम संवाद करती/ कुछ बेतुके सवाल करती
बेबात की बात करती अच्छी लगती हो;
तुम जो ख़ामोश होती हो ना
तो दरो दीवार भी उदास होते हैं
तुम्हारी ख़ामोशी का चादर
 पूरे घर पर फैल जाता है,
तुम  उदास तो शब्द व्यर्थ संवाद निःशब्द 
और सब निरर्थक.., 
सुनो..! 
तुम जानती हो ना
मौन संवाद समझ से परे है मेरे
नहीं समझ मुझे रूठने मनाने की
क्या तुम ऐसे ही नहीं मान सकती..? 
बोलो ना..! 
सुनो ना.. 
ये जो मौन है ना तुम्हारा
 सच में  बहुत चुभता है ..!!

©Shipra Pandey ''Jagriti' #love_shayari
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Shipra Pandey ''Jagriti'

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset डूबता  सूरज कह जाता है अंत नहीं यह जीवन का
हर रात इक उम्मीद बाँध के लाती है अपने साथ
जो चीर सको इसके स्याह पहलू को तो चीर डालो 
इक नई किरण खड़ी मिलेगी अभिनंदन को तुम्हारे
बिखेरे सप्तरंगी प्रभा तिलक करती तुम्हारे ललाट 
उठो त्यागो हताशा/ निराशा के गहन भाव को
क्षितिज के पार तलाशो राह बाकी और भी हैं
डूबता सूरज कह जाता अंत नहीं यहजीवन का।

©Shipra Pandey ''Jagriti' #SunSet
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