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दर्शनप्रशांत

उस अनंत सूर्य का ज्योति अंश यद्यपि उत्सुकता चिर विध्वंस मैं अनुपम पथ का राही बन भटक रहा समय के उपवन ,"

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दर्शनप्रशांत

जब आशा का सूरज बुझ जाए 
और घोर अंधेरा छा जाए 
फिर शक्ति स्वरूपा नारी 
सबका सम्बल बन जाए ।
 तुम माँ हो तुम माँ हो 
पत्नी होकर भी माँ हो ,
शक्ति का स्रोत रहो सदा 
मत खोजो शक्ति यदा कदा ,
दुर्भाग्य समाज व्यवस्था का 
जो तुम्हें कभी अबला माने ,
पुरुष का सामर्थ्य कहाँ 
जो तेरी क्षमता पहचाने ।।
नौ रूप बहुत कम है ,
जितने रूपों में शक्ति बड़ी ।
 बस अर्चन करें तुम्हारा ,
मन कृतज्ञ हो हर घड़ी  ।।

©दर्शनप्रशांत #navratri2020
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दर्शनप्रशांत

कुछ पैमाने तुमने तोड़े ,
कुछ हमने स्वीकार किये।
 कुछ तुमने हमको जकड़ा है
  कहाँ कहाँ से तन्हा पकड़ा है ।
  फिर भी जीवन तेरे कदमों में 
  नरक सा क्यों लगता है ,
फरक सा क्यों लगता है।।।

©दर्शनप्रशांत #ReachingTop
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दर्शनप्रशांत

फ़क़ीरों सा भाग्य रहा ,फिर भी खुद को आजमाते रहे
करम किये खूब ,दिल को यूं ही बहलाते रहे
हर रात हमारी कैसे गुजरी ,कैसे सोये क्या बतलाये 
जो बचपन बीता आह भरा ,वो राह कहाँ तक ले जाये
ऐसा मालूम कि जिये भी क्या ,या नहीं जिये ,क्या जाने 
बस लड़ते रहे मुक़द्दर से ,दिल भर हंसना क्या जाने 
चारों तरफ लोग फैले ,क्या वो सब खुश ही रहते हैं 
या मेरे जैसे उल्टे पुल्टे बस यूं ही लुढ़कते रहते हैं ।
सब बच्चे जैसे लगते ,पर उम्र नाप कर आये हैं ।
बचपन की दुनिया से क्या, कभी निकल भी पाए हैं 
बडे होकर बोझ ढोया
 और आदतों का गट्ठर लाद लिया 
खुद की भाषा न समझे कभी ,
बस शिकायतों का आविष्कार किया ।

©दर्शनप्रशांत #LostTracks
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दर्शनप्रशांत

जो समझा पहली बार में समझा 
जो खूब समझा ,वो क्या समझा ।
अब नहीं समझा तो ना समझा 
ना समझा ,तो क्या समझा ।।
फिर दोहराया ,खुद को दोहराया 
बचपन पर सब कवर चढ़ाया 
दूसरों को सब साबित करके 
जो समझा था ,सब भुलवाया ।
जो देखा ,बचपन मे देखा 
जो ना देखा वो ना देखा ।
जो देखा उसको ही पाया 
जो ना देखा ,वो क्या पाया ।।
जो समझा था ,उसको दोहराया 
जो देखा था ,वो सच पाया ।
पर जो पाया ,क्या वो देखा था ।
या जो समझा था ,वो देखा था ।
ना समझा था ,फिर भी दोहराया 
ना देखा था ,फिर भी दोहराया ।।
क्यों दोहराया ,क्यों दोहराया 
क्योंकि एक समझ और एक बार ,
जब देखा था ,तब देखा था 
तब ही समझा था ,तब ही जाना था ।।
पर लोग दुहराते गए ,हम दुहराते गए 
दुहराते गए ,दुहराते गए 
कि भूल गए क्या देखा था ,और क्या समझा था ।।।

©दर्शनप्रशांत #worldpostday
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दर्शनप्रशांत

चाहता रहा स्नेह ,जिम्मेदारियाँ सौंपी गई 
चाहता रहा प्रेम ,कमजोरियाँ  थोपी गई
जीवन भर दौड़ाते रहे ,दौड़ाते रहे 
क्या वो चाहते रहे ,क्या हम चाहते रहे ।
कुछ वे समझ लेते ,कुछ हम समझ लेते ।
मिल बैठते ,तो जीवन जी लेते ।
पर सलीका कहने का न उनको आया 
सलीका सुनने का न हमको आया ।
जो वो बनाना चाहते थे ,हम बन न सके 
जिसे वो चाहते थे ,हम हो न सके ।
उम्र गुजरी भागते भागते ही मेरी 
हर वक्त खोजते रहे मुरव्वत तेरी ।।

©दर्शनप्रशांत #leftalone
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दर्शनप्रशांत

#irrfan khan #irrfankhan
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दर्शनप्रशांत

कुछ संघर्ष किया, कुछ नाम किया 
 जीवन में कहाँ आराम किया ।
 जब सोचा कुछ आराम करूँ ,
जीवन ने सुपुर्द ए तमाम किया ।।

युग अभिनेता को शत शत नमन और थैंक यू 
###दर्शनप्रशान्त #irrfankhan

irrfankhan

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दर्शनप्रशांत

देख इस कुकृत्य को ,क्रोध में
कुछ भी कहा जाता नहीं ।
आश्चर्य है इस अन्याय पर, चुप भी रहा जाता नहीं ।
इस महाअपमान में 
तर्क की गठरी से न 
प्रेम के बचनों से न 
बैरियों का बदला अब 
गांडीव की टंकार से 
खून की बौछार से 
कायरों के ह्रदय में
 भरके हाहाकार से
सूर्यास्त से पहले करो वध 
ऐसी ही  चीत्कार से 
यूँ करे तर्पण मृतक का 
गर्वोन्मत संस्कार से ।।।

###दर्शनप्रशांत #हिन्दू #India #Poetry

हिन्दू India Poetry

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दर्शनप्रशांत

परिवार चाट रहा जूठी पत्तल
देखा उन्हें भूख से विह्वल 
ठेले से जाता बीमार बेटा
फिर शव के लिए भटकती भूखी मां ।
वीडियो कांफ्रेंसिंग कर बचाते लोग ,
वीडियो देखते मन बहलाते लोग ।
मार खाते लहूलुहान डॉक्टर 
कोरोना ढूंढते हर शव पर ।।
मौत खड़ी मानवता के आगे 
मानवता बची मौत के आगे ।।।

********दर्शनप्रशान्त #Hope #corona
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दर्शनप्रशांत

कितनी किश्तों में भरोसा लोगे ,कितने ज़ख्म हमेशा दोगे । बँटकर भी जब अलग थलग हो , अब क्या जान कलेजा लोगे ।।
इतनी ज़िल्लत में भी लड़ते हो ,ग़ुरबत में ही गुज़ारा करते हो। तुमसे प्यार बहुत है रहबर,क्या पूरा देश अकेला लोगे ।।
  **********दर्शनप्रशान्त #peace hindu muslim unity

#peace hindu muslim unity #बात

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