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harshmishra9043
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Harsh mishra

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Harsh mishra

#bharat #chandrayaan 3
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Harsh mishra

#NaaHaarenge
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Harsh mishra

#DailyMessage
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Harsh mishra

#MessageOfTheDay अर्ज़ किया है🌷
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"जो बैठे हैं शिखर पे जाकर
 उनकी जिम्मेदारी है
कैसे रखना है बागों को?
कैसे रखनी क्यारी है?
©हर्ष मिश्र-हर्षानंद
02/08/2023

©Harsh mishra
  #
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Harsh mishra

अर्ज़ किया है🌷
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"किसी के आँसू होंठ से लिपटे
किसी की भीगी बहोत पलक है
चौबीस घण्टे मिले सभी को
लेकिन सबका समय अलग है।
©स्वरचित:- हर्ष मिश्र-हर्षानंद
30/7/2023

©Harsh mishra
  #
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Harsh mishra

अर्ज़ किया है🌷
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छः छः बारह जोड़ा उसने
छः में छः को घटा दिया
अनजाने में हो गयी गलती
सब लोगों को बता दिया

भारी बारिश की थी आशा
लेकिन बारिश हो गयी हल्की
जोड़-घटाना था तो छोटा
लेकिन फ़िर भी हो गयी गलती

किन लोगों को वतन है प्यारा
कितने चेहरे बागी हैं
अपने भी घर में तुम झाँको
कितने दामन दागी हैं

सोंच-समझकर साजिश करना
सबका वक़्त बदलता है
सौ के पूरा होते ही फिर
चक्र कृष्ण का चलता है

भीष्म पितामह गिरते हैं
और शिशुपाल भी मरता है
समझदार है वही जगत में
समय से जो भी डरता है
©स्वरचित -हर्ष मिश्र- हर्षानंद 28.7.2023

©Harsh mishra
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Harsh mishra

अर्ज़ किया है🌷
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"तुम्हारे हाल से लगता है के मजबूर कितने हो
लबों पर है हँसी लेकिन खुशी से दूर कितने हो

कभी फुर्सत में ये गिनना तुम्हारा कौन है कितना
ज़रूरत पर नही कोई मगर मशहूर कितने हो

ये राहें कब कहाँ बदलें, भरोसा न करो इन पर 
अदालत में करो साबित के तुम बेकसूर कितने हो

अगर मुझपे नही विश्वास तो फिर गैर से पूँछो
कहीं दौलत कहीं ताकत, नशे में चूर कितने हो

तुम्हें भी इल्म इसका है के इक दिन राख़ होना है
यहाँ पर छूटना है सब ,  मगर मगरूर कितने हो

भले चेहरे पे कुछ रख लो छुपाने के लिए लेकिन
निगाहें ये बताती हैं कि चकनाचूर कितने हो

तुम्हारे हाल से लगता है के मजबूर कितने हो
लबों पर है हँसी लेकिन खुशी से दूर कितने हो।

©स्वरचित - हर्ष मिश्र हर्षानंद 12-07-2023

©Harsh mishra
  #gazal
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Harsh mishra

अर्ज़ किया है🌷
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"सूरज के आने से ही रात खत्म होती है 
बादल के जाने से बरसात खत्म होती है
जो रहता है रूह में हरदम वह जिंदा रहता है
जिस्म जला देने से क्या बात खत्म होती है।"
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स्वरचित- हर्ष मिश्र हर्षानन्द
20.06.2023

©Harsh mishra
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Harsh mishra

अर्ज़ किया है🌷
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"रूह से ज़्यादा शायद कुछ भी पाक नही होगा
तभी तो रूह के निकलते ही जिस्म को छूने वाला हर शख्स नहाता है।"
स्वरचित-हर्ष मिश्र-हर्षानंद 
02.06.2023

©Harsh mishra
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Harsh mishra

अर्ज़ किया है🌷
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"कुछ ज़ख्मों का दर्द हमेशा रहेगा
कुछ लोगों का कर्ज़ हमेशा रहेगा 
तेरे गुनाहों पर भले कोई पर्दा डाल दे
पर वो कहीं ना कहीं दर्ज हमेशा रहेगा"।
🌷स्वरचित🌷18.04.2023
हर्ष मिश्र-हर्षानंद

©Harsh mishra
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