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pournimamohol1872
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Pournima Mohol

Teacher,poetess writer

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Pournima Mohol

कधी कधी वाटतं एकांतात बसावं,
निसर्गात रमावं,
स्वतःशीच हितगुज करावं,
लोक परिक्षण करणाऱ्या लोकांमध्ये राहून आपण मात्र स्वतःचं आत्मपरीक्षण  करावे...
चढा- ओढ ,
हेवे - दवे,
रुसवे - फुगवे ही तर 
जगरहाटीच आहे
आपण मात्र त्यापलीकडे एक वेगळं जग निर्माण करावं...
स्वतःतला स्व बाजूला ठेऊन स्वतःला ओळखावं,
मनाला प्रेम आणि सौहार्दपूर्ण शांततेने सजवावे...
निसर्गात रमताना अहंकाराची पानगळ होताना पहावं,
कधी कधी वाटतं स्वतःशीच हितगुज करावं आणि हितगुज करताना अध्यात्मात स्व समर्पण करावं...
#Pournima
Mohol
Written on 27-05-2023 at 7.30 p.m.

©Pournima Mohol
  #walkalone
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Pournima Mohol

लिखना हुनर है 
या है जज्बातों का सागर?

लोग तो आंखों से बेहते जज्बातों को 
हुनर समजकर वाह वाह करते है...

©Pournima Mohol
  #Likho
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Pournima Mohol

Hope of survival you can see in the little birdies eye
It is notjust chirping but yelling to save its life from pollution.

©Pournima Mohol
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Pournima Mohol

 प्रेम क्षितिजा पलीकडले 

क्षितिजा पलीकडले प्रेम असावे
बंध संकुचित कधी नसावे,

 मनातील अनंत भावना जपाव्या
मोहापासून दूर सराव्या,

संयमाचे दवबिंदू ओंजळीत घ्यावे
चंचलता सोडून चिंतन करावे,

एकांतात मोरपीस अलगद स्पर्शून जावे
भौतिक सुखाचे वादळ शमून अध्यात्माचे वारे वहावे,

चराचरात असे प्रेम रुजावे
देहभान विसरून फुलासम फुलावे,

क्षितिजा पलीकडले प्रेम असावे
बंध संकुचित कधी नसावे...

©Pournima Mohol
  #Silence
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Pournima Mohol

The morning Suns glow
the cool winds blow

The chirping of the bird
the blooming of the bud

The shiny dew drops
the faces of the flowers pop

The Almighty of the heaven smiles
He is Nature and Nature is Divine

©Pournima Mohol
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Pournima Mohol

एक तरफ फूलों की ये जामुनी पंखुड़ियां मोह लेती है
और दूसरी तरफ पंखुड़ियों के बीचोबीच ये केसरिया रंग त्याग सिखलाता है
kमोह और त्याग दोनों कुदरत के खेल है...

©Pournima Mohol
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Pournima Mohol

ये चांद जब भी आसमान में आता है
मेरे मेहताब की याद दिलाता है
ये रात की खामोशी 
ये हवा की मदहोशी
उन्हें आसपास महसूस कराती है
उनके करीब होने का एहसास जताती है
जब भी बादलों में ये चांद खो जाता है
मेरा मन दर्पण बिखर सा जाता है
ये तन्हासी होती है फिर जिंदगी
रूठी रहती है चांद से उसकी चांदनी
#Pournima Mohol

©Pournima Mohol
  #चांद
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Pournima Mohol











The silence of the moon.               The silence of his eyes.                The silence of the breeze.             The silence of the night
The silence of the mind
The silence of the soul
The silence of our love
keep us together silently...
#Pournima Mohol

©Pournima Mohol
  #lovequote

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