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sudhanshuverma8472
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verma sahab

https://instagram.com/verma.sahab.5623?igshid=YmMyMTA2M2Y= व्हाट्सएप 9636233595 Author ऑफ चिड़ावा

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verma sahab

दूर दराज अपना गांव छोड़कर जयपुर शहर चले आये,
हजारों ख्वाब है इस शहर का मेरे दिल मे,
चलो यह भर्म भी दिल में पालते हैं।
गुलाबी शाम , गुलाबी सुबह, गुलाबी शहर सब तेरे होठो की याद दिलाते हैं।
पहाड़ पर किले, हवामहल कि खिड़किया, जलमहल ओर इस शहर की खुशबू मेरी जहन में बस गई है।
हम आये थे अपना शहर छोड़कर तेरी याद भुलाने को,
गुलाबी शहर छोड़ते हुए हम एक ओर नया गम साथ लेकर जाते हैं।
तुझसे बिछड़ते वक्त मेरी आँखें नम ना थी,
गुलाबी शहर को छोड़ते वक्त मेरी आँखों में पानी और चेहरा लाल हो रहा है

©verma sahab
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verma sahab

मैं टहल रहा था दोस्तो के साथ और ठंडी हवा चल रही थी,
दोस्त रुक गए पेड़ के पास में आगे चलता जा रहा था,
बादलो से बूंदा बांदी हो रही थी,
मैं भीग रहा था आंखे बरस  रही थी,
दोस्त भी थे हैरान आखिर रब क्यो मुझपर मेहरबान थे।
दोस्त ठंडी हवा में सिगरेट जला कर धुंआ उड़ा रहे थे,
दोस्तो ने पूछा साहब तुम भी सिगरेट जला लो,
मेने कहा जिनका दिल जल रहा हो वो लोग सिगरेट नही जलाते।
दोस्तों ने पूछा वो कौन है,
मेने पर्स से उसकी तस्वीर दिखा दी,
जब कोई पूछता है उसके बारे में ,
तो मैं उसका जिक्र नही करता,
सीधे उसकि तस्वीर दिखा देता हूं।
मेरे दोस्त उसके बारे में सब बताते हैं,
उसे कहा मालूम है जिन पंछियो से वो छत पर बाते करती है,
वो पंछी भी मेरे है।
अब मेरे दोस्त उस रास्ते पर चलने नही देते हैं,
मगर कोई पूछता है उसकी राह का पता तो में बता देता हूं,
आखिर उनको भी मालूम होना चाहिए , उन राहों पर क्यो नही जाना चाहिए,।
मेरे दोस्त बोलते हैं साहब आप कहानी , शायरी , गजले, कविता अधूरी ही क्यो लिखते हो,
जितना किरदार है उसका उतना में कहानी में लिख देता हूं,
अधूरे लोग अधूरी ही कहानी लिखते हैं,
अक्सर लोगो को अधूरी कहानी ही पसन्द आती है,
मेरी अधूरी कहानी को लोग पढ़कर अपनी कहानी के साथ पूरा कर देते हैं

©verma sahab #together
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verma sahab

सखी मुझे बता जरा
इस आंगन से उड़कर चिड़िया 
जब जाती है दुसरे आंगन मे
तो क्या यह आंग अब मेरा होगा या नही 
तो कौनसा आंगन होगा 
सखी मुझे बता जरा 
शादी के बाद सखी हमारा मिलना हो पाएगा
हमारा इन गलियो मे खेलना शरारत करना क्या यह हो पएगा सखी
सखी मुझे बता जरा 
बाबुल से रूठना फिर उनका मनाना 
मां का प्यार से डाटना 
हमारी उदासीयो का ख्याल रखकर हमे 
मुस्कराना सिखना क्या सखी यह हो पाएगा
सखी मुझे बता जरा
हमारा रस्सी कुद खेलना , सड़को पर पाले बना कर खेलना
पत्थरो से खेलना , घरो के दरवाजो और खिडकीयों मे छुपकर खेलना
क्या सखी हम खेल पाएंगे 
या हम खुद एक खेल बन जाएगें 
सखी मुझे बता जरा
हमारे आंगन मे जो पेड़ ह उस पर रस्सी बांधकर झुलना
क्या आंगन मे पेड़ होगा 
क्या हम झुल पाएंगे
क्या हम अपने बचपने को साथ लेकर जा पाएंगे
या उसको भी बाबुल के आंगन मे छोड़ कर जाना होगा
सखी मुझे बता जरा
हम जो बाबुल के आंगन मे 
पँखो से उड़ते ह आसमान मे
क्या उस आंगन मे उड़ पाएंगे
क्या वहा पर हमारे पंख काट दिए जाएंगे
 सखी बिना पंख कैसे उड़ पाएंगे 
वे क्या बिना पँखो के मुझे  अपने पंखो
के सहारे आसमान मे ले जाकर दुनिया कि सेर करा पाऐगा
सखी मुझे जरा बता
हमे ले जाने वाला क्या हमको समझ पाएगा
मुसीबत मे सखी
परेशानी और तकलीफ मे पिता
गलती पर मां की तरह प्रेम से डाटना 
क्या वह यह सब किरदार बन पाएगा
या वो सिर्फ पति ही बनकर रह जाएगा
सखी मुझे जरा बता
सखी मुझे जरा बता

©verma sahab
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verma sahab

सखी मुझे बता जरा
इस आंगन से उड़कर चिड़िया 
जब जाती है दुसरे आंगन मे
तो क्या यह आंग अब मेरा होगा या नही 
तो कौनसा आंगन होगा 

सखी मुझे बता जरा 
शादी के बाद सखी हमारा मिलना हो पाएगा
हमारा इन गलियो मे खेलना शरारत करना क्या यह हो पएगा सखी
सखी मुझे बता जरा 
बाबुल से रूठना फिर उनका मनाना 
मां का प्यार से डाटना 
हमारी उदासीयो का ख्याल रखकर हमे 
मुस्कराना सिखना क्या सखी यह हो पाएगा
सखी मुझे बता जरा
हमारा रस्सी कुद खेलना , सड़को पर पाले बना कर खेलना
पत्थरो से खेलना , घरो के दरवाजो और खिडकीयों मे छुपकर खेलना
क्या सखी हम खेल पाएंगे 
या हम खुद एक खेल बन जाएगें 
सखी मुझे बता जरा
हमारे आंगन मे जो पेड़ ह उस पर रस्सी बांधकर झुलना
क्या आंगन मे पेड़ होगा 
क्या हम झुल पाएंगे
क्या हम अपने बचपने को साथ लेकर जा पाएंगे
या उसको भी बाबुल के आंगन मे छोड़ ़कर जाना होगा

सखी मुझे बता जरा
हम जो बाबुल के आंगन मे 
पखंो से उड़ते ह आसमान मे
क्या उस आंगन मे उड़ पाएंगे
क्या वहा पर हमारे पंख काट दिए जाएंगे
 सखी बिना पंख कैसे उड़ पाएंगे 
वे क्या बिना पंखांे के मुझे  अपने पंखो
के सहारे आसमान मे ले जाकर दुनिया कि सेर करा पाऐगा

सखी मुझे जरा बता
हमे ले जाने वाला क्या हमको समझ पाएगा
मुसीबत मे सखी
परेशानी और तकलीफ मे पिता
गलती पर मां की तरह पे्रम से डाटना 
क्या वह यह सब किरदार बन पाएगा
या वो सिर्फ पति ही बनकर रह जाएगा
सखी मुझे जरा बता
सखी मुझे जरा बता

©verma sahab
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verma sahab

कौन है
ख्वाब में हम साथ साथ है,
आँखे खुली तो तू मेरी बाहों में है, 
तो फिर ख्वाबो में कौन है।
तू दिल के अंदर आने को बाहर खड़ी है,
तो मेरे दिल मैं कौन है।
हम सफर में निकले एक साथ साथ,
तू बस से बाहर हाथ हिला रही है,
तो मेरी बगल की सीट पर कौन है।
मैं कहता हूं तू मेरे दिल मे है,
तू भी कहती मैं तेरे दिल मे ही हु,
मैं फिर भी तन्हा रहता हूं
तो यह बता मुझे तेरे दिल मे कौन है।
मेरे दिल के दरवाजे में जो ताला है
उसकी चाबी तेरे पास है,
तू बाहर है तो फिर ताला खुला है
दिल मे कौन है।
हम एक साथ रहते हैं एक साथ खाते हैं, तुझे पता है मेरी हर पसन्द , फिर आज तू पूछती है मुझे क्या पसन्द है, अच्छा यह बताओ तुम्हारी तबियत तो ठीक है , आजकल यार तू कीन  ख्यालो में रहती है कौन है।
आजकल तू घर में कम ही ठहरती है , कम ही दिखाई देती है, ठीक से बाते भी नही करती,
नजरे भी नही मिलती, 
चोरी छिपे घर मे आती है, 
चोरी छिपे घर से बाहर जाती है,
 मेरे पूछने पर  गुस्सा करके बोलती हो वर्मा साहब...  आपके क्या मसला है
मैं तो ठीक हु तुम बताओ कौन है।

©verma sahab #thought
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verma sahab

तुझसे बिछड़कर हम शायर बन गए,
चाहते तो पागल भी बन सकते थे।
तन्हाई में हम किताब खाने जाते हैं,
पास में मयखाने भी है वहा भी जा सकते थे।
लोग तो अपने महबूब से बिछड़कर शराब पीते हैं,
एक हम है हर रोज तेरा गम पिये जा रहे हैं।
हमने हाथों की दो उंगलियों के बीच ,
आज कलम उठा रहे हैं,
शेर सुना रहे हैं,
चाहते तो हम सिगरेट उठा कर,
 धुँआ उड़ा सकते थे।
तेरे इश्क़ का कैसा असर हुआ मुझपर,
मुझे तो बिगड़ना चाहिए था,
ओर हम सुधरते जा रहे हैं

©verma sahab
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verma sahab

तुम्हारे दिल की आखिर क्या रजा है,
साहब को मानते हो अपनी दुनिया,
मगर इस मतलबी दुनिया मे भी शामिल रखते हो।
मानते हो दिल का शुकुन ,
ओर इस दुनिया की भीड़ में भी शामिल रखते हो।
साहब की आखिर क्या खता है,
कुछ तो बोलिये,लिखिए,
इस दुनिया के लोगो के साथ ,
साहब को भी ब्लॉक रखते हो।
तुम कहती हो दिल में तुम्हारी एक ओर दुनिया है,
उस दुनिया मे दर्द के सिवा कुछ नही,
साहब हमारी महोब्बत के लिए बने हैं,
दर्द की दुनिया उसके काबिल नही।
तुम अपनी उलझन वाली दुनिया मे यह भूल जाती हो,
साहब को तुम्हारी बाते कहा समझ आती है,
वह तो सिर्फ तुम्हारे एक अहसास से,
तुम्हारे बारे में बस कुछ जान लेते हैं,
साहब की जिंदगी तुम ही तो हो।

©verma sahab
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verma sahab

तुम मुझे एक बात तो बताओ,
जब तुम ही नही हो दिल मे,
तो मैं इस इस दिल का क्या करूँ,
तुम जाते जाते ,
इस दिल को भी ले जाओ।
तुम्हारे हाथों से,
जिन चीजों को दिल मे सजाया,
बोझ है दिल मे,
और आँखे भारी है,
उठाकर सारी चीजें,
फेंक दो मेरे दिल से।
जब भी तुम मिलती हो रस्ते मे,
आंखे तुमको देखती है,
ओर दिल सहम जाता है,
जिन आंखों में दिल के रस्ते से ,
ख़्वाब आते हैं,
आज उन रस्तो में आँसू आ जाते हैं।
मैं किसी को याद न करता था,
मैं ना किसी की याद में बहता था,
जो कुछ याद होता,
मैं सब कुछ भूल जाता था,
तेरे जाने के बाद ,
अब मुझमे तेरी यादों का सैलाब आ गया है।
मैं समझता था,
मैं हु उसकी कहानी का अहम किरदार,
जब से उसने खुद से अलग किया है,
मैं खुद की कहानी में आ गया।

©verma sahab
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verma sahab

किताबे बहुत पढ़ी है,
हमने जिंदगी में,
मगर इन किताबों से,
जो कुछ भी सीखा,
कुछ काम ना आया जिंदगी में,
क्या पढ़े, क्या सीखे हम,
क्या याद रखे उम्रभर,
अब तो एक हादसा जरूरी है जिंदगी में।

©verma sahab #Path
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verma sahab

इश्क में तुमने कोई नया गुनाह भी तो नही किया,
सिर्फ हमे छोड़ ही तो दिया,
तुम्हे किस बात की सजा दे।
पूरे दिन यही सोच रहा था,
लोग आ रहे थे , जा रहे थे,
ओर बिछड़ते  वक्त हाथ हिला रहे थे,
वह हाथ क्यो हिलाते,
शायद बिछड़ते वक्त ,
उस लम्हे दिल खामोश हो जाता है,
जुबान पर ताला लग जाता है,
बस आंखे बाते करती है,
ओर दूर से राबता करने के लिए,
शायद इसलिए हाथ हिलाते है।
हम तुम्हे शुक्रया कहते है,
तुमने हमारा दिल कहा तोड़ा,
वो तो पहले से टूटा हुआ था,
तुमने तो बस उसे सीने से निकला है।
हम सफर में थे ही कहा,
जो तुमने बीच सफर में हमे छोड़ा है,
हम तो तेरे आने के इंतजार में थे,
बस तेरे आने के इंतजार में ही दम तोड़ा है,।
सोचता हूं अपने शहर लौट चलू,
तुम ही नही मिले ,
अब तेरे सिवा इस शहर में क्या रखा है।
हम तुम्हे दुआएं देते हैं,
तुम हमेशा खुश रहो,
लेकिन मेरी बद्दुआए है,
जब तुम हमे मिलने आओ,
हमारी सांसे ना रहे,
ओर तुम जिंदा रहो

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