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abhiroy1506
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Abhi Roy

from Kota Rajasthan Instagram ID artist_abhi78

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Abhi Roy

दया 
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ये है , बारिश की बूंदे देखो
आंसुओ सी प्रतीत हो रही
प्रियतम मेरा गया कही
एक बार पग निज फिरा नही
जल रहा है कानन निर्झर 
इस मेघ को भी दया नही 
केहे रहा हु रात–दिन 
एक बार श्रमकण घिरा नही 
समा गया नन्हा पौधा 
__अकाल मृत्यु कोख में
मजाल है इस मेघ की जो समय पे बरसा कही 
देख रहे हो में गर्जना ....
निज मन पाप पिघला नहीं 
पिघल गया मेरा उर ये
देख न पाया कोय 
दोष तो मेरे इसी अरण का 
जिसपर मोहित पंछी होय 
नष्ट हो रही काया ये ,,,, अब
जैसे मोती से मान गया 
वर्षा के पवित्र जल संग 
मेरा ये नयन अभिमान गया 
___________

अभिषेक सरकार

©Abhi Roy
  #kinaara
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Abhi Roy

White मेघ कण वर्णन 
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वर्षा जल पड़ रही है
कानन देह पर तर रही है 
कर रही है मेघ गर्जना 
नभ मृदंग कर चल रही है 
नाच रही है निर्झर झरनी 
ताम्र पर्ण विहीन किरणे 
नश्वर पथ पर चल रही है
नृत्यप्रिया पग चल रही है 
कोयल काठ वृक्ष में छिप रही है
 सरिता अंघर संग बह रही है

©Abhi Roy
  #Yoga
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Abhi Roy

White नभ प्रीत रतन 
___________
अनंत गगन ,
उन्मुक्त पवन
सब देखें मुझे ,
 में तो करती जतन 
सरिता  संग , खग पंत चले मगन
जद मेघ बरसे , मन होय म्हारो 
उमंग
झर–झरता बादल मैं तो नाचू 
फिरी –फिरी मदन
म्हारो नृत्य नूपुर बाजे 
कानन वन
_______

अभिषेक सरकार

©Abhi Roy
  #Sad_Status
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Abhi Roy

हरियाली गीत
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जिधर देखें आंखें 
उधर है हरियाली 
जहां तक पहुंचे आंखें 
वहां है हरियाली 
प्रकृति का सबसे कीमती 
रत्न है हरियाली
इसकी मुग्धता से बचना है कठिन
क्योंकि यह मधुमय रंगो वाली 
सुबह होते ही फूल खिले 
रात होते ही शेफाली 
फूलो से हर डाली साजी 
ये देखो हरियाली 
क्या खूबसूरत ये दृश्य रचा है 
तूने ऐ वनमली 
इसकी सुंदरता से सब मोहित 
यह मोहती ह्रदय मधूमाली
कोमल स्पर्श की नाज़ुक 
फूल है हरियाली 
मत तोड़ो इसे वनमाली 
चूंकि यह नाज़ुक जान है बड़ी प्यारी
सरिता के अंचल में 
छिपा दर्पण है हरियाली 
जिधर देखें आंखे 
उधर है हरियाली 
जहां तक पहुंचे आंखे ,  
वहां है हरियाली
____________

अभिषेक सरकार

©Abhi Roy
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Abhi Roy

इस नीम की कीमत नहीं 
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ये दुनिया है रंजीत पुष्प दल 
विभिन्न रंगों से घिरी हुई 
जहां हर पेड़ चंदन सा नही 
पर चंदन राजित गंध मौलिक नही
चुकी कुछ पेड़ नीम के भी है ,
जो हर किसी को भाते नहीं 
पर जब कठिन–काल तुम देखोगे 
ये नीम ही काम आयेंगे 
क्योंकि चंदन घाव भरते नहीं !
__________

अभिषेक सरकार

©Abhi Roy
  #phool
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Abhi Roy

मैने देखे ऊंचे–ऊंचे पर्वत शिखर
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आह रे! ये पर्वत शिखर 
नभ चुंभी ऊंचाई पर 
दिल ले गए मेरा एक ही नज़र 
हीरा–पन्ना जड़े तन पर
मैं डूब गया सागर लहर 
हाथ पकड़ मेरा , ऐ नभ कर 
डूबने से रोक ले मुझे
हे ये कितना सुंदर 
कानन वस्त्र इसके देह पर 
रोता नही ये है नभ पर 
कंधो पर सरिता को समाये 
झरना–झरता हर पल 
सुगंधित माटी इसके तन पर 
समा ले मुझे , तुझमें महिधर
कोयला हे तो क्या हुआ !
हीरा भी तो है तुझ पर 
बिजली , वर्षा तुझे हिला न पाई
 जरा सा भी डर 
खुला आसमान तेरा घर 
पशु–पक्षी सब रहे तुझ पर 
जब भी तुझे देखूं ऊंचे–ऊंचे पर्वत शिखर 
जी करे एक और बार देखूं 
तुझे मुड़कर
____________

अभिषेक सरकार

©Abhi Roy
  #mountain
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Abhi Roy

White आंधी तूफान आए मेरे उर में 
उर का क्या ही दोष 
दोष तो है मेरे इसी अरण का 
जो मुझे लिए डुबोए 
जात पात में नाही जानू 
में तो कवि मतिभोज
मेरे उर का क्या ही दोष 
मेरा उर प्रतिशोध

©Abhi Roy
  #love_shayari
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Abhi Roy

White dil lagane ke kabil nhi me 
to mt lagao dil se 
par ek baar dekho 
mujhe ek nazar se

©Abhi Roy
  #where_is_my_train
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Abhi Roy

White ये पिता कौन है
क्या कभी देखी है इसके चेहरे पर मुस्कुराहट 
ये हमेशा गुमनाम है 
ये हमेशा चुप रहता है 
चुप रहते हुए भी बेनाम है 
ये पिता किसका नाम है 
तो सुनो ये वह वृक्ष है जिसकी छाया में तुम पलते हो 
ये वो ज़मीन है जिसके आंचल में तुम फलते हो
ये वो छत है 
जो तुम्हें हर आंधी , हर तूफान से बचाता है 
सड़क पर भिंख और
 दर–दर की ठोंकरे खाने से बचाता है 
बारिशों में भीग के तुम्हें रोने से मानता है 
ये वो बाग है जो तुम्हारे खुशियों का ठिकाना है 
एक छांव है जो तुम्हे हर धूप से बचाता है 
एक सहारा जिसने तुम्हारी डालियों की सिखाओ को संभाला है 
ये पिता एक सहारा है 
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अभिषेक सरकार

©Abhi Roy
  #fathers_day
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Abhi Roy

White आखिर परिवार कैसे बिछड़ता है 
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परिवार कैसे बिछड़ता है !
ये कोई मुझसे पूछो 
एक धूप में तो दूजा 
 मुंबई काम करता है 
परिवार कैसे बिछड़ता है !
कोई तोड़ता है 
तो कोई जोड़ने के बजाय 
 पीठ पीछे बुराई करता है 
ये परिवार कैसे बिछड़ता है 
यदि चार सदस्य साथ न रहकर 
अलग-अलग सांस भरता है 
तो जी रहे किस लिए 
जरा सोचो येपरिवार कैसे बिछड़ता है !

©Abhi Roy
  #ये परिवार केसे बिछड़ता है

#ये परिवार केसे बिछड़ता है #कविता

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