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Radhe Krishna
सरल और निर्दोष व्यक्ति के साथ किया गया छल कपट ईश्वर भी क्षमा नहीं करता फिर चाहे करने वाला कितना भी शातिर क्यों ना हो। 🌹🌿💮🌺🌼🌺💮🌿🌹 ©Radhe Krishna #WallPot
A Broken Heart
बात सिर्फ इतनी सी है तो क्यूँ है उसे नहीं मुझसे मुहब्बत , मुझे अब तक क्यूँ है ! हज़ारो जख्म है मुझमे जो उसकी निशानी है , मुझे उसकी फिर भी ज़रुरत क्यूँ है ! वो जहाँ है वहां खुश है , मुझे फिर भी उसकी इतनी फिकर क्यूँ है ! बात सिर्फ इतनी सी है तो क्यूँ है उसे नहीं मुझसे मुहब्बत , मुझे अब तक क्यूँ है ! ©Pritesh Saurabh #WallPot
Rashmi joshi
I loved you in silence, Like the walls you are used to but never notice, I love you in bed, Like the pillo that fits every position But has no place in your dreams. I love you in sprit always there for you But not ever by your side. Yes I loved you But you never noticed. ©® Rashmi Joshi ©Rashmi joshi #WallPot #br💔ken #poem #Silent #One_sided_love #Love #Care
Bhushan Thakare
सरत्या वर्षाला काय द्यावा निरोप केलेल्या चुकांना कटाक्षाने टाळून आनंदी क्षणांना हृदयात माळून दुःखद क्षणांना सहज गिळून सरत्या वर्षाला निरोप देऊ सर्व मिळून नवीन वर्षाचा काय करावा संकल्प अहंकार, धर्मजाती भेदाला जाळून माणुस म्हणुन जगण्याच्या सर्व मर्यादा पाळून आयुष्याच्या पुस्तकाला नव्याने चाळून नवीन वर्षाचे स्वागत करुया सर्व मिळून नुतनवर्षाभिनंदन 💥 ©Bhushan Thakare #WallPot
writer_Suraj Pandit
कुछ उम्मीद बची थीं, इन दीवारों से। अब यह भी टूट गई। 😒💔 ©writer_Suraj Pandit love #SadLife #sadlovequotes #WallTexture #WallPot #umide Priyanka Jha Dr Ashish Vats Miss khan sing with gayatri Kanish Verma
popy
तकलीफ़ तो होती हैं मगर एक बात हौसला देती है जब तुम रह सकते हो मेरे बिना तो मै क्यों नही !!! ©popy #WallPot
लेखक ओझा
कई ज़ुबान रखना कईयों की फितरत होती है लेकिन उन जुबानों को समझ लेना आपकी बुद्धिमानी।। ©लेखक ओझा #WallPot
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
"पैसा" ऐसी चीज है कि अगर ये हो, तो पराए भी अपने हो जाते हैं और ना हो तो अपने भी पराए हो जाते है... ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #WallPot
tripti agnihotri
तृप्ति की कलम से एक कविता दीवारें कहतीं हैं कि अब तोड़ दो बंधन सारे। हम भी जग मे चमकें ऐसे जैसे चमके तारे।। राग द्वेष, मद की दीवारें ऊपर उठती जातीं । नफ़रत औ ईर्ष्या मन की दिन पर दिन बढ़ती जाती । तोड़ दीवारें आओ बैठे बनकर के हमजोली। कान्हा जैसे आओ हम भी बना लें अपनी टोली। चार दिनों का जीवन अपना हँसी -खुशी तब बीते। "तृप्ति" मिले हर मन को औ कोई सपना न रीते।। दीवारें कहतीं हैं हमने सुनी बहुत-सी बातें। किसकी हँसकर, किसकी रोकर गुजरी हैं कुछ रातें। स्वरचित तृप्ति अग्निहोत्री लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश ©tripti agnihotri #WallPot