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Surkh ( سرخ )
White तुमने बरसात को बरसते हुए देखा होगा, कई लोगों को अपनों के लिए तड़पते हुए देखा होगा। वो झूठे नहीं होते सुर्ख, तुमने भी कभी अपनी ही भरी हुई पलकों से अश्कों को गिरते देखा होगा!! ©Surkh ( سرخ ) #rainy_season #शायरी #बरसात #अश्क #Life
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read moreबेजुबान शायर shivkumar
मेरी जिंदगी की सारी खुशियां भी और गम भी हो तुम, मेरे आंखों की रोशनी और निंदिया भी हो तुम । वो सावन की पहली सावन की वो बरसात हो तुम, मेरी जीवन की मोहब्बत और " आखिरी चाहत हो तुम "।। मेरे इस दिल की धड़कन में रहने वाली हो तुम, मेरे आंखों में , मेरी सांसों में बसने वाली हो तुम । मेरे जिंदगी की हर उन राहों में साथ चलने वाली हो तुम, मेरी जीवन की मोहब्बत और " आखिरी चाहत हो तुम "।। प्यार पर लिखी मेरी हर एक शायरी हो तुम, मेरी जिंदगी को जो बयां करें वो डायरी हो तुम । हर दुआ में मांगी हुई हर ख्वाहिश हो तुम, मेरी जीवन की मोहब्बत और " आखिरी चाहत हो तुम "।। मेरे लफ़्ज़ों के वो सभी अल्फ़ाज़ हो तुम, चांद, सितारों से सजी वो रात हो तुम । मेरी हर वो अनकही , अनसुनी सी बात उल्लेख हो तुम, मेरी जीवन की मोहब्बत और " आखिरी चाहत हो तुम " ।। ©बेजुबान शायर shivkumar मेरी जिंदगी की सारी #खुशियां भी और #गम भी हो तुम, मेरे आंखों की #रोशनी और #निंदिया भी हो तुम । वो सावन की पहली सावन की वो #बरसात हो तुम, मेरी जीवन की मोहब्बत और " आखिरी चाहत हो तुम "।। मेरे इस दिल की #धड़कन में रहने वाली हो तुम, मेरे आंखों में , मेरी सांसों में बसने वाली हो तुम । मेरे जिंदगी की हर उन राहों में साथ चलने वाली हो तुम,
मेरी जिंदगी की सारी #खुशियां भी और #गम भी हो तुम, मेरे आंखों की #रोशनी और #निंदिया भी हो तुम । वो सावन की पहली सावन की वो #बरसात हो तुम, मेरी जीवन की मोहब्बत और " आखिरी चाहत हो तुम "।। मेरे इस दिल की #धड़कन में रहने वाली हो तुम, मेरे आंखों में , मेरी सांसों में बसने वाली हो तुम । मेरे जिंदगी की हर उन राहों में साथ चलने वाली हो तुम,
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar #मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख ये #हरियाली । गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला की प्याली ।
Ghumnam Gautam
चलो आँखों में भर लो पर मुझे सपना नहीं करना किसी भी और को मेरे सिवा अपना नहीं करना चाही है तुम से इतनी वफ़ा बस इतनी वफ़ा मेरी साँसों को आख़िर तक तेरी ही ख़ुश्बू महकाए नहीं ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए... कि जब तक साँस बाक़ी है मिलन की आस बाक़ी है समंदर सामने है पर ये सच है प्यास बाक़ी है हो जाएं चाहे दोनों जुदा, हम-दोनों जुदा यही मेरी दुआ होगी मुझे तू भूल हरसाए मगर ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए... शिक़ायत है मुझे तुमसे तुम्हीं से इश्क-ओ-उल्फ़त है मेरी हर साँस को दिलवर तुम्हारी ही ज़रूरत है बहते इन अश्क़ों की ये है सदा हाँ, ये है सदा भले पत्थर मिलें मुझको,मगर तू फूल ही पाए नहीं ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए तुझे भूलने से पहले मेरी जान चली जाए.... मूल गीत― समीर ©Ghumnam Gautam #प्रतिगीत #ghumnamgautam #जान #याद #बरसात
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read moretripti agnihotri
White गर्मी से राहत मिली, आई है #बरसात। मेघ मगन हो नाचते, पंछी करते बात।।1।। #मेघ बड़े बनठन चले, ले शिव की बारात। देव मग्न हो नाचते, उजली हो गई रात।।2।। स्वरचित तृप्ति अग्निहोत्री लखीमपुर खीरी ©tripti agnihotri #good_night
Arjun Rawat पार्थ
बेजुबान शायर shivkumar
White सुनो, मेरे इस मन के भंवरजाल को , तुम , मेरी उस उलझन को मिटाओगी क्या ? संग मेरे, उस समंदर किनारे टहल पाओगी क्या ? एक शायद हूँ मेरा मन थोड़ा बैचेन सा, तुम मेरे उस बैचेनी को मिटाओगी क्या ? उलझी सी मेरी जिंदगी है अपने बालों सा सँवार लोगी क्या ? स्वार्थ से भरी है इस दुनिया में, हाथ मेरा तुम सात जन्म तक थाम पाओगी क्या ? छाई किस्मत पर उमस भरी ये बादली है बनकर बरसात मेरे सगं भिगाओगी क्या ? गुमनाम जिंदगी में अंधेरी यादों सी है चाँदनी सी रोशनी मे मेरे साथ बिखराओगी क्या ? गीली रेत पर कदम से कदम यु मिलाकर मेरे संग चल पाओगी क्या ? ©बेजुबान शायर shivkumar #sad_shayari #SAD #sad_emotional_shayries #sad😊 #sadfeelings सुनो, मेरे इस मन के भंवरजाल को , तुम , मेरी उस उलझन को मिटाओगी क्या ? संग मेरे, उस समंदर किनारे टहल पाओगी क्या?
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read moreMurtaza Ali
बरसात इंतज़ार तन्हाई..... फलक ज़मीन गहराई....!! ✍️murtaza ©Murtaza Ali #बरसात
'मनु' poetry -ek-khayaal
Pankaj Pahwa
White जरा बरसात क्या हो गई, शहर सारा ही डूबा है, जो बनते खादिम ए कस्बा, इनका ये क्या मनसूबा है, सड़क बंद है लगा है जाम, जनता होने लगी परेशान, भीगती आ रही कैसे, शहर भर की है ये आवाम, वो खुश महलों में हैं बैठे, उनके हैं बन रहे पकवान, यहां बोनी नहीं अब तक, होने को आ गई है शाम, जरा बरसात क्या हो गई, शहर सारा ही डूबा है, जो बनते खादिम ए कस्बा, इनका ये क्या मनसूबा है, शहर छोड़ा था जिनके आसरे, वो सब ही गायब हैं, काम कोई न करने के, बहाने भी अजायब हैं, जरा गर पूछ लो इनसे, साहब ट्रैफिक को हटवा दो, चालान पहला तुम्हारा है, पहले तुम उसको कटवा दो, जरा बरसात क्या हो गई, शहर सारा ही डूबा है, जो बनते खादिम ए कस्बा, इनका ये क्या मनसूबा है, सवारी के अचानक से, हो गए दुगने हैं अब दाम, जहां पे बीस लगते थे, न होगा सौ से कम में काम, लाचारी है तुम्हारी है, हुई अब जेब भारी है, गलत को सहते रहने की, ये हम सबको बीमारी है, जरा बरसात क्या हो गई, शहर सारा ही डूबा है, जो बनते खादिम ए कस्बा, इनका ये क्या मनसूबा है, ©Pankaj Pahwa #बरसात