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bkmishra4361
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Bk Mishra

देह भंगुर सांसे थोड़ी और समय की फांस डोरी हैं सभी सीमाएं अपनी सब भरम सब खेल है मेरे अंदर है जो बैठा सत्य है बेमेल है उनके शब्दों को सुना दूं छेड़ दिल की तान रे मैं कवि हूँ मृत्यु भी अपनी है काव्य बीन बिरान रे #poet #consultant #SanatanYatri

https://www.youtube.com/channel/UCKznIDnNgMKPeB5Y7r5d9CA

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Bk Mishra

राधा कृष्ण विरह गीत 
#true_love

राधा कृष्ण विरह गीत #true_love #nojotovideo #संगीत

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Bk Mishra

#प्रेमगीत 
#MeriKavita
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Bk Mishra

#Happy_Birthday_Modiji
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Bk Mishra

है कुरुक्षेत्र हर क्षण जीवन का 
यह जान समर में आया है 
धर्म ध्वजा, गांडीव धरे वो 
वैराग्य विरता पाया है 

हैं क्षत्रपति लौटे फिर से 
रणचंडी का खप्पर भरने 
कर विरोच्चित वह कर्म मात्र
भारत को निष्कंटक करने

है पुष्प मित्र सा जान रहा 
घर के भीतर गद्दारों को 
धर्म राष्ट्र के शत्रु को 
कुण्ठित हर एक विचारों को 

निर्लिप्त  हुए असि हाथ धरे
वह ललितादित्य सा रण में है
निर्भीक खरा शत्रु दलने
स्वच्छंद सिंह सा वन में है 

एक महायुद्ध हैं शेष अभी 
शत्रु उत्पात मचाया है 
ललकार काल के सेवक को
भैरव को पुनः जगाया है 

संकल्प भानु से ले कर वह
प्रति पल अंधियारे से लड़ता 
है यश अपयश का मोह कहाँ 
बस कर्म योग पथ पर चलता #happybirthdaypmmodi
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Bk Mishra

जिंदगी का फ़लसफ़ा 
दिल की बात हिन्दी के साथ
#हिंदीदिवस

जिंदगी का फ़लसफ़ा दिल की बात हिन्दी के साथ #हिंदीदिवस #nojotovideo

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Bk Mishra

भारत माता 

ग्राम देव स्थान देव 
कह कर भूमि को पूजा है 
जिस जगह है हमने जन्म लिया 
वह देश न माँ से दूजा है 

जिस धरा से हम पोषण पाते 
वह पालक पिता नही है क्या ? 
पर कायर बच्चों के खातिर 
यह भारत बंटा नही है क्या? 

अब भी संभलो अब भी जागो 
उस पौरुष का संधान करो 
भारत के टुकड़े जो चाहे 
उन असुरों का कल्याण करो।  

कल्याण असुर का किस में है 
यह फिर से तुम्हे बताऊ क्या ? 
काली शंकर या राम कृष्ण का 
कल्याण मार्ग समझाऊ क्या ?

हर गण का जो यह तंत्र सही 
तो सब गण का दायित्व भी है
भारत के दुश्मन से लड़ना 
हम सब का अपना युद्ध भी है  

अपने अस्तित्व  का युद्ध यदि 
औरों के कंधे डालेंगे 
उस रक्तबीज से भारत को 
क्या फौजी सिर्फ बचा लेंगे ? 

हैं घात लगाए बैठे वो 
हर गली मोहल्ले चौराहे 
तेरे शोणित के प्यासे हैं 
वह शांति शांति गाने वाले 

निज रक्षा धर्म निभाने को 
असि हाथ धरों निज कर्म करो 
जय घोष करो सह वीर्यम का 
तुम वीर बनो संताप हरो #InspireThroughWriting 
भारत माता

#InspireThroughWriting भारत माता #कविता

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Bk Mishra

मुक्तिबोध
--------------
मृग तृष्णा में भटक रहा मन 
जाने कब उसे समझ मे आये 
ढूंढ रहा है जिसे दसों दिशा में 
तेरे भीतर हैं वो समाए 

क्षण क्षण तेरा बित रहा है 
अमृत घट तेरे काम न आये 
जकड़े रहे मोह के वश में 
अपने को हीं समझ न पाए 

एक जन्म फिर कई जन्म
फिर जन्मों का यह चक्र चला
भटके तुम लाखों योनि में 
कर्म योनि फिर तुझे मिला

              अब भी नही संभल पाए                
तो अंधियारा हीं पाओगे 
लाख चौरासी योनि में फिर 
भोग अकर्म का पाओगे  

सबकुछ है तेरे भीतर में 
उनका तुम सम्मान करो 
ज्ञान चक्षु का कर सिद्धि तुम
उस अमृत का पान करो 

यह अमृत है बड़ी निराली 
जो नर इसको पायेगा 
सब दोषों से मुक्ति पा कर 
सतचित देव तुल्य हो जाएगा। 

फिर न तुम्हे मोह जकरेगी 
न माया भरमायेगी 
सारे जग का अंधियारा भी 
तुम को छू नही पाएगी 

ज्योति पुंज बन कर चमकोगे 
दीप्त करोगे जग सारा 
मुनि सा निर्मल जीवन होगा 
जैसे सरिता की धारा #InspireThroughWriting
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Bk Mishra

ब्रह्म स्रोत 
-------------
सृजन है उत्तम या संहार 
है उजाला या अंधकार 
है छिपा हुआ या मूर्तरूप 
करता यह मन इस पर विचार 

यह सृजन और संहार सृष्टि का
कालचक्र नित चलता है 
हर सृजन गर्भ में स्वयं निरत
संघार का बीज भी पलता है 

यह प्रभा तिमिर हर व्यक्त सुप्त
हैं कई रूप और स्रोत एक 
हर कण जगती का स्व में पूर्ण
हर ऊर्जा स्वयं में है विशेष

शिव हीं है सृजक संहारक भी
कर्ता भोक्ता उद्धारक भी 
बन महायोगी है जुड़ा हुआ
अलिप्त भी वैरागी भी 

वह रिक्त भी है और शून्य वही
शिव विद्या में मूर्धन्य वही
वह काल वशुकी धारी है 
व महाकाल बन जीता है 

वही पिता भी बन कर रहता है 
भार्या वियोग भी सहता है 
वह है निर्मल व गरल भी है 
वह कल भी था और कल भी है। 
वह प्रलय काल का तांडव भी 
वह ऋषियों सा मंगल भी है #Shiva
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Bk Mishra

ब्रह्म स्रोत 
सृजन है उत्तम या संहार 
है उजाला या अंधकार 
है छिपा हुआ या मूर्तरूप 
करता यह मन इस पर विचार 

यह सृजन और संहार सृष्टि का
कालचक्र नित चलता है 
हर सृजन गर्भ में स्वयं निरत
संघार का बीज भी पलता है 

यह प्रभा तिमिर हर व्यक्त सुप्त
हैं कई रूप और स्रोत एक 
हर कण जगती का स्व में पूर्ण
हर ऊर्जा स्वयं में है विशेष

शिव हीं है सृजक संहारक भी
कर्ता भोक्ता उद्धारक भी 
बन महायोगी है जुड़ा हुआ
अलिप्त भी वैरागी भी 

वह रिक्त भी है और शून्य वही
शिव विद्या में मूर्धन्य वही
वह काल गले पर धरता है 
व महाकाल बन जीता है 

वही पिता भी बन कर रहता है 
भार्या वियोग भी सहता है 
वह है निर्मल व गरल भी है 
वह कल भी था और कल भी है। 
वह प्रलय काल का तांडव भी 
वह ऋषियों सा मंगल भी है #LoveYouShiva
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Bk Mishra

पिताजी
सारा वह कष्ट उठा कर के 
खुशियाँ तेरे दामन भरता
तेरे खुशियों के खातिर जो 
अपना जीवन अर्पण करता 
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जीता है अपना बालपन
तेरे किलकारी के स्वर में 
अपने पुरुषार्थ को पाता है
बच्चों के स्वस्थ आत्मबल में
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जीवन अपना खुद के लिए नही
अपने संतान की रक्षा में 
खुद तपता है भानु बन कर 
तेरे मंगल की इक्षा में 
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पिता नही उन्हें देव कहो 
जो तेरे लिए जीता मरता 
तुझको अमृत का घट देकर
सारा विषपान स्वयं करता
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कब देखा है तुमने अंशु
कब सुना है उनका दर्द भला
जग का वह बोझ उठा कर भी
ऋषियों सा है चुपचाप चला 
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तेरी रचना में छिपा है वो
परमपिता ब्रह्मा बन कर
विष्णु की तरह पालन करता
स्वयं को वो भूखा रख कर 
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उनकी अंगुली को थाम के हीं
तुम ने तो है चलना सीखा 
उनके कंधे पर बैठ के तो 
सारा दुनियां तुमने देखा 
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उनका सम्मान न करे जो जग
तो क्या यह दुनियाँ चल सकता
न कोई जग में आएगा 
न कोई फिर से पल सकता 
#शब्दांश# #LoveYouDad
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