Nojoto: Largest Storytelling Platform
virendrasinghsis6545
  • 2Stories
  • 8Followers
  • 13Love
    0Views

Virendra Singh Sisodiya

  • Popular
  • Latest
  • Video
c155e1f08d195e0a7d638dfff36c7c81

Virendra Singh Sisodiya

देखा थोड़ा आगे जाकर बाज़ार में चमक तो थी 
पर ना जाने क्यों रौनक़ नहीं दिख रही 
अभी अभी तो यहीँ खड़ी थी
पता नही कहाँ गयी इस बरस  दीवाली नहीं दिख रही ।

बच्चे भी दिखे थे खिड़की से मुझे कईं ,
बचपने वाली शरारतें उनमे नहीं दिख रही ।
अभी अभी तो यहीँ खड़ी थी
पता नही कहाँ गयी इस बरस दीवाली नहीं दिख रही ।

रंगों के तो ढ़ेर लगे है पास ही में 
रंगोलियां बनाती कलाइयां नहीं दिख रही ।
अभी अभी तो यहीँ खड़ी थी
पता नही कहाँ गयी इस बरस  दीवाली नहीं दिख रही ।

तुम तो कह रहे थे दुनिया छोटी हो गयी 
एक दूसरे से गप्पों ठहाकों की बोलियां नहीं दिख रही ।
अभी अभी तो यहीँ खड़ी थी
पता नही कहाँ गयी इस बरस दीवाली नहीं दिख रही ।

थान जमे है मिष्ठानों के हर घर की मेज़ों पर
स्नेह मिलन की मिठास नहीं दिख रही ।
अभी अभी तो यहीँ खड़ी थी
पता नही कहाँ गयी इस बरस दीवाली नहीं दिख रही ।

स्टेटस वीडियो सबने भर-भर डाल दिये है अपने मोबाइल में 
किसी के गर्मजोशी से स्वागत करने की तैयारी नहीं दिख रही ।
अभी अभी तो यहीँ खड़ी थी
पता नही कहाँ गयी इस बरस दीवाली नहीं दिख रही ।

कुर्तों की जेब में छिपी हुई ताश की गड्डियां भी देख ली मैंने
दीवाली के बहाने जुआं खेलने वाली यारी नहीं दिख रही ।
अभी अभी तो यहीँ खड़ी थी
पता नही कहाँ गयी इस बरस दीवाली नहीं दिख रही ।

लगता है राम लंका में ही रह जाएंगे इस बार 
लोगों के मन में उनके आने की खुशी नहीं दिख रही ।
अभी अभी तो यहीँ खड़ी थी
पता नही कहाँ गयी इस बरस दीवाली नहीं दिख रही । #ग़ुमदीवाली #त्योहार #स्नेह #दीपावली
#रामवापसी #भारत #diwali
c155e1f08d195e0a7d638dfff36c7c81

Virendra Singh Sisodiya

#OpenPoetry चाँद की गोदी मैली है ।
तारे देख मुझे करते ठिठोली है ।
डाँट दे ना इनको आके 
तू माँ क्यों इतनी भोली है ।

सारा जहान आँख दिखाता है ।
सिसक मेरा सारा बदन जाता है ।
डाँट दे ना इनको आके ।
तुझसे कैसे माँ देखा जाता है ।

कांटो की ऊँगली थामी है ।
ऐसी क्या मुझमें ख़ामी है ।
डाँट दे ना इनको आके ।
क्यों माँ ना भरती तू हामी है ।

ख़ुशी चिढ़ा चिढ़ा के खाते है ।
नींदे उड़ा उड़ा कर जाते है ।
डाँट दे ना इनको आके ।
क्यों माँ बस लम्हे ही वापस आते है ।

दर्द की बातें बस तर्ज़ हुई है ।
जीने में ज़िन्दगी क्यों क़र्ज़ हुई है ।
डाँट दे ना इनको आके ।
क्यों माँ ना फिक्रें अब मर्ज़ हुई है ।

ये आँखों में भरते तीखा उजाला है ।
मन इनका घनघोर काला है ।
डाँट दे ना इनको आके ।
क्यों माँ इतने नाज़ों से पाला है । #OpenPoetry  #माँ #world


About Nojoto   |   Team Nojoto   |   Contact Us
Creator Monetization   |   Creator Academy   |  Get Famous & Awards   |   Leaderboard
Terms & Conditions  |  Privacy Policy   |  Purchase & Payment Policy   |  Guidelines   |  DMCA Policy   |  Directory   |  Bug Bounty Program
© NJT Network Private Limited

Follow us on social media:

For Best Experience, Download Nojoto

Home
Explore
Events
Notification
Profile