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आदित्य रहब़र

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आदित्य रहब़र

#Labour_Day बड़े-बड़े मकानों और शहरों को बनाता हूँ 
पसीने से सींच कर हरे-भरे बाग लगाता हूँ 
किंतु __
आज भी व्यवस्था की नजरों से दूर हूँ मैं 
जी हाँ दर-दर भटकता एक मजदूर हूँ मैं ।
                 

__आदित्य रहबर
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आदित्य रहब़र

• घर
______

सारी उपलब्धियां 
सारी नाकामियों 
और सारी कोशिशों के बावजूद 
अगर आप कुछ सहेजना चाहते हैं 
तो वो है घर ।

जहाँ जिंदगी की 
वो हसीन यादें हैं 
जिसे आपने पहली बार महसूस किया था 
जिसे आपने जिया था 
जिसके छाँव में सुकूं पाया था
जिसके आँगन में आपने चलना सीखा था। 

आप बड़े-बड़े मकानों में भले ही रहे हो 
मगर घर सी अनुभूति नहीं होगी 
क्योंकि मकान ईंटों से बनाई जाती है 
और घर अपनों से बनते हैं। 

                          ___आदित्य रहब़र

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आदित्य रहब़र

• घर
______

सारी उपलब्धियां 
सारी नाकामियों 
और सारी कोशिशों के बावजूद 
अगर आप कुछ सहेजना चाहते हैं 
तो वो है घर ।

जहाँ जिंदगी की 
वो हसीन यादें हैं 
जिसे आपने पहली बार महसूस किया था 
जिसे आपने जिया था 
जिसके छाँव में सुकूं पाया था
जिसके आँगन में आपने चलना सीखा था। 

आप बड़े-बड़े मकानों में भले ही रहे हो 
मगर घर सी अनुभूति नहीं होगी 
क्योंकि मकान ईंटों से बनाई जाती है 
और घर अपनों से बनते हैं। 

                          ___आदित्य रहब़र

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आदित्य रहब़र

ढूंढ़ा चेहरे में बहुत मगर 
खूबसूरती हमारी लहजे में मिली । 

              __आदित्य रहब़र खूबसूरती ।

खूबसूरती ।

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आदित्य रहब़र

एक कप चाय में 
भरी हैं यार,दोस्तों की गप्पेबाजियां
 खुशियों की मिठास ।

दो पल की बातें ,कुछ देर का साथ 
और जिंदगी के हसीन लम्हों का अहसास ।।  


__आदित्य रहब़र चाय ।

चाय ।

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आदित्य रहब़र

#NationalEducationDay सड़कों के किनारे 
भीख मांगते बच्चों को देखा । 

उसके मासूम चेहरे को 
कुछ देर तक गौर से निहारा । 

अपार संभावनाएं झलक रही थी उनमें 
मगर गाड़ियों के पीछे भागते-भागते 
चिल्लाते-चिल्लाते 
पूरी तरह सूख चुका था उनका चेहरा। 

मेरे साथ खड़े एक दोस्त ने कहा 
यार गरीबी आज भी व्यापक पैमाने पर 
मौजूद है अपने देश में ,
उसकी बातों से अचानक मुझे 
अपने पंथ प्रधान की याद आई 
कि वो भी तो एक गरीब के ही बेटे हैं। 

                                           __आदित्य रहब़र
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आदित्य रहब़र

उसे अपने हाथों में हँसुआ लिए 
खेत में देखा एक दिन 
वो किसानी करती हैं उसने बताया 
उन्हीं हाथों में जब कलमें देखता हूँ 
तो मैं उन हाथों की सुंदरता का 
कयास लगाने में असमर्थ पाता हूँ खुद को ! 

एक ही हाथों में 
कभी कलमें
कभी किताबें 
कभी हँसुएं
और जब उन्हीं हाथों से 
 अक्सर रोटी बनाते देखता हूँ 
तो मुझे भान होता है 
कि सृष्टि ने सभी परिस्थितियों, 
सभी गुणों,सारी संभावनाओं और सभी क्षमताओं का 
एक सम्पूर्ण सार बनाकर 
उसका नाम 'स्त्री' रख दिया होगा । 

                                            ___आदित्य रहब़र स्त्री

स्त्री

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आदित्य रहब़र

लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं 
तुम्हारी नज़र में 
खूबसूरती की परिभाषा क्या है ? 
और हर बार मैं 
माँ का नाम लेकर चुप हो जाता हूँ । 

                                   __आदित्य रहब़र माँ

माँ

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आदित्य रहब़र

व्यवस्था की नाकामी का एक रास्ता 
गाँव से शहर 
और शहर से गाँव को भी जाता है। 

                           __आदित्य रहब़र

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आदित्य रहब़र

जैसे खो जाते हैं 
सीप समंदर में ,
जैसे खेलते हुए बच्चे 
खो जाते हैं खेल में , 
अक्सर,
मैं भी खो जाता हूँ तुममें । 

खोना एक तरह का पलायन है 
एक-दूसरे में ,
ये पलायन आत्मिक शांति प्रदान करता है 
और शांति का ही दूसरा अभिदान हैं प्रेम । 
                                       ___आदित्य रहब़र ©

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