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deepakprajapati5744
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Deepak Prajapati

इन शब्दों में छुपी एक अनमोल भावना है, जिसे ज़ुबां से नहीं, बस दिल से समझाना है।

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Deepak Prajapati

पति ने पत्नी को किसी बात पर तीन थप्पड़ जड़ दिए, पत्नी ने इसके जवाब में अपना सैंडिल पति की तरफ़ फेंका, सैंडिल का एक सिरा पति के सिर को छूता हुआ निकल गया। 

मामला रफा-दफा हो भी जाता, लेकिन पति ने इसे अपनी तौहिनी समझी, रिश्तेदारों ने मामला और पेचीदा बना दिया, न सिर्फ़ पेचीदा बल्कि संगीन, सब रिश्तेदारों ने इसे खानदान की नाक कटना कहा, यह भी कहा कि पति को सैडिल मारने वाली औरत न वफादार होती है न पतिव्रता। 

इसे घर में रखना, अपने शरीर में मियादी बुखार पालते रहने जैसा है। कुछ रिश्तेदारों ने यह भी पश्चाताप जाहिर किया कि ऐसी औरतों का भ्रूण ही समाप्त कर देना चाहिए। 

बुरी बातें चक्रवृत्ति ब्याज की तरह बढ़ती है, सो दोनों तरफ खूब आरोप उछाले गए। ऐसा लगता था जैसे दोनों पक्षों के लोग आरोपों का वॉलीबॉल खेल रहे हैं। लड़के ने लड़की के बारे में और लड़की ने लड़के के बारे में कई असुविधाजनक बातें कही। 
मुकदमा दर्ज कराया गया। पति ने पत्नी की चरित्रहीनता का तो पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। छह साल तक शादीशुदा जीवन बीताने और एक बच्ची के माता-पिता होने के बाद आज दोनों में तलाक हो गया। 

पति-पत्नी के हाथ में तलाक के काग़ज़ों की प्रति थी। 
दोनों चुप थे, दोनों शांत, दोनों निर्विकार। 
मुकदमा दो साल तक चला था। दो साल से पत्नी अलग रह रही थी और पति अलग, मुकदमे की सुनवाई पर दोनों को आना होता। दोनों एक दूसरे को देखते जैसे चकमक पत्थर आपस में रगड़ खा गए हों। 

दोनों गुस्से में होते। दोनों में बदले की भावना का आवेश होता। दोनों के साथ रिश्तेदार होते जिनकी हमदर्दियों में ज़रा-ज़रा विस्फोटक पदार्थ भी छुपा होता। 

लेकिन कुछ महीने पहले जब पति-पत्नी कोर्ट में दाखिल होते तो एक-दूसरे को देख कर मुँह फेर लेते। जैसे जानबूझ कर एक-दूसरे की उपेक्षा कर रहे हों, वकील औऱ रिश्तेदार दोनों के साथ होते। 

दोनों को अच्छा-खासा सबक सिखाया जाता कि उन्हें क्या कहना है। दोनों वही कहते। कई बार दोनों के वक्तव्य बदलने लगते। वो फिर सँभल जाते। 
अंत में वही हुआ जो सब चाहते थे यानी तलाक ................

पहले रिश्तेदारों की फौज साथ होती थी, आज थोड़े से रिश्तेदार साथ थे। दोनों तरफ के रिश्तेदार खुश थे, वकील खुश थे, माता-पिता भी खुश थे। 

तलाकशुदा पत्नी चुप थी और पति खामोश था। 
यह महज़ इत्तेफाक ही था कि दोनों पक्षों के रिश्तेदार एक ही टी-स्टॉल पर बैठे , कोल्ड ड्रिंक्स लिया। 
यह भी महज़ इत्तेफाक ही था कि तलाकशुदा पति-पत्नी एक ही मेज़ के आमने-सामने जा बैठे। 

लकड़ी की बेंच और वो दोनों .......
''कांग्रेच्यूलेशन .... आप जो चाहते थे वही हुआ ....'' स्त्री ने कहा।
''तुम्हें भी बधाई ..... तुमने भी तो तलाक दे कर जीत हासिल की ....'' पुरुष बोला। 

''तलाक क्या जीत का प्रतीक होता है????'' स्त्री ने पूछा। 
''तुम बताओ?'' 
पुरुष के पूछने पर स्त्री ने जवाब नहीं दिया, वो चुपचाप बैठी रही, फिर बोली, ''तुमने मुझे चरित्रहीन कहा था....
अच्छा हुआ.... अब तुम्हारा चरित्रहीन स्त्री से पीछा छूटा।'' 
''वो मेरी गलती थी, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था'' पुरुष बोला। 
''मैंने बहुत मानसिक तनाव झेली है'', स्त्री की आवाज़ सपाट थी न दुःख, न गुस्सा। 

''जानता हूँ पुरुष इसी हथियार से स्त्री पर वार करता है, जो स्त्री के मन और आत्मा को लहू-लुहान कर देता है... तुम बहुत उज्ज्वल हो। मुझे तुम्हारे बारे में ऐसी गंदी बात नहीं करनी चाहिए थी। मुझे बेहद अफ़सोस है, '' पुरुष ने कहा। 

स्त्री चुप रही, उसने एक बार पुरुष को देखा। 
कुछ पल चुप रहने के बाद पुरुष ने गहरी साँस ली और कहा, ''तुमने भी तो मुझे दहेज का लोभी कहा था।'' 
''गलत कहा था''.... पुरुष की ओऱ देखती हुई स्त्री बोली। 
कुछ देर चुप रही फिर बोली, ''मैं कोई और आरोप लगाती लेकिन मैं नहीं...''

प्लास्टिक के कप में चाय आ गई। 
स्त्री ने चाय उठाई, चाय ज़रा-सी छलकी। गर्म चाय स्त्री के हाथ पर गिरी।
स्सी... की आवाज़ निकली। 
पुरुष के गले में उसी क्षण 'ओह' की आवाज़ निकली। स्त्री ने पुरुष को देखा। पुरुष स्त्री को देखे जा रहा था। 
''तुम्हारा कमर दर्द कैसा है?'' 
''ऐसा ही है कभी वोवरॉन तो कभी काम्बीफ्लेम,'' स्त्री ने बात खत्म करनी चाही।

''तुम एक्सरसाइज भी तो नहीं करती।'' पुरुष ने कहा तो स्त्री फीकी हँसी हँस दी।
''तुम्हारे अस्थमा की क्या कंडीशन है... फिर अटैक तो नहीं पड़े????'' स्त्री ने पूछा। 
''अस्थमा।डॉक्टर सूरी ने स्ट्रेन... मेंटल स्ट्रेस कम करने को कहा है, '' पुरुष ने जानकारी दी। 

स्त्री ने पुरुष को देखा, देखती रही एकटक। जैसे पुरुष के चेहरे पर छपे तनाव को पढ़ रही हो। 
''इनहेलर तो लेते रहते हो न?'' स्त्री ने पुरुष के चेहरे से नज़रें हटाईं और पूछा। 
''हाँ, लेता रहता हूँ। आज लाना याद नहीं रहा, '' पुरुष ने कहा।

''तभी आज तुम्हारी साँस उखड़ी-उखड़ी-सी है, '' स्त्री ने हमदर्द लहजे में कहा। 
''हाँ, कुछ इस वजह से और कुछ...'' पुरुष कहते-कहते रुक गया। 
''कुछ... कुछ तनाव के कारण,'' स्त्री ने बात पूरी की। 

पुरुष कुछ सोचता रहा, फिर बोला, ''तुम्हें चार लाख रुपए देने हैं और छह हज़ार रुपए महीना भी।'' 
''हाँ... फिर?'' स्त्री ने पूछा। 
''वसुंधरा में फ्लैट है... तुम्हें तो पता है। मैं उसे तुम्हारे नाम कर देता हूँ। चार लाख रुपए फिलहाल मेरे पास नहीं है।'' पुरुष ने अपने मन की बात कही। 

''वसुंधरा वाले फ्लैट की कीमत तो बीस लाख रुपए होगी??? मुझे सिर्फ चार लाख रुपए चाहिए....'' स्त्री ने स्पष्ट किया। 
''बिटिया बड़ी होगी... सौ खर्च होते हैं....'' पुरुष ने कहा। 
''वो तो तुम छह हज़ार रुपए महीना मुझे देते रहोगे,'' स्त्री बोली। 
''हाँ, ज़रूर दूँगा।'' 
''चार लाख अगर तुम्हारे पास नहीं है तो मुझे मत देना,'' स्त्री ने कहा। 
उसके स्वर में पुराने संबंधों की गर्द थी। 

पुरुष उसका चेहरा देखता रहा....
कितनी सह्रदय और कितनी सुंदर लग रही थी सामने बैठी स्त्री जो कभी उसकी पत्नी हुआ करती थी। 
स्त्री पुरुष को देख रही थी और सोच रही थी, ''कितना सरल स्वभाव का है यह पुरुष, जो कभी उसका पति हुआ करता था। कितना प्यार करता था उससे... 

एक बार हरिद्वार में जब वह गंगा में स्नान कर रही थी तो उसके हाथ से जंजीर छूट गई। फिर पागलों की तरह वह बचाने चला आया था उसे। खुद तैरना नहीं आता था लाट साहब को और मुझे बचाने की कोशिशें करता रहा था... कितना अच्छा है... मैं ही खोट निकालती रही...'' 

पुरुष एकटक स्त्री को देख रहा था और सोच रहा था, ''कितना ध्यान रखती थी, स्टीम के लिए पानी उबाल कर जग में डाल देती। उसके लिए हमेशा इनहेलर खरीद कर लाती, सेरेटाइड आक्यूहेलर बहुत महँगा था। हर महीने कंजूसी करती, पैसे बचाती, और आक्यूहेलर खरीद लाती। दूसरों की बीमारी की कौन परवाह करता है? ये करती थी परवाह! कभी जाहिर भी नहीं होने देती थी। कितनी संवेदना थी इसमें। मैं अपनी मर्दानगी के नशे में रहा। काश, जो मैं इसके जज़्बे को समझ पाता।''

दोनों चुप थे, बेहद चुप। 
दुनिया भर की आवाज़ों से मुक्त हो कर, खामोश। 
दोनों भीगी आँखों से एक दूसरे को देखते रहे....

''मुझे एक बात कहनी है, '' उसकी आवाज़ में झिझक थी। 
''कहो, '' स्त्री ने सजल आँखों से उसे देखा। 
''डरता हूँ,'' पुरुष ने कहा। 
''डरो मत। हो सकता है तुम्हारी बात मेरे मन की बात हो,'' स्त्री ने कहा। 
''तुम बहुत याद आती रही,'' पुरुष बोला। 
''तुम भी,'' स्त्री ने कहा। 
''मैं तुम्हें अब भी प्रेम करता हूँ।'' 
''मैं भी.'' स्त्री ने कहा। 

दोनों की आँखें कुछ ज़्यादा ही सजल हो गई थीं। 
दोनों की आवाज़ जज़्बाती और चेहरे मासूम।
''क्या हम दोनों जीवन को नया मोड़ नहीं दे सकते?'' पुरुष ने पूछा। 
''कौन-सा मोड़?'' 
''हम फिर से साथ-साथ रहने लगें... एक साथ... पति-पत्नी बन कर... बहुत अच्छे दोस्त बन कर।'' 

''ये पेपर?'' स्त्री ने पूछा। 
''फाड़ देते हैं।'' पुरुष ने कहा औऱ अपने हाथ से तलाक के काग़ज़ात फाड़ दिए। फिर स्त्री ने भी वही किया। दोनों उठ खड़े हुए। एक दूसरे के हाथ में हाथ डाल कर मुस्कराए। दोनों पक्षों के रिश्तेदार हैरान-परेशान थे। दोनों पति-पत्नी हाथ में हाथ डाले घर की तरफ चले गए। घर जो सिर्फ और सिर्फ पति-पत्नी का था ।।

पति पत्नी में प्यार और तकरार एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जरा सी बात पर कोई ऐसा फैसला न लें कि आपको जिंदगी भर अफसोस हो ।।
#Repost

©Deepak Prajapati #Raat
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Deepak Prajapati

एक दिन की एक छोटी सी कहानी:

रमा एक छोटी सी लड़की थी, जो बड़ी खुशियों और सपनों से भरी रहती थी। वह हमेशा नए चीजों को खोजने में रुचि रखती थी और नई चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तैयार थी।

एक दिन, उसे एक बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। उसके स्कूल में एक गाने और नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था, और रमा को भी इसमें हिस्सा लेने का मौका मिला। रमा ने इस प्रतियोगिता के लिए बड़े उत्साह से तैयारी की। वह रोज नाचने और गाने का रिहर्सल करती थी, अपने से बड़े स्टूडियों के सामने भी नाचने की कोशिश करती थी।

प्रतियोगिता का दिन आया और रमा ने अपने दोस्तों के साथ शानदार प्रदर्शन किया। वह अपने दिल से गाती और नाचती थी, सबको अपने उत्साह से प्रेरित करती थी। लेकिन बहुत जल्दी उसे पता चला कि इस प्रतियोगिता में बहुत सारे अधिकारी और प्रोफेशनल नृत्यकार भी हिस्सा ले रहे थे।

रमा के मन में कुछ दिक्कत की भावना उभर आई। वह सोचने लगी कि क्या वह इस सभी के सामने कामयाब हो पाएगी या नहीं। पर उसने खुद को सामझाया कि उसका उद्देश्य सिर्फ प्रतियोगिता जीतना नहीं था, बल्कि उसका महत्व था अपने प्यार और रचनात्मकता को दूसरों के साथ साझा करने में।

फिर रमा अपनी आंतरिक शक्ति को सामने लाने का निर्णय लिया। वह नृत्य के साथ अपनी प्रेरणा और प्रेम को जिए बिना नहीं रह सकती थी। उसने अपने दिल की बात गाने और नृत्य के ज़रिए सभी के साथ साझा की।

प्रतियोगिता के अंत में, रमा को पहला पुरस्कार नहीं मिला, लेकिन उसके उत्साह और सहजता को सभी ने सराहा। उसके प्रकाशित चेहरे में उसने एक अलग तरह की सफलता पाई, जो उसे अपनी खुद की पहचान और अभिव्यक्ति से संतुष्ट कर दिया।

रमा ने सिख लिया कि सफलता वास्तव में वह है, जब आप अपने अंदर की सारी शक्ति को समझते हैं, अपने सपनों का पीछा करते हैं, और अपनी मेहनत और प्रेम से उन्हें साकार करते हैं। र

मा ने सिखाया कि सफलता का मतलब सिर्फ प्रतियोगिता में जीतना नहीं है, बल्कि सफलता उस आनंद में है जो आपको अपने अंदर से आता है, जो आपको दूसरों के साथ साझा करते हैं।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि वास्तविक सफलता हमारे अंदर की सकारात्मकता में छिपी है। हमारी विरासत हमारी आत्म-विश्वास, उत्साह, मेहनत और प्रेम है। जब हम अपने सपनों के पीछे भागते हैं और खुद को खोजते हैं, तो हम सच्ची सफलता प्राप्त करते हैं।

©Deepak Prajapati
  #TereHaathMein
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Deepak Prajapati

एक छोटे से गांव में एक गरीब लड़के का जन्म हुआ था। उसके माता-पिता ने अपने छोटे से आय के साथ उसे एक खुशहाल जीवन देने की कोशिश की। लड़का बहुत चालाक और समझदार था। वह बचपन से ही अपने बड़े सपनों की रचना करता रहा। उसका सबसे बड़ा सपना एक दिन डॉक्टर बनना था। लेकिन उसके पास अपने सपनों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे।

लड़के की दिलचस्पी और समर्पण को देखते हुए एक खुदाई मजदूर उसे प्रेरित करते हुए बोले, "बेटा, तुम अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमेशा मेहनत करते रहना। अगर तुम अपने लक्ष्य की ओर सच्ची निष्ठा से बढ़ते रहोगे तो एक दिन जरूर सफल होगे।"

उसे उस दिन से एक नया जोश मिल गया। लड़का हर दिन अपने सपने की दिशा में मेहनत करने लगा। वह अपने स्कूल में अच्छे अंक प्राप्त करने और अपनी पढ़ाई में लगन से प्रगति करने लगा। उसने पूरे ध्यान से पढ़ाई की और अपनी सपनों को अपने दिल में जगह दी।

जब उसकी बड़ी परीक्षाएं आने वाली थीं, तो वह अपने मित्रों के साथ खेलने और मनोरंजन करने की बजाय पढ़ाई में ध्यान देने लगा। वह रात्रि भर जाग कर पढ़ता और दिनभर मेहनत करता। जब उसकी परीक्षाएं समाप्त हो गईं, तो उसे लगा कि वह अच्छे अंक प्राप्त कर सकता है।

परिणाम घोषित होने पर वह बहुत खुश हुआ, क्योंकि उसने अपने लक्ष्य में सफलता प्राप्त कर ली थी। उसके पापा ने उसे बहुत बधाई दी और कहा, "बेटा, तुमने अपने सपनों को पूरा किया है, हमें गर्व है। अब आगे बढ़कर अपने लक्ष्यों की ओर चलते रहो।"

लड़के ने आखिरकार अपने सपने को पूरा कर लिया था। उसकी मेहनत और समर्पण ने उसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया। वह अब एक बड़े अस्पताल में डॉक्टर के रूप में काम कर रहा है और अपने देश के लोगों की सेवा कर रहा है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत, समर्पण, और लगन से हम किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर

 सकते हैं। सपनों को खोने की बजाय हमें उन्हें पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए। सफलता के लिए हमें सब्र और विश्वास रखना आवश्यक है, क्योंकि दुनिया उन्हें हर वक्त हारने की कोशिश करती है। लेकिन जो लोग अपने सपनों के पीछे जुटे रहते हैं, वे अंततः सफलता को प्राप्त करते हैं।

©Deepak Prajapati
  #ChaltiHawaa
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Deepak Prajapati

शिखर की उच्चाई - एक प्रेरणादायक कहानी

एक गांव में एक लड़का शिखर रहता था। उसे बचपन से ही पर्वतारोहण का शौक था। वह अपने पिता के साथ बारिश के मौसम में छोटे पर्वतों पर जाकर खेलता और घूमता था। उसके दिल में यह सपना था कि एक दिन वह एक उच्च पर्वत को चढ़ेगा।

लेकिन शिखर के पिता उसके सपने को पूरा करने में सक्षम नहीं थे, क्योंकि उन्हें गरीबी का सामना करना पड़ रहा था। वे उसे शिक्षा और आवश्यक सामग्री प्रदान करने की समर्थ नहीं थे। इसके बावजूद, शिखर का स्नेही दिल विचलित नहीं हुआ और वह सोचता रहता कि कहीं न कहीं एक दिन वह अपने सपने को पूरा करेगा।

शिखर ने अपनी मेहनत और लगन से पढ़ाई पूरी की और एक छोटे से शहर में अच्छे मार्क्स के साथ अध्ययन करने का मौका मिला। वह वहां जाकर अपने परिवार को गर्व महसूस करवाना चाहता था।

एक दिन, शिखर के शहर के एक पर्वतारोहण क्लब के सदस्यों ने एक उच्च पर्वत चढ़ाने का इंतज़ाम किया। शिखर को यह सुनकर बड़ी खुशी हुई। वह उनके साथ जाने के लिए तैयार था, लेकिन उसे अपने दोस्तों ने वहां जाने से रोक दिया। वे कहते थे कि वह ऐसा करने के लिए पैसे खर्च नहीं कर सकते और यह खुद को बर्बादी की ओर ले जाएगा।

लेकिन शिखर ने उनके कहने पर हार नहीं मानी। उसने अपने खुद के इंतज़ार किए बिना इंजीनियरिंग के एक पदवी प्राप्त की और फिर पर्वतारोहण क्लब के सदस्यों के साथ पर्वत चढ़ने के लिए गया।

वहां पर्वतारोहण के लिए तैयारी के दौरान, उसके सामने कई कठिनाईयां आईं, लेकिन वह हार नहीं मानता था। उसने लगातार मेहनत की, संघर्ष किया, और अंततः उसे वह उच्च पर्वत चढ़ने का मौका मिला।

जिस दिन शिखर उस उच्च पर्वत पर पहुंचा, उसे अपने सपने का साक्षात्कार हो गया। वह वहां से बस नहीं उठ सकता था। उसके पास खड़े होकर वह सबसे ऊँचे शिखर की ओर देखता था और उसे याद आता था कि वह कितनी बड़ी मेहनत के ब

©Deepak Prajapati
  #ChaltiHawaa
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Deepak Prajapati

sayar
 by prajapati

©Deepak Prajapati
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Deepak Prajapati

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में रहने वाला एक लड़का था, जिसका नाम राहुल था। राहुल बचपन से ही बहुत अच्छे और नेक दिल के धार्मिक व्यक्ति था। वह गांव के मंदिर में दिन-रात भक्ति और सेवा में लगा रहता था। लोग उसकी ईमानदारी और नेकी की तारीफ करते थे।

एक दिन, गांव में भयानक सूखा पड़ा और पानी की कमी ने लोगों को बहुत परेशानी में डाल दिया। पहले-पहल लोग परेशान हो गए, फिर वे चिंता में खोए रहे। लोग मंदिर में भी जाकर पूजा करने लगे, परंतु राहुल वहीं नहीं थमा।

राहुल ने अपने मन में भगवान से प्रार्थना की, "हे प्रभु! कृपा करके हमारे गांव को पानी दो। हम सभी तुम्हारे शरण में हैं और तुम सबकी सुनते हो। कृपया हमारी सहायता करो।"

अगले दिन सुबह, चमकदार धूप में एक अचानक बारिश आनी शुरू हो गई। बारिश इतनी भरी और सुखद थी कि लोग खुशी से नाच रहे थे। सभी ने अपने-अपने खेतों को जलाकर उन्हें तैयार किया और फसल उगाने की तैयारी में लग गए।

राहुल ने देखा कि उसकी प्रार्थना की क़द्र हो गई और भगवान ने उसे उत्तर दिया। उसका विश्वास और निष्ठा भगवान की ओर से उसे सफलता और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करने वाले उस प्रेरणा से भर गया था।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि यदि हम सच्चे मन से अपनी प्रार्थनाएँ करें और अपने लक्ष्यों के प्रति निष्ठा रखें, तो भगवान भी हमें अपनी कृपा से नहीं वंचित रखेंगे। सफलता के लिए अधिकतर समय में मेहनत करने की जरूरत होती है, लेकिन इश्वर की कृपा और हमारी निष्ठा भी हमें सफलता की राह दिखा सकती है।

©Deepak Prajapati
  #TiTLi
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Deepak Prajapati

एक प्रेरणादायक कहानी - "संघर्ष की शक्ति"

एक गांव में रामू नामक एक बच्चे का जन्म हुआ। उसके माता-पिता गरीब थे और उन्हें बड़ा सपना था कि रामू एक दिन अधिक शिक्षा प्राप्त करके दुनिया में अपनी पहचान बनाएगा। लेकिन उनके पास वित्तीय संसाधन नहीं थे, जिसके कारण रामू को अधिक शिक्षा प्राप्त करने में समस्या हो रही थी।

एक दिन, रामू अपने गुरुजी से मिला और अपनी परेशानियों का समाधान ढूंढने के लिए प्रेरित किया। उनके गुरुजी ने कहा, "रामू, सफलता के लिए तुम्हें संघर्ष करना होगा। समय और मेहनत बिताकर, तुम सफल हो सकते हो।"

रामू ने अपने गुरुजी के साथ अनगिनत रातें गुजारीं और अधिक ज्ञान प्राप्त किया। उसने अपने संघर्ष को एक अवसर के रूप में देखा और उससे भयभीत न होकर, उसे ग्रहण किया।

समय बीता और रामू ने कई परीक्षाओं का सामना किया। कई बार उसे हार का सामना करना पड़ा, लेकिन वह निराश नहीं हुआ। उसने खुद को हर बार उठाया और आगे बढ़ाया।

आखिरकार, रामू ने एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में दाखिला प्राप्त किया। वह अब अपने सपनों के क़रीब था। उसके मेहनत और संघर्ष का फल मिलने वाला था।

विश्वविद्यालय में रामू ने अपनी पढ़ाई में कड़ी मेहनत की और उसके प्रदर्शन में वृद्धि हुई। उसने अपने गुरुजी के सिखाए गए अधियन को अपने जीवन में उतारा और सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचा।

रामू की सफलता उसके माता-पिता के लिए गर्व की बात थी। उन्होंने दिखाया कि यदि मन में इच्छा हो और संघर्ष की शक्ति हो, तो अपने सपनों को पूरा करना मुश्किल नहीं है। रामू की कहानी बनी एक प्रेरणा स्रोत और उसके संघर्ष ने उसे सफलता की ओर आगे बढ़ाया।

©Deepak Prajapati
  #WoSadak
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Deepak Prajapati

एक रात,चार कॉलेज विद्यार्थी देर तक मस्ती करते रहे और जब होश आया तो उन्हें अगली सुबह होने वाली परीक्षा का खयाल आया।

परीक्षा से बचने के लिए उन्होंने एक योजना  बनाई।

मैकेनिकों जैसे गंदे और फटे पुराने कपड़े पहनकर वे चारों प्रिंसिपल के सामने जा खड़े हुए और उन्हें अपनी दुर्दशा की जानकारी दी।

उन्होंने प्रिंसिपल को बताया कि कल रात वे चारों एक दोस्त की शादी में गए हुए थे।

लौटते में गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया।

किसी तरह धक्का लगा-लगाकर गाड़ी को यहां तक लाए हैं। इतनी थकान है कि बैठना भी संभव नहीं दिखता,पेपर हल करना तो दूर की बात है।

यदि प्रिंसिपल साहब उन चारों की परीक्षा आज के बजाय किसी और दिन ले लें तो बड़ी मेहरबानी  होगी।

 प्रिंसिपल साहब बड़ी आसानी से मान गए।उन्होंने तीन दिन बाद का समय दिया। विद्यार्थियों ने प्रिंसिपल साहब को धन्यवाद दिया और जाकर परीक्षा की तैयारी में लग गए।

तीन दिन बाद जब वे परीक्षा देने पहुंचे तो प्रिंसिपल ने
बताया कि यह विशेष परीक्षा केवल उन चारों के लिए ही आयोजित की गई है। चारों को अलग-अलग कमरों में बैठना होगा।

चारों  विद्यार्थी अपने-अपने नियत कमरों में
जाकर बैठ गए।

जो प्रश्नपत्र उन्हें दिया गया उसमें केवल
एक ही प्रश्न था
,
,
,
,
,
,
गाड़ी का कौनसा टायर पंक्चर हुआ था ?
( 100 अंक )

अ. अगला बायां 

ब. अगला दायां 

स. पिछला बायां 

द. पिछला दाया 

चारो बुरी तरह फंस गये क्योंकि सबका उत्तर अलग अलग था।

इसलिए गुरु आखिर गुरु ही होता है.......!!

©Deepak Prajapati
  #surya
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Deepak Prajapati

जीवन जीने के लिए कुछ उपाय और सुझाव हैं जो आपको एक संतुष्ट, सकारात्मक, और सफल जीवन जीने में मदद कर सकते हैं:

1. अपने लक्ष्यों को स्पष्ट करें: अपने जीवन के उद्देश्य और लक्ष्यों को समझें और उन्हें प्राथमिकता दें। अपने अभिलाषाओं को साकार करने के लिए प्रतियोगितामयी और निरंतर प्रयास करें।

2. सकारात्मक सोच बनाएं: सकारात्मक सोचने से आपका संबंध जीवन में बेहतरीन बनता है। अपनी चिंताओं और दुखों को समझें और उन्हें पार करने के लिए कोशिश करें।

3. स्वस्थ रहें: अच्छे स्वास्थ्य का ध्यान रखना जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। नियमित व्यायाम, सही खानपान और पर्याप्त नींद लेने से आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बना रहेगा।

4. आपसी सम्बंधों का ध्यान रखें: परिवार, मित्र, और सम्बंधियों के साथ अच्छे रिश्ते बनाएं। उनके साथ समय बिताना, उन्हें सम्मान देना और उनसे मिलकर खुशियां बाँटना महत्वपूर्ण है।

5. नए अनुभवों को अपनाएं: जीवन को रुचिकर और मजेदार बनाने के लिए नए अनुभवों का सामना करें। यात्रा करें, नए कौशल सीखें, और नई सामाजिक गतिविधियों में भाग लें।

6. अपने शौकों को पुरस्कारित करें: अपने रुचिकर शौकों और पसंदीदा कार्यों को समय दें। ये आपके जीवन में आनंद का स्रोत बन सकते हैं।

7. किसी की मदद करें: दूसरों की मदद करने से आपका भावनात्मक और आत्मसंतुष्ट भाव बढ़ता है। अपने समाज में सहायता करें और अपने योग्यता और संसाधनों से दूसरों की सेवा करें।

8. ध्यान व ध्यानाध्यान: योग, ध्यान, और प्रार्थना के माध्यम से मानसिक शांति और स्पष्टता प्राप्त करें। ये आपको अधिक सचेत, स्थिर, और सकारात्मक बनाते हैं।

9. अपने स्वयं के साथ समय बिताएं: अकेले समय में स्वयं के साथ समय बिताना भी महत्वपूर्ण है। स्वयं का सम्मान करें और अपने आप को बेहतर तरीके से समझें।

10. संतुष्ट रहें: आपके पास जो है, उसे स्वीकारें और उसप

©Deepak Prajapati
  #surya लाइफ स्टाइल

#surya लाइफ स्टाइल #Life

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Deepak Prajapati

एक छोटे से गांव में एक बड़े वृद्ध व्यक्ति रहते थे, जिनका नाम रामचंद्र था। रामचंद्र गांव के सबसे ज्ञानी और समझदार व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध थे। उन्हें लोग अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए सतत प्रस्तावित करते थे।

एक बार, गांव के कुछ युवा रामचंद्र के पास आए और उनसे पूछा, "बाबूजी, हम भी अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं, पर हमारे पास संसाधन और अवसर नहीं हैं। कृपया हमें प्रेरित करें और सही राह दिखाएं।"

रामचंद्र ने उन्हें प्यार से मुस्कराते हुए कहा, "बच्चों, सफलता के लिए संसाधन और अवसर महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण आपकी मेहनत, समर्पण, और निष्ठा होती है। मैं आपको एक कहानी से प्रेरित करूँगा।"

रामचंद्र ने एक किसान की कहानी बताई। वह किसान अपनी खेती में बहुत मेहनती था और उसे अपने पेड़ पौधों की बेहतर खेती के लिए हमेशा अध्ययन करते रहते थे। धैर्य से काम करते हुए उसने अपनी खेती को सुधारा और समय के साथ उसकी मेहनत ने उसे अच्छा फल दिया। उसके खेती के फलस्वरूप, वह धीरे-धीरे समृद्धि के साथ बढ़ता गया।

रामचंद्र ने युवा लोगों से कहा, "देखो, सफलता आपके पास होने वाली सम्पत्ति नहीं है, बल्कि यह आपके अन्दर है। जैसे वह किसान अपने मेहनती काम से समृद्धि प्राप्त करता गया, वैसे ही आप भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत, धैर्य, और समर्पण के साथ काम करें। सफलता का सफर अब आपके हाथों में है।"

युवा लोगों को यह सुनकर प्रेरित होने लगे। उन्होंने रामचंद्र का आभार व्यक्त किया और समझ गए कि उन्हें सफलता की ओर बढ़ने के लिए अपने मेहनती प्रयासों को और निष्ठा से जारी रखने की आवश्यकता है।

इस कहानी से साबित होता है कि सफलता और समृद्धि के लिए युवा जनता को अपने सपनों के पीछे भागने की ज़रूरत है और उन्हें समर्पण से अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करना चाहिए। वे संघर्ष

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