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shravanchaudhary9989
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shravan chaudhary

टीचर।कवि। ब्लॉगर।और सपनों का सौदागर

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shravan chaudhary

अलविदा


तेरी जिद ने कुछ इस कदर कहर ढाया
कल तक थे तेरे आज कर दिया पराया
एक वक्त था तू मेरी खुशी थी
आज तेरे बिन है चेहरा मुरझाया
कोई बात नही अब तो तू आजाद है 
अब न ही कोई  विवाद है
तुन्हे ही अलग किया राहें
तेरा गुस्सा ही तो फसाद है
न सुनी कभी खुद के मन की
 इसलिए तो हम बर्बाद हैं
खुश रहे सदा जीवन में तू 
मेरे दिल की यही मुराद है।

                                कवि:श्रवण चौधरी "राही"

©shravan chaudhary #leftalone
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shravan chaudhary

लौट जाना चाहता हूं
उस पीपल की छांव में
बचपन जहां गुजारा
उस भोले भाले गांव में
अक्सर मुझे बुलाता है
गुजरे पल याद दिलाता है
मिट्टी का घर, चूल्हे की रोटी
लालटेन की मध्यम ज्योति
लहर लहर लहराते खेत
नदियों की उड़ती वह रेत
सारा दिन जंगल में भटके
अंग न लागे जादू टोटके
रूखी सूखी जो मिल जाए
खाकर अपनी भूख मिटाए
नही जरूरत किसी पलंग की 
खटिया पर ही नींद आ जाए
अब लौट जाना चाहता हूं
उस पीपल की छांव में
बचपन जहां गुजारा
उस भोले भाले गांव में

                                     कवि:श्रवण चौधरी"राही"

©shravan chaudhary #Hopeless
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shravan chaudhary

तेरा कर्ज रहा मुंबई मुझ पर
एक रोज अदा कर जाऊंगा
मौका जो मिला एक पल का मुझे 
मेरी जान फना कर जाऊंगा
मिला प्यार यहां तुझसे इतना
शब्दों में न मैं कह पाऊंगा
जग में मैं रहा जहां भी कहीं
गुणगान तेरा ही गाऊंगा
अनजाने भी बनते अपने
पूरे होते हैं यहां सपने
मुझको भी तूने अपनाया है
बड़े प्यार से गले लगाया है
यहां गैर कोई न कोई अपना
बन मां सबकी लिया अपना
है नमन मेरा मिट्टी को तेरी
चंदन से न कम माथे पर मेरी
रखूं शीश तेरे चरणों में सदा
करता ही रहूंगा सदा वंदना
तेरा कर्ज रहा मुंबई मुझ पर...

                      कवि:श्रवण चौधरी"राही"

©shravan chaudhary #creativeminds
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shravan chaudhary

बोझ है  जिंदगी जिसने अपने वसूलों पर जिया 
मौत चुनने का हक भी उसे होना चाहिए था।
                             
               श्रवण चौधरी"राही"

©shravan chaudhary #PoetInYou
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shravan chaudhary

जानेवाले पर शोक़ नहीं
आनेवाले पर रोक नहीं
जो चला गया उसे जाने दो
आनेवाले को आने दो
अब चिंता और इकरार क्यों
जो अपना नहीं तकरार क्यों
मतलब के लोग मिलेंगे तुझे
अपनाकर खूब छलेंगे तुझे
अब भूल भी जा उसे याद न कर
अपनी हस्ती बर्बाद न कर
तेरा भी सवेरा आएगा
ढेरों खुशियां ले आएगा
कर खुदी को तू बुलंद इतना
ऊंचा हो कद अम्बर जितना
तुझे देख के फिर वह आएगा
अरदास तुझी से लगाएगा
तुम उसको अब कभी माफ न कर
जो चला गया उसे याद न कर 
                      कवि:श्रवण चौधरी "राही"

©shravan chaudhary #WallPot
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shravan chaudhary

नेताजी "सुभाष चन्द्र बोस"

तुम मुझे खून दो 
मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा
अंग्रेजों के जुर्म का 
गिन गिनकर बदला लूंगा
माना बड़ी है उनकी सेना
उन्हें भगाकर है दम लेना
हम भी कहां किसी से कम
उनसे ज्यादा हम में है दम
आजाद हिन्द के हम मतवाले
जीते जी न हारनेवाले
अन्तिम सांस लड़ेंगे उनसे
चाहे लहू बदन से बरसे
वीरों की फौज बनाई
नेताजी ने कि अगुवाई
अंग्रेजों को खूब छकाए
कभी पकड़ उनके न आए
राष्ट्र रहेगा सदा ऋणी,
पाकर सपूत तुम जैसा गुणी
                      
                     कवि:श्रवण चौधरी"राही" #subhashchandrabose
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shravan chaudhary

माना वक्त खराब है
दिल में उमड़ा सैलाब है 
दूर हटेगा जब अंधियारा
पूरे होंगे जो ख्वाब है
गिरना भी है उठना भी है
उठकर आगे बढ़ना भी है 
एक दिन चमकेगी किस्मत अपनी
माना गर्दिश में आज है
बजेगा अपने नाम का डंका
नहीं है इसमें तनिक भी शंका
वह भी करेंगे हमसे प्यार
जिनको है हमसे तकरार
माना वक्त खराब है
दिल में उमड़ा सैलाब है 

                    कवि:श्रवण चौधरी"राही" #Hopeless
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shravan chaudhary

अक्सर बैठ नदी के तीरे
सोचे मन मेरा धीरे धीरे
खाली हाथ विदा है लेना
नींद न आए काहे रैना
काहे रहे जिया बेचैन
स्थिर न हो पाए ज़हेन
लालच में अपनों को छोड़ा
अपने ही घर बन रहा भगोड़ा
न पाया मां बाप का प्यार
भाई बहन से रहा दरार
पैसा धन दौलत के खातिर
सारी उमर बन रहा मुसाफिर
अंत समय नजदीक है आया
अब सोचूं क्या खोया पाया
याद आए अब मेरे अपने
मारे डर लगे उर मेरा कंपने
अक्सर बैठ नदी के तीरे
सोचे मन मेरा धीरे धीरे

                        कवि:श्रवण चौधरी"राही" #alone
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shravan chaudhary

इस संसार में टिके हुए 
जाने कितने मेहमान
कौन जिए कितने दिन 
बस जाने भगवान...

                श्रवण चौधरी"राही" #WinterFog
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shravan chaudhary

देश की सरहद पर तैनात
हो चाहे जैसे हालात
दुश्मन जिससे बच न पाए
एक पल में ऊपर पहुंचाए
तपती धूप बर्फ की बारिश
डटा रहे छोड़कर आफिस
त्यागकर अपना घर परिवार
युद्ध के लिए सदा तैयार
जिसको नहीं जान से प्यार
करे देश पर प्राण निसार
मरते दम तक हार न माने
मुल्क जिसे फौजी से जाने
बहे लहू हिम्मत बिखरेना
वह हैं हिंदुस्तान की सेना
               
                 कवि :श्रवण चौधरी"राही" #IndianArmy
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