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पंडित डीडी पाठक

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पंडित डीडी पाठक

जब भी मन उदास हो, खुद को प्रकृति के निकट ले जाये, पंक्षी, नदियां, वृक्ष, लता पत्तों व अंबर को निहारे। सोच़े ..
पेड़  हमेशा देते है.... 
अंबर कुछ नही लेता है...
देखो नदी की अनुपम धारा ...
पर्वत, पत्थर और पहाड़....
रूकावटें आती लाख हजार...
पर लक्ष्य को वह पा जाती है...
बाधाओं से न घबराती है.....

फिर हम क्यों कायर कहलाये...
जीवन को उन्मुक्त विताये....
जीवन का दूजा नाम ही संघर्ष है...

और जब भी छाये काला घना अंधेरा...

इस पंक्ति को बस दौहराये..
"ये वक्त बदल जायेगा" 
✍पं डीडी पाठक अनुराग, दतिया मध्यप्रदेश
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पंडित डीडी पाठक


🌹🇮🇳 दोहे🇮🇳🌹
नमन पिता जी  आपको,   करता  बारंबार।
स्नेह सदा मिलता रहा, मिला सदा ही प्यार।।

मुझे मिला है आपसे, निशिदिन ज्ञान  अपार।
देव तुल्य तो आप है, लिए मनुज अवतार।।

नित्य चरण में करुँ नमन, ध्यान धरूँ दिन रात।
कृपा दृष्टि मुझ पर  करें, रखें  शीश में  हाथ।।

यह कुटुंब नित आपसे, माँगे नेह अपार।
कृपा दृष्टि से आपकी, महके घर संसार।।

आप  बिराजो  हृदय में, बढ़े   हमारा मान |
जुड़ी आपके नाम से, हम सबकी पहचान।।

भूल हमारी  माफ कर, करें  कृपा भरपूर।
दया दृष्टि हम पर करें, कष्ट करें सब दूर।।

✍पंडित डीडी पाठक अनुराग"वशिष्ट" पिताजी को समर्पित दोहे

पिताजी को समर्पित दोहे #poem

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पंडित डीडी पाठक

ग़ज़ल

आँख से आँख  सनम गर जो  मिलाकर  जाते।
दिल में इक प्यार का दीपक तो जलाकर जाते।

बात  मेरे  मन  की  तुम  जो  समझते  हमदम,
आग जो  दिल  मे  लगी उसको बुझाकर जाते।

मेरे    महबूब    सनम   याद     तुम्हारी   आई,
दर्द  दिल  के  सभी  तुम आज मिटाकर जाते।

✍पं डीडी पाठक अनुराग
22/08/2020 #ShiningInDark
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पंडित डीडी पाठक

आँख से आँख  सनम गर जो  मिलाकर  जाते।
दिल में इक प्यार का दीपक तो जलाकर जाते।

✍पं डीडी पाठक अनुराग अनुराग

#meltingdown

अनुराग #meltingdown

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पंडित डीडी पाठक

🌷🌺🇮🇳मुक्तक 🇮🇳🌺🌹🌹
आपके अनुराग का अब तो, ये  दिल मलंग रहता है,
दर्द सारे जहां का अब तो,  मुझको मरहम दिखता है,
रूठकर तुम जबसे गई हो, ऐ मिरे दिल की मल्लिका,
मेरे  मन  का  मंदिर  अब  तो,  सूना   सूना लगता है।
***********************************
विरह की आग में दिल अब तो,बस दिन रात धडकता है,
मैं लाख समझाऊँ उसे पर,  वह कुछ भी न   समझता है,
उम्मीदें  बहुत  हैं  मुझे  तो,  तुझसे  अब  भी  ऐ  हमदम,
मेरे  मन  का  मंदिर  अब   तो,  सूना   सूना   लगता  है।
🌷🌷🌹🌺🇮🇳💐🌺🙏🙏🌺🌹
✍पं डीडी पाठक अनुराग "वशिष्ट"
पीताम्बरापुरी (दतिया), मध्यप्रदेश 12/08/2020 अनुराग

अनुराग #Shayari

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पंडित डीडी पाठक

🌹🇮🇳 🌹ग़ज़ल🌹🇮🇳🌹
दिलरुबा  हमको  दिवानी  चाहिए,
प्रेम की  फिर  वो  कहानी चाहिए।1
************************
होश  तो हम खो चुके है आजकल,
दोस्तों  की    मेहरबानी    चाहिए।2
**********************
उम्र भर  पी आँसु लेंगे हम  सनम,
 आँख   तेरी   मुस्कुरानी  चाहिए।3
***********************
साथ  अपने  रख  सकूँ  मैं  उम्रभर,
आपकी बस एक निशानी चाहिए।4
************************
बात समझे बिन कहे 'अनुराग 'की,
दिलरुबा  ऐसी   सयानी  चाहिए।5

✍पंडित डीडी पाठक अनुराग
30/07/2020 ख्वाहिश-ए-अनुराग

ख्वाहिश-ए-अनुराग #Shayari

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पंडित डीडी पाठक

🌹🇮🇳 🌹ग़ज़ल🌹🇮🇳🌹
दिलरुबा  हमको  दिवानी  चाहिए,
प्रेम की  फिर  वो  कहानी चाहिए।1
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होश  तो हम खो चुके है आजकल,
दोस्तों  की    मेहरबानी    चाहिए।2
**********************
उम्र भर  पी आँसु लेंगे हम  सनम,
 आँख   तेरी   मुस्कुरानी  चाहिए।3
***********************
साथ  अपने  रख  सकूँ  मैं  उम्रभर,
आपकी बस एक निशानी चाहिए।4
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बात समझे बिन कहे 'अनुराग 'की,
दिलरुबा  ऐसी   सयानी  चाहिए।5

✍पंडित डीडी पाठक अनुराग ख्वाहिश ए अनुराग

ख्वाहिश ए अनुराग #Shayari

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पंडित डीडी पाठक

सपनों को  मैं  अंवर  कर  लूँ।
आँखों को क्या सागर कर लूँ।1
**********************
आओ फिर एक बार सनम तुम,
मन   अपना मैं  निर्झर कर  लूँ।2
***********************
दिल मासूम  हमारा  हमदम,
क्या इसको मैं पत्थर कर लूँ।3
**********************
हृदय बिलख रहा है साजन,
दीदार  तेरा जी  भर कर लूँ।4
*********************
आ  जायो  ख़्वाबो  में मेरे,
आँखों को मैं सुंदर कर लूँ।5
*********************
लग   जायो  मेरे   सीने  तुम,
ख़्वाबो को भी मैं तर कर लूँ।6
*********************
रूठ   गये   क्यों   हमदम   मेरे,
मिल जायो दिल जोकर कर लूँ।7
***********************
तोड़  दिया  क्यों दिल बैचारा,
सपनों को क्या वंजर कर लूँ।8
**********************
है "अनुराग" सनम जो हमसे,
मन आँखों को मंजर कर लूँ।9
*********************
✍पंडित डीडी पाठक अनुराग"वशिष्ट"
22/07/2020 #DawnSun
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पंडित डीडी पाठक

सपनों को  मैं  अंवर  कर  लूँ।
आँखों को क्या सागर कर लूँ।1
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आओ फिर एक बार सनम तुम,
मन   अपना मैं  निर्झर कर  लूँ।2
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दिल मासूम  हमारा  हमदम,
क्या इसको मैं पत्थर कर लूँ।3
**********************
हृदय बिलख रहा है साजन,
दीदार  तेरा जी  भर कर लूँ।4
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आ  जायो  ख़्वाबो  में मेरे,
आँखों को मैं सुंदर कर लूँ।5
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लग   जायो  मेरे   सीने  तुम,
ख़्वाबो को भी मैं तर कर लूँ।6
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रूठ   गये   क्यों   हमदम   मेरे,
मिल जायो दिल जोकर कर लूँ।7
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तोड़  दिया  क्यों दिल बैचारा,
सपनों को क्या वंजर कर लूँ।8
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है "अनुराग" सनम जो हमसे,
मन आँखों को मंजर कर लूँ।9
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✍पंडित डीडी पाठक अनुराग"वशिष्ट"
22/07/2020 #DawnSun
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पंडित डीडी पाठक

सपनों को  मैं  अंवर  कर  लूँ।
आँखों को क्या सागर कर लूँ।1
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आओ फिर एक बार सनम तुम,
मन   अपना मैं  निर्झर कर  लूँ।2
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दिल मासूम  हमारा  हमदम,
क्या इसको मैं पत्थर कर लूँ।3
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हृदय बिलख रहा है साजन,
दीदार  तेरा जी  भर कर लूँ।4
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आ  जायो  ख़्वाबो  में मेरे,
आँखों को मैं सुंदर कर लूँ।5
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लग   जायो  मेरे   सीने  तुम,
ख़्वाबो को भी मैं तर कर लूँ।6
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रूठ   गये   क्यों   हमदम   मेरे,
मिल जायो दिल जोकर कर लूँ।7
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तोड़  दिया  क्यों दिल बैचारा,
सपनों को क्या वंजर कर लूँ।8
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है "अनुराग" सनम जो हमसे,
मन आँखों को मंजर कर लूँ।9
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✍पंडित डीडी पाठक अनुराग"वशिष्ट"
22/07/2020 #DawnSun
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