Nojoto: Largest Storytelling Platform
nojotouser3443405204
  • 14Stories
  • 47Followers
  • 49Love
    0Views

प्रभाकर "प्रभू"

Actor, Writer, Poet

  • Popular
  • Latest
  • Video
c0cd7ab83dfa674da993e6ec2fcec6df

प्रभाकर "प्रभू"

**  ग़ज़ल :- ये मुमकिन नहीं  **

लौट आऊँ सफ़र से, ये मुमकिन नहीं
गिर जाऊँ नज़र से, ये मुमकिन नहीं

मुमकिन नहीं अब दीवाना कहलाऊँ
फ़िर गाऊँ बहर से, ये मुमकिन नहीं

क़यामत में आख़िर बचेगा फिर कौन
बच जाऊँ क़हर से, ये मुमकिन नहीं

नींद आती भी है पल दो पल के लिये
चुरा लाऊँ पहर से, ये मुमकिन नहीं

घर की मुस्कान के ख़ातिर शहर मैं गया
लौट आऊँ शहर से, ये मुमकिन नहीं

बिन बताये गये हो तुम किस राह में
ढूंढ पाऊँ किधर से, ये मुमकिन नहीं

बहुत मुश्किल से इंसान हुआ है "प्रभू"
कैसे भुलाऊँ जिगर से, ये मुमकिन नहीं

©प्रभाकर "प्रभू" #nojoto
c0cd7ab83dfa674da993e6ec2fcec6df

प्रभाकर "प्रभू"

ख़ुद को, ख़ुद में, खोने से, डर लगता है
रात को, अँधेरों में, सोने से, डर लगता है

बहुत जिम्मेदारियाँ हैं, मेरे इस दोनों कंधों पे
सिर्फ़ तुम्हारे सपने को, ढोने से, डर लगता है

कभी बारिश, कभी सूखा, ये आग और तूफां
फ़सल को, खेतों में, बोने से, डर लगता है

मेरी माँ की साड़ी है, तो जैसे माँ ही लगती है
पुरानी है बहुत, मगर धोने से, डर लगता है

मेरी मुस्कान से ही घर मेरे, ढेरों खुशियाँ हैं
उन बच्चों के आगे, रोने से, डर लगता है

कभी जमीं को छोड़कर, सोया नहीं मैंने
अब ये खाट, बिछौने से, डर लगता है

सियासतों का खेल है, कि हम दुश्मन है
अब कहीं दंगा, होने से, डर लगता है

ना जाने किधर से, पंजों का हुज़ूम आ जाये
मुझे बीच में ही रखो, कोने से, डर लगता है

©प्रभाकर "प्रभू" #nozoto
c0cd7ab83dfa674da993e6ec2fcec6df

प्रभाकर "प्रभू"

                 !!  जब आग लगी होगी  !!

कहीं धूआँ उठा होगा, कहीं आग लगी होगी।
पानी से ना बुझा होगा, जब आग लगी होगी।।
            नफ़रतों को क़ैद कर, वो सितम ढाया होगा।
            कितने अरमान जले होंगे, जब आग लगी होगी।।
ज़ख़्म जो सुख गये थे, कुरेद कर किया ज़िंदा।
कई ज़ख़्म नये उगे होंगे, जब आग लगी होगी।।
            आधा बरस, ख़ून से सींचा जिस मिट्टी को वो।
            राख हुये उम्मीदों का फ़सल, जब आग लगी होगी।।
बर्दाश्त के बाहर था, गरम खाना भी बिटिया को।
और सह गयी दहेज का जलन, जब आग लगी होगी।।
           हो गये कस्बे वीरान, कल जहाँ शोर था।
           सियासत की तीली से, जब आग लगी होगी।।
कल तक तो हरा-भरा था, आज ये बंजर कैसे।
सब भाग गये होंगे, जब आग लगी होगी।।
         जो पक्का मकां था बच गया, दो-चार गिनती के।
         कच्चे मकानों ने आबरू बचाई, जब आग लगी होगी।।
चूड़ियाँ, कंगन, पायल, झुमका, यहां-वहां मिला।
चीख-पुकार मचा होगा, जब आग लगी होगी।।

                          ©प्रभाकर "प्रभू" @nojotonews #nojoto #nojotonews

@nojotonews #Nojoto #nojotonews

c0cd7ab83dfa674da993e6ec2fcec6df

प्रभाकर "प्रभू"

 If u like then give your feedback.
#nojoto #quote #gazal

If u like then give your feedback. #Nojoto #Quote #gazal

c0cd7ab83dfa674da993e6ec2fcec6df

प्रभाकर "प्रभू"

 follow me pls

follow me pls #Poetry

c0cd7ab83dfa674da993e6ec2fcec6df

प्रभाकर "प्रभू"

 If u like, then give your review and follow...

If u like, then give your review and follow... #Poetry

c0cd7ab83dfa674da993e6ec2fcec6df

प्रभाकर "प्रभू"

 #nojoto
c0cd7ab83dfa674da993e6ec2fcec6df

प्रभाकर "प्रभू"

**  ग़ज़ल :- घर मेरा  **

तपिश, कुछ इस तरह हुआ, घर मेरा।
छत जलने लगा, बेहाल हुआ, घर मेरा।।

इस तरह की होगी गर्मी, सोचा ना था।
एक अनबुझा सा, सवाल हुआ, घर मेरा।।

सोचा था, उनके आने से, संवर जाएगा।
अचानक से, एक बवाल हुआ, घर मेरा।।

दीवारें किया नया, इस दिवाली को मैंने।
अंदर ना शांति, बहाल हुआ, घर मेरा।।

जब से किया शुरू, सेवा मैं माँ की।
तब से, एक कमाल हुआ, घर मेरा।।

परदेश का हो गया, एक नौकरी के कारण।
गाँव का जर्जर हुआ हाल, घर मेरा।।

ज़िन्दगी के उलझनों से, फुर्सत नहीं मिलती।
गये ना जाने कितने हुए साल, घर मेरा।।

©प्रभाकर "प्रभू"
 उम्मीद करता हूँ कि आपको अच्छा लगे, और अच्छा लगे तो कृप्या अपनी प्रतिक्रिया तथा फॉलो जरूर करें।

धन्यवाद।।

उम्मीद करता हूँ कि आपको अच्छा लगे, और अच्छा लगे तो कृप्या अपनी प्रतिक्रिया तथा फॉलो जरूर करें। धन्यवाद।। #Poetry

c0cd7ab83dfa674da993e6ec2fcec6df

प्रभाकर "प्रभू"

**  ग़ज़ल  **

तुम मेरे एहसास में हो, या तुमसे ही एहसास है।
तन है तुमसे, कोसों पर, मन तुम्हारे पास है।।

छोड़ दे बस, ये गुमाँ, के और हसीं तुझसा नहीं।
पर नयन, तुझको निहारे, कैसा ये प्यास है।।

चुप अधर है, बेचैन नयन, दिल में कितनी कसक।
जानता हूँ, चारों तरफ, लोग तुम्हारे पास हैं।।

बाबूजी, अब डांटते, कहते है, मुझको निकम्मा।
उनको क्या बताऊँ मैं, की वो मेरी हर सांस हैं।।

ओस हो तुम शाम की, तुमसे चहकता हुआ सुबह।
तुम नहीं तो लगता ऐसा, जीवन ये सन्यास हैं।।

नफ़रतों में जीते हैं जो, उनसे लगता ये "प्रभू"
देह है पर, दिल नहीं, एक सर कटा सा लाश है।।

©प्रभाकर "प्रभू" कृप्या अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें और अच्छा लगा हो, तो फॉलो भी करें।
धन्यवाद।।

कृप्या अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें और अच्छा लगा हो, तो फॉलो भी करें। धन्यवाद।। #Poetry

c0cd7ab83dfa674da993e6ec2fcec6df

प्रभाकर "प्रभू"

।।** ग़ज़ल **।।
मिलती ना फ़ुर्सत, ना फ़ुर्सत जहाँ को।
देखा है आँखों ने, सिर्फ़ हँसते जहाँ को।।

मरता है बेबस, प्यासा कोई, भूख से।
मग़र फ़र्क़ पड़ता, कहाँ है जहाँ को।।

भला ना किया, बस बुरा ही जीया।
मिला चैन उसको, लड़ाकर जहाँ को।।

भले खाने को, घर में, दाना नहीं पर।
औक़ात लाखों में, बताना जहाँ को।।

कर्ज़ से झुक गयी, अब तो कमर भी।
बात-बात में, शर्तें लगाना, जहाँ को।।

बेआबरू, होती रहें, भले बेटियाँ।
शर्म आनी नहीं है, फिर भी जहाँ को।।

चोरी होती रही, बीच मोहल्ले में मेरे।
और गहरी आती रही, नींदें जहाँ को।।

तुम्हें मेरी सच से, नफ़रत है, तो रहे।
बस हालात, दिखाया है, सच्चा जहाँ को।।

©प्रभाकर "प्रभू"
 #ग़ज़ल_3
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile