Nojoto: Largest Storytelling Platform
sanjeevsingh9652
  • 67Stories
  • 595Followers
  • 676Love
    4.6KViews
  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
c049fb1d0f7b245309b08906378f00e0

Sanjeev Singh

#poetrybysanjeevsingh #hindi_shayari #Waah #sanjeevsingh #मनु 
c049fb1d0f7b245309b08906378f00e0

Sanjeev Singh

हर शहर गाँव में बस अमन चाहिए। 
स्वर्ण सा फ़िर हमें वो वतन चाहिए। 

ऐसा होना तो कोई भी मुश्क़िल नहीं, 
हम सभी का ज़रा सा जतन चाहिए।

©Sanjeev Singh
  #poetrybysanjeevsingh #sanjeevsingh #waahbhaiwaah #muktak
c049fb1d0f7b245309b08906378f00e0

Sanjeev Singh

#poetrybysanjeevsingh
c049fb1d0f7b245309b08906378f00e0

Sanjeev Singh

#poetrybysanjeevsingh
c049fb1d0f7b245309b08906378f00e0

Sanjeev Singh

गुमनाम रहने दो 
--------------------

इश्क़ के बाज़ार में मुझको, बे-नाम रहने दो ।
मुहब्बत की गलियों में मुझे, गुमनाम रहने दो ।

इश्क़ का इल्म रखने वाले, बहुत ख़ास हुए ,
मुझे इसकी तालीम नहीं, मुझे आम रहने दो ।

तुम मुझे यूँ ही छोड़कर, जा सकते हो कहीं ,
वो सुबह तुम्हारी हुई, मुझको शाम रहने दो ।

मुहब्बत का गुनाह तो दोनों ने किया मगर ,
तुम्हें बरी करता हूँ, मुझपर इल्ज़ाम रहने दो ।

तुम चाहो तो ये पूरा मयखाना, तुम रख लो ,
मुझे आँखों से नशा होता है, जाम रहने दो ।

मुझको इन मज़हबी जंगलों में मत घसीटो ,
मुझमें अल्लाह, यीशु, गुरू और राम रहने दो ।

संजीव सिंह

©Sanjeev Singh #poetrybysanjeevsingh #sanjeevsinghsuman #kumarsanjeev #Love  #Life 

#darkness
c049fb1d0f7b245309b08906378f00e0

Sanjeev Singh

ज़लालत  क्या होती है, पीकदान से पूछ लो ।
दबे कुचले का एहसास, पायदान से पूछ लो । 

दुश्मनी कितनी है,तलवार की म्यान से पूछ लो,
दोस्ती  कितनी है, अपने  बलिदान से पूछ लो ।

महलों के अमीरज़ादे क्या समझेंगे ग़रीबी को, 
मुफ़लिसी क्या होती है, टूटे मकान से पूछ लो ।

हम ख़ुशकिस्मत हैं, जो हमारे परिवार साथ हैं ,
अपनों की कमी, सरहद के जवान से पूछ लो ।

"पैरों की धूल के बराबर भी नहीं", सुना है ना !
तलवों का सम्मान, जूते की दुकान से पूछ लो ।

किसी की ज़िन्दगी से अँधेरा, कैसे मिटाते हैं ,
नहीं मालूम तो जाकर, रौशनदान से पूछ लो ।

कल की परवाह क्यों करते रहते हो, साहब, 
भविष्य में क्या होना है, वर्तमान से पूछ लो ।

हमेशा जिंदा रहने की ख़्वाहिश रखते हो क्या?
दो गज़ ज़मीन की कीमत, श्मशान से पूछ लो ।

©Sanjeev Singh #poetrybysanjeevsingh 

#Night
c049fb1d0f7b245309b08906378f00e0

Sanjeev Singh

#sanjeevsingh 

#MyPoetry
c049fb1d0f7b245309b08906378f00e0

Sanjeev Singh

#sanjeevsingh 

#MyPoetry
c049fb1d0f7b245309b08906378f00e0

Sanjeev Singh

 #sanjeevsingh 

#ReachingTop
c049fb1d0f7b245309b08906378f00e0

Sanjeev Singh

क्या भूल गए हम ज़माने ग़म के ।
जब जाम पिया करते थे जम के ।

गुज़र जाती थी रात बस यूॅं ही ,
सवेरे मिलते थे हम मचल के ।

चलते थे दौर शराब के अक्सर ,
और सुलझते थे झगड़े कल के ।

दोस्ती में प्याले टकराते थे ,
सूरज इजाज़त देता था ढल के ।

यारों की यारी में दम होता था ,
बताती थी शमा सुबह तक जल के ।

दोस्त के लिए कुर्बान थी ज़िन्दगी , 
जैसे रौशनी के लिए मोम पिंघल के । 

कोई गम भी गम ही नहीं लगता था ,
जब आती थी बात दोस्ती की चल के ।

यूँ तो मयखानों में तल्खियाॅं होती थी ,
मगर यारों से बोलते थे सॅंभल के ।

संजीव सिंह ✍️

©Sanjeev Singh #Life

12 Love

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile