#चौपाई
अश्रु सुनियो धीरज धरना,
प्रेम कठिन पर पार उतरना |
पग-पग काँटें हैं यह माना,
मेल विरह का ताना-बाना ||
हर ले मन की दुविधा सारी,
आशा ज्योत जलाकर न्यारी |
बाँधी है जब नेहा ऐसी ,
भय शंका तब बोलो कैसी ||
@पुष्पवृतियाँ
.
. #कविता
765 Views
Pushpvritiya
#चौपाई
वैरागी मन तुम बिन प्रीतम,
पीर न जाने किन् विध् हो कम...!
कस्तूरी मृग बन कर साजन,
तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!!
विरहिन देह जलन जागे है,
अग्नि सरीखा जल लागे है.....!
श्रावण आए भादो आए,
मन व्याकुल यह त्राण न पाए.....!!
पिय जी तुम बरखा बूँदन में,
नेत्र खुले पलके मूँदन में....!
काया सूखी शाख हुई है,
ताप विरह में राख हुई है.....!!
आस सभी अब मिथ्य भए हैं,
अँसूवन जल भी रूठ गए हैं....!
हिय की मारी सोच अकिंचन,
पिय जी झूठ बँधाय गयो मन....!!
@पुष्पवृतियाँ #कविता
1656 Views
Pushpvritiya
कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको,
कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......!
सुनो गर जनम दोबारा हो,
मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!!
चाहूँगी मैं जड़ में जाकर
जड़ से तुमको सींचना..
मन वचन धरण
नव अवतरण
सब अपने भीतर भींचना.....
रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम,
भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..!
मेल असंभव क्यूँ हम तुम का,
इस पर उत्तर रखूँगी....!!
पुछूँगी कि किए कहाँ
वो भाव श्राद्ध
कोमल कसीज,
खोजूँगी मैं वहाँ
जहाँ बोया गया था दंभ बीज...
उस नर्म धरा को पाछूँगी,
मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!!
मैं ढूंढूँगी
वो वक्ष जहाँ,
स्त्रीत्व दबाया है निज का,
वो नेत्र जहाँ
जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....!
प्रकृत विद्रोह तना होगा,
जब पुत्र पुरुष बना होगा.....
मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ,
कोमलताएं तलाशूँगी,
उन कारणों से जुझूँगी....
मैं तुमको जीना चाहूँगी......!!
अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व,
श्रेयस जो तुमने ढोया है...
और यूँ पुरुष को होने में
कितने तक निज को खोया.....!
कदम कठिन रुक
चलते चलते
कित् जाकर आसान हुआ,
हृदय तुम्हारा पुरुष भार से
किस हद तक पाषाण हुआ.....!!
मैं तुममें अंगीकार हो,
नवसृज होकर आऊँगी,
मैं तुमको जीना चाहूँगी........
फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!!
@पुष्पवृतियाँ #कविता
3483 Views
Pushpvritiya
#silhouette Divya Joshi Sudha Tripathi The Unstoppable thoughts अज्ञात
1035 Views
Pushpvritiya
#विरहिनी Sudha Tripathi Divya Joshi अज्ञात The Unstoppable thoughts