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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

बारहा  नक़ाब , बदल के क्या मिलेगा?
चहरा ,बेहिसाब बदल के क्या मिलेगा?
हर  दौर  में  वही  तो सवाल  आएगा।
दहफतन जवाब बदल के क्या मिलेगा।।
सूखी  नदी  कब  तलक  रोती  रहेगी ?
फ़क़त गिरदाब बदल के क्या मिलेगा? ?
दागे - दामन  तो  चाँद -सा चमके है।
सूरत  पे आब बदल के क्या मिलेगा?
इश्क़  का नशा उतर चुका है 'अथर्व'।
जामे- शराब  बदल  के क्या मिलेगा?
संजय अथर्व मेरे कवि मित्र संजय अथर्व की ग़ज़ल

मेरे कवि मित्र संजय अथर्व की ग़ज़ल

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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

आँखों  का  पानी रहने दे।
इश्क़ की निशानी रहने दे।।
छीन ले चाँद,चहरा, खुश्बू।
बस चिट्ठी पुरानी रहने दे।। आँखों का पानी रहने दे

आँखों का पानी रहने दे #शायरी

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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

 चाँद है या चेहरा तेरा

चाँद है या चेहरा तेरा #शायरी #nojotophoto

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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

काँटे हर सू बो जाता है।
नौ दो ग्यारह हो जाता है।।
तू आस्तीन का खंज़र है।
हमला करके सो जाता है।।
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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

 जीना सबका नर्क किया है

जीना सबका नर्क किया है #nojotophoto

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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

 उसे क्या लिखूँ ,सोंच पाया नहीं हूँ

उसे क्या लिखूँ ,सोंच पाया नहीं हूँ #nojotophoto

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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

 इश्क़ है तो सामने आ जा

इश्क़ है तो सामने आ जा #nojotophoto

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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

 रहूँ दूर तुमसे न ऐसी सजा दे

रहूँ दूर तुमसे न ऐसी सजा दे #nojotophoto

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डॉ मनोज सिंह 'मजबूर'

आओ कुछ-कुछ बोया जाए।
सपनों  में  भी  खोया  जाए।।
आ  बैठ  अकेले  हँस  भी लें।
किसको -किसको रोया जाए।।
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