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radhapandey3411
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Radha Pandey

Dreaming is necessary for the winners, but executing the dreams in reality is must to 'win'.🙂

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Radha Pandey

मैं ध्रुव तारा बनकर तुम्हारे रास्ते को हमेशा उजागर करूँगी, 
पर क्या तुम मेरे मन के अंधेरे को कभी समझ पाओगे?
प्यार तो जालसाज़ी का कारोबार हो गया हैं आजकल, 
पर क्या तुम ध्रुव तारा साथ देखने तक मेरा साथ निभाओगे।

©Radha Pandey
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Radha Pandey

गिर गिर कर उठने की कोशिश ।
मर मर कर जीने की कोशिश।
रो रो कर हँसने की कोशिश।
पढ़ पढ़ कर कामयाब होने की कोशिश।


कोशिश हैं कुछ करने की हरदम आगे बढ़ने की ।
यू ही हँसते रहने की,सबको खुश करने की।
दोस्तों संग जीने कि,संग सबके प्यार करने की।
मम्मी पापाजी के लिए कुछ करने की, देश के खातिर मरने की।

कोशिश थी ,हैं और हमेशा रहेगी कुछ अनोखा करने की , ऊचाईयों को छुने की और निरंतर आगे बढ़ने की।

©Radha Pandey #गिर_गिर_कर_उठने_की_कोशिश।

गिर_गिर_कर_उठने_की_कोशिश। #Poetry

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Radha Pandey

मेरे बाबा,
       खुश हुँ कि अनोखा ये दिन आ गया हैं,
तेरी कृपा से सब-कुछ भा गया हैं।
मेरी आशा से बढ़कर दिया प्यार हैं,
कि तेरी फुलों से महका मेरा बाग हैं।
तेरा धन्यवाद भी मैं करु आज कैसे,
तूने नाविक को दिया हो पतवार जैसे।
यु ही सदा बनाये रहना आशिष ऐसे,
अँधेरे को आबाद करता ऊजाला हो जैसे।

©Radha Pandey 🙏🌼

🙏🌼 #Poetry

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Radha Pandey

अचानक हो रही ये बारिश..।
न जाने कितने दिलों पर किस तरह से अपना छाप छोड़ेगा।
किसी को बचपन की तो किसी को महबूब की याद दिला उनके रिश्तों को जोड़ेगा,
 वहीं किसी के आशाओं को भी तोड़ेगा।
कोई बारिश का  लुफ्त उठाने को चाय-पकौड़े खायेगा,
तो वही कोई दो रोटी को भी तरस जायेगा।
खेतों में उगे उस सोने को फिर ये बारिश खराब कर जायेगा,
कुछ इस तरह से ये बारिश अपना रूप दिखायेगा
 ―राधा पान्डेय।

©Radha Pandey #अचानक_हो_रही_ये_बारिश।..।

अचानक_हो_रही_ये_बारिश।..। #Poetry

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Radha Pandey

(प्यार का मायाजाल)
न जाने कैसा ये दिन आ गया हैं,
विश्वास के बदले न विश्वास रह गया हैं।
आई थी छोड़ परिवार को तुम्हारे पास में,
पर क्यों तब्दील कर दिया तुमने ही उसे लाश में।

क्या दुनिया में इतनी अभद्रता बढ़ गई हैं,
कि प्यार के भी सर क्रुरता चढ़ गई हैं।
कभी लड़की को लड़का,कभी लड़के को लड़की,
एक-दुसरे को मार दिखाते हैं अपनी तड़की-भड़की।

किसी की बेटी और किसी का बेटा मारा जाता हैं,
पर लोगों के मन केवल संस्कार दोष ही भर आता हैं।
क्यों उन माँ-बाप के दुःखों को न कोई देख पाता हैं,
सिर्फ जाति और चरित्र का भेद बतलाया जाता हैं।

प्यार के बदले न आज प्यार रह गया हैं,
बस 35 टुकड़ों का कारवां चल गया हैं।
क्यों इतना आज ये प्यार गिर गया हैं,
कि प्यार का मतलब सिर्फ आज हवस रह गया हैं।

माँ-बाप की अवज्ञा करो न तुम ऐसे,
वरना बचा पायेंगे वो तुमको दलदल से कैसे।
माँ-बाप का वात्सल्य प्रेम हैं अनमोल यहाँ,
वरना ऐसे प्यार तो मिल जाते हैं जहाँ-तहाँ।

प्यार के नाम से आज लगने लगा हैं डर,
क्योंकि पता नहीं किसके निकल आयेंगे 10-10 सर।
बालिग़ों पर अभिभावकों का न अब कोई अधिकार रहा हैं,
शायद इसीलिए आज सच्चा प्रेम विलुप्त हो रहा हैं।
          __राधा पान्डेय

©Radha Pandey #pyar_ka_mayajaal🥲

pyar_ka_mayajaal🥲 #Poetry

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Radha Pandey

Maa  माँ
ब्रह्मन्ड की अतुल्य रचना हैं माँ।
संतान की पहली गुरु हैं माँ।।
धरती पर भगवान का स्वरूप हैं माँ।
संतान की हर समस्या का समाधान हैं माँ।।
हर बुखार की दवा हैं माँ।
 एक मकान को घर बनाती हैं माँ।।

चलने से लेकर गलत की तरफ गिरने से संभाला।
कभी प्यार से तो कभी डाँटकर आगे बढ़ाया।।
मुश्किलों से न डरना कहकर प्रतिपल साहसी बनाया।
माँ ने ही हमें सभी संस्कारों से परिपूर्ण बनाया।।
उन्होंने ही खुद को हमारे सारे दुखों का ढ़ाल बताया।
उन्होंने ही घर से दुर भेजकर उच्च शिक्षा दिलाया और खुद हमारी याद में दिन बताया।।

बेटा हो या बेटी माँ ने दोनों को किया बराबर प्यार।
इसलिए बेटी होने पर एक माँ पर अपशब्द का न करें कभी वार।।
माँ ने सिर्फ अपनी संतान को जन्म दिया और उसी से प्यार किया।
इसलिए भाग्यशाली हैं वो लोग जिन्हे भगवान ने माँ रूपी वरदान दिया।।

बचपन में जो थी हमारी सहारा।
हमें समय आने पर बनना हैं उनका सहारा।।
       _राधा पान्डेय।

©Radha Pandey #Maa💝

Maa💝 #Poetry

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Radha Pandey

दिखावा करते हैं लोग।
याद आये न आये सिर्फ कहते हैं लोग ।।
मर जाने पर हाय-हाय करते हैं लोग ।
जिंदा रहने पर दाये-बाये हो जाते हैं लोग।।
 अंतिम दर्शन का मलाल करते हैं लोग।
क्यों मरते से सेहत का सवाल नहीं करते हैं लोग?
क्यों पैसों से रिश्ते को तोलते हैं लोग?
अमीरी में पास और गरीबी में दूर हो जाते हैं लोग।।

रिश्तों का भी लिहाज़ भूल जाते हैं लोग।
जिसके छत्रछाया में पले उसी को पैसे-पैसे के खातिर तड़पाते हैं लोग।।
क्यों याद की आड़ में दिखावा करते हैं लोग?
क्या वाक़ई इतने मतलबी होते हैं लोग?

जो छोड़ गया इस जग को उसे क्या दिखाना चाहते हैं लोग?
वक्त रहते क्यों नहीं सम्भल जाते हैं लोग?
क्यों ऊपरवाले के नजरों में गिरते जाना चाहते हैं लोग?
इतना दिखावा कैसे करते हैं लोग?

©Radha Pandey
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Radha Pandey

दहेज-एक कुप्रथा
ऐसी भी एक प्रथा हैं जो सुप्रथा न होकर कुप्रथा हैं।
जो हमारे देश के लिए सबसे बड़ी व्यथा हैं।।
यह वह प्रथा  हैं जो विवश करती हैं बेटी को बोझ समझने को।
जो छोड़ देती हैं हर मांँ-बाप को तड़पने को।।

चुकाने को दहेज बेचे जाते हैं खेत और लिए जाते हैं ऋण।
जो कर देती हैं एक बाप को ऋण से छिण।।
भ्रुणहत्या, आत्महत्या और हत्या की बनती हैं शिकार।
जिसके परिणामस्वरूप माता पिता करते हैं बेटियों का बहिष्कार।।

अगर लड़के होते हैं अफसर।
तभी बढ़ती हैं दहेजों कि माँग अक्सर।।
क्यों भुल जाती हैं समाज की बेटियों ने भी कि होती हैं पढ़ाई।
किंतु हमने तो उनपर कोई मूल्य नहीं लगाई।।

अगर वसूलने होते हैं बेटों के पढ़ाई के पैसे।
फिर दहेज को वरमुल्य कहें न कैसे।।
बेटियाँ भी तो ससुराल का प्रत्येक कार्य करती हैं।
फिर इसके फलस्वरूप उन्हें कोई वेतन कयों नहीं मिलती हैं।।

काश की जैसे लड़कियाँ समझती हैं ससुराल को अपना।
वैसै ही लड़के भी वधुपक्ष के दर्द को समझे और मानें उनका कहना।।
जिस दिन वरपक्ष समझ जाएगा वधुपक्ष का दर्द।
उस दिन वधूपक्ष को नहीं रहेगा कोई सिरदर्द।

चाहे कितना आधुनिक हो चुका हो देश।
पर दहेज को लेकर आज भी वहीं हैं केस।।
जल्द ही दहेज को देना होगा जवाब करारा।
वरना वह दिन दुर नहीं जब विवाह के लिए लेना होगा लाईन का सहारा।।

अगर लड़के लेले शपथ।
कि हम नहीं चुनेंगे दहेजरूपी पथ।।
तब से प्रत्येक लड़की को मिलेगा जीने का अधिकार।
ठीक उसी दिन से सच में होगा हर माँ-बाप का सपना साकार।।

आईए मिलकर हमसब दहेजरूपी कुप्रथा का परित्याग करें।
और पुनः हर माँ-बाप को पुत्री विवाह की चिंता से मुक्त करें।।
            ___राधा पाण्डेय ।

©Radha Pandey #poem✍🧡🧡💛  sachin mishra

poem✍🧡🧡💛 sachin mishra

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Radha Pandey

 #worldpostday
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Radha Pandey

कविता (कोरोना--वैश्विक महामारी)

कोरोना से सतर्कता ।
नहीं हैं कोई मूर्खता ।।
अगर कोरोना को हैं हराना ।
तो करो न कोई बहाना ।।

धन्य हैं कि यहाँ प्रधानमंत्री हैं ऐसे योग्य ।
की उनका भी यहीं प्रयास हैं सब रहे देश में आरोग्य।।
कहते-कहते वह हारा हैं ।
घरों में रहना यहीं हमारा नारा हैं।।

कर दिया देश में लोकडॉउन ।
सब हो गए अंडरग्राउंड ।।
अब देश में हैं तीन ही सैन्ययुवक ।
डॉक्टर, पुलिस एवं सफाईकर्मी हैं सच्चे उर्वरक ।।

अभी हमारा धर्म हैं देश हित में रहना ।
इस पल न मंदिर, मस्जिद और गिरिजाघर जाना ।।
भगवान हमारे दिल में हैं मंदिर को बनाकर क्या होगा ?
इसी मंत्र से सभी का कल्याण होगा ।।

हो जाओ सभी एकजुट ।
न डालने पाये कोई फुट ।।
हिन्दू, मुस्लिम ,सिख, ईसाई सब आपस में भाई-भाई ।
यही मंत्र हैं सभी के लिए सहाई ।।

न करो ऐसा कार्यमात्र ।
जो बनाये हमे हस्यपात्र ।।
अनुसरण करें उन सभी बातों का ।
जिससे कोरोना न बने रोड़ा पथ का ।।

आओ इस विपत्ति में हम मिलकर एक ज्योति जलाये ।
जो हमारे देश को एक स्वस्थ, स्वच्छ और सुंदर देश बनाये ।।
इस कोरोना को हराना हैं ।
फिर से देश को मुस्कुराना हैं।।

©Radha Pandey #worldpostday  sachin mishra

#worldpostday sachin mishra

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