बैठा हूँ आसमान के नीचे और तुम याद आ रही हो,गुलाब की खुशबू बन मेरी ओर आ रही हो,
और ये जमाना तो यूहीं शमा जला कर भूल गया तुम्हें,
मगर उन सितारों में तुम आज भी मुझे रोशनी बन नज़र आ रही हो ।
- जाधव
बैठा हूँ आसमान के नीचे और तुम याद आ रही हो,गुलाब की खुशबू बन मेरी ओर आ रही हो,
और ये जमाना तो यूहीं शमा जला कर भूल गया तुम्हें,
मगर उन सितारों में तुम आज भी मुझे रोशनी बन नज़र आ रही हो ।
- जाधव
Durgesh Jadhav
बड़ी शिद्दत से निकला था
मैं खुदा- ए - दिदार को ,
मगर उन लम्बी क़तारो ने यह बयां कर दिया के ,
माँ-बापू के चरणों में झुकने से आसान और कोई सजदा नहीं होता।
- जाधव
बड़ी शिद्दत से निकला था
मैं खुदा- ए - दिदार को ,
मगर उन लम्बी क़तारो ने यह बयां कर दिया के ,
माँ-बापू के चरणों में झुकने से आसान और कोई सजदा नहीं होता।
- जाधव