जननी हूं मैं इस जहां की ,फिर भी मेरी पहचान नहीं!
मेरी ही संतान के पीछे ,मेरा ही नाम नहीं??
माना के दुर्गा चंडी काली हूं ,
मैं खुद अपनी पहचान बनाऊंगी।
पर इस मर्द प्रधान समाज से मैं कब तक लड़ पाऊंगी।
सबर धैर्य ममता की भी तो एक मूर्ति हूं,
सिर्फ चंडी बनकर लड़ते रहना ही तो मेरा काम नहीं।
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Monika Garg
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Monika Garg
बीत गया समय,, बस यादें रह गई,
कुछ गुजरे हुए वक्त की बातें रह गई,
कोई लौटा लाए उस बीते हुए लम्हे को,
जिस गुजरे हुए लम्हे में मेरी जिंदगी रह गई!! #शायरी
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Monika Garg
जिंदगी एक गेम है
हर मोड़ पर एक टास्क हैं
जीतता वही है
जो इसकी उलझनों से वाकिफ है।
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Monika Garg
भूली हुई कहानी जब याद आती है
तेरी यादों की बूंदे दिल पर ओस सी ठहर जाती हैं