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sandeepdixit5209
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Sandeep Dixit

संवेदनाएं,भावनाएं और कविताएं खुद को व्यक्त करने को प्रेरित करती हैं

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Sandeep Dixit

आज मौसम  आज मौसम की खुमारी क्या कहूँ
याद फिर आई तुम्हारी क्या कहूँ
अर्सा बीता तुम को देखा ही नहीं
मुद्दतों का दर्द है ,अब क्या कहूँ? #AajMausam
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Sandeep Dixit

तुम शब्दों की  जादूगरनी, तुम भावों की जल तरंग हो 
तुम ऊषा की प्रथम किरण 
या अंतर्मन की मृदु उमंग हो।
तुम ईश्वर की अनुपम कृति हो,
प्रकृति तत्व की अद्भुत रचना।
शब्द,भाव,लय,रूप मनोहर,
बस गागर में सागर  जितना ॥ #dilkibaat
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Sandeep Dixit

आँखों की जुबां भी पढ़ लेनी चाहिए, होता है राजे इश्क का पर्दा इन्हीं से फास,
आंखें जुबां नहीं हैं,मगर बे जुबां नहीं।

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Sandeep Dixit

सर्द दिसंबर धूप  के नखरे  बहुत हैं, बस  रजाई  और  कम्बल।
सर्द मौसम, चाय,अदरक,गुड़ से होती है मुकम्मल।
मूंगफलियां,आग,लंबी रात ,छोटे दिन,तुम्हारी याद।इस तरह हम कंपकंपा कर काट देते, सर्द दिसंबर। #सर्द दिसंबर

#सर्द दिसंबर

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Sandeep Dixit

दिसंबर तो आ गया, अब तुम कब आओगे 








फिर से बिता वर्ष, प्रिये!कब तलक सताओगे?
 इस झूठी दुनियादारी से कब फुरसत पाओगे?
सच कहता हूं इंतजार का वक्त बहुत ही मुश्किल है।
पुनः दिसंबर तो आ गया,तुम कब आओगे? #इंतजार
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Sandeep Dixit

प्यार का अहसास काफी है,
तुम हमारे हो,यही विश्वास काफी है।
दिल में इक सूरत छुपा के बैठा हूं,
मुस्कुराने के लिए यह राज़ काफी है। #अहसास
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Sandeep Dixit

मेरी किस्मत में नहीं शायद, तुम्हारा साथ था।
बस तसब्बुर में सही,हाथों में तेरा हांथ था।
हो गया आंखों से ओझल देखते, ही देखते।
दूर तक फैला हुआ अब,मंजर ए बर्बाद था। #किस्मत
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Sandeep Dixit

ये तुम्हारी भूल जाने की अदा अपनी जगह,
और अपनी दिल लगाने की वजह अपनी जगह।
हो सके तो याद कर लेना कभी, जब वक्त हो,
  छुप के रोना,हंस के मिलने की सजा अपनी जगह। #सुनो
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Sandeep Dixit

अलविदा 
खुशबुएं उपहार दे कर, चल दिया मुड़ कर न देखा।
है बहुत जालिम,बुलाया भी,मगर रुक कर न देखा।
उफ़!तुम्हारी शोखियां और ये अदाएं जानेमन,
 बे वजह ही मार देंगी,कर के यह महसूस देखा। #विदाई
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Sandeep Dixit

अलविदा 
खुशबुएं उपहार दे कर, चल दिया मुड़ कर न देखा।
है बहुत जालिम,बुलाया भी,मगर रुक कर न देखा।
उफ़!तुम्हारी शोखियां और ये अदाएं जानेमन,
 बे वजह ही मार देंगी,कर के यह महसूस देखा। #विदाई
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