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prabhatsharma5950
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prabhat sharma

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prabhat sharma

चल के कलम पन्नों में, रच देता इतिहास /
तू चला के व्यर्थ में, नहीं ठहरा बकवास //

©prabhat sharma #stay_home_stay_safe
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prabhat sharma

आगमन अति होत है,
प्रतिउत्तर अपमान /
मलयगिरी में चंदन भी,
बेशरम के समान //

©prabhat sharma #droplets
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prabhat sharma

इसपे करता घात है
  उसपे करता घात है
  अपने में भी घात है
  सपनें में भी घात है
  ये मानुष की जात है
  ये मानुष की जात है

©prabhat sharma #droplets
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prabhat sharma

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prabhat sharma

#5LinePoetry विश्व एक परिवार है,
हर कोई हो खुशहाल /
न हो किसी कोने से,
ग़म से जीना मुहाल //

©prabhat sharma #5LinePoetry
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prabhat sharma

मंदिर, मस्जिद अब कहो, धर्म के ठेकेदार /
ऑक्सीजन की 'वो कहे, भैय्या है दरकार //

धर्म से पहले जान है, अब गए हम जान /
अब नही झगड़ेंगे कभी, हम बैरी के समान //

कहे कवि ये झूठ है, जैसे ही होगे महफूज /
बेशक ले के धर्म को, तुम जाओगे जूझ //

©prabhat sharma #Nodiscrimination
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prabhat sharma

जननी का प्यार 

सबसे सुंदर हर आकार
देखो मोहक हर इक बार
है अगाध,नही पारवार 
ऐसा है जननी का प्यार

मानव पा इतराये इसे
जाने कितने गीत लिखे 
स्वयं प्रभू इसको पाने
आते भव में बारम्बार

बडे बडे कष्टों को मिटाये
पीर सघन सहज भुलाये
ले बच्चा जब गोदी में 
वो बरसाती लाड दुलार

कई पीड़ाएं सहती खुद
लेकिन रहती हरदम चुप
सबकी ख़ुशी सलामती
जैसे हो जीवन का सार

डांट में भी मधुरस घुला
गुस्से में भी पुष्प खिला
है उद्देश्य केवल जिसका
हो बच्चे का  पूर्ण सुधार

अपमान करे कोई इसका
नही कहीं गति उसका
ऐसे को भी गति दिलाने 
मिन्नत करती लाख हज़ार 

मानवता की शिक्षा दे
हो निर्मम न कभी कहे
हो अन्याय तो उसी की शिक्षा 
तुम भांजो  तलवार

भाग्यशाली   जन बडे
ममता सतत मिले जिन्हे
समझो उसको मिल गया
खुशियों का संसार

प्रभात कुमार शर्मा
कटगी


विश्व की समस्त माँ को समर्पित रचना

©prabhat sharma #stay_home_stay_safe
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prabhat sharma

उस जैसी कहाँ है
माँ तो माँ है
इधर रोये *तिफ़्ल
वो रोती वहाँ है
पीर मिटाने वास्ते 
धुँगिये का धुआँ है

*बच्चा

©prabhat sharma #MothersDay2021
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prabhat sharma

शब्दों को छंद में पिरोने का प्रयास

प्राणवायु, प्रदान, न्यायालय, सरकार , क़र्फ्यू

प्रणवायु सबको मिले, रहते समय सरकार /
कालकलवित अन्यथा, होंगे लाख, हज़ार //

प्राण निकले काया से, फिर तन है बेमोल /
सो मूरख इस प्राण का, कुछ तो समझो मोल //

न्यायालय जिस देश की, करती यथोचित काम /
ऐसे देश में भारत का, सबसे ऊपर नाम //

अविलम्ब अब तो कीजिये, युक्ति सटीक सरकार /
कोरोना ग्रास के,  देता पीर अपार //

कर्फ्यू लगा के देख लिया, और बढ़ा ये रोग /
स्वनियंत्रित जन करे, सारे सुफल प्रयोग //


कोरबा नगर

©prabhat sharma #covidindia
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prabhat sharma

समय विषम

समय विषम
सावधानी रखिए
अपनी जीवित कहानी रखिए

बहुत हैं कीमती
कहें नही निरर्थक
देश के वास्ते, प्रियवर जवानी रखिए

क्या? है फर्ज
झलके कर्म में
याद बस इसे आप नही जबानी रखिए

समाज के खातिर
कर जाने कुछ भी
की चाहत वाली लहू में रवानी रखिए

बद्द्तर हों कैसे
बद से हालत
टूटें नही तनिक, इरादे आसमानी रखिए

शायद कोई भूखा 
मांग ले आपसे
शेष रसोई में आप दाना -पानी रखिए

मंज़र कोई भी
आ सकता है आगे
रहिये सहज न उर में हैरानी रखिए


कोरबा नगर
07/05/2021

©prabhat sharma #lockdown2021
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