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divyanshisingh4822
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Divyanshi singh ruhiva

मेरी नजरो को तेरी नजरो का इक नजराना चाहिए मोहब्बत आजमाने का मुझको इक नया आशियाना चाहिए।

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Divyanshi singh ruhiva

उसकी यादों को खूबसूरत शाम लिखूंगी 
उसकी आंखों को मयखाना लिखूंगी 
मिले तो थे बड़े मन्नतों से हम इसलिए 
मोहब्बत को मन्नत–ए– इश्क लिखूंगी 
उसके जाने को बिरहा की रात लिखूंगी 
उसके तोफो को बहुत संभाल कर रखूंगी 
( उसके मजनू जैसे बर्ताब पर 
उसे समझाकर संभाला करते थे )
आज खुद हीर बनकर उसे प्यार करूंगी
उसकी यादों को खूबसूरत शाम लिखूंगी 
उसकी बाहों में खुद को महफूज–ए–जहान लिखूंगी 
उसके चेहरे को चांद लिखूंगी 
( उसके शराब पीने से कभी 
ऐतराज़ हुआ करता था मुझको )
आज उस शराब को इश्क–ए–मयखाना लिखूंगी 
( बहुत सुकून है इस शराब में साहब 
मैं तो इसे दवा–ए–राहत लिखूंगी )
उसकी यादों को खूबसूरत शाम लिखूंगी 
उसकी बातों को मोहब्बत का राग लिखूंगी 
उसके कहने पर दिन को रात लिखूंगी 
हमें इश्क हुआ है जनाब 
इसे तो जन्नत–ए–जहान लिखूंगी

©Divyanshi singh ruhiva उसकी यादों को खूबसूरत शाम लिखूंगी 
उसकी आंखों को मयखाना लिखूंगी 
मिले तो थे बड़े मन्नतों से हम इसलिए 
मोहब्बत को मन्नत–ए– इश्क लिखूंगी 
उसके जाने को बिरहा की रात लिखूंगी 
उसके तोफो को बहुत संभाल कर रखूंगी 
( उसके मजनू जैसे बर्ताब पर 
उसे समझाकर संभाला करते थे )

उसकी यादों को खूबसूरत शाम लिखूंगी उसकी आंखों को मयखाना लिखूंगी मिले तो थे बड़े मन्नतों से हम इसलिए मोहब्बत को मन्नत–ए– इश्क लिखूंगी उसके जाने को बिरहा की रात लिखूंगी उसके तोफो को बहुत संभाल कर रखूंगी ( उसके मजनू जैसे बर्ताब पर उसे समझाकर संभाला करते थे ) #pyaar

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Divyanshi singh ruhiva

Uski choti-choti baatein 
ab yaad aane lagi,
Wo yaadon mujhe 
tadpane lagi,
Uskay sath jo beete 
mohabbat ke din,
Uskay na rahne par 
gum tadpane lage,
Kabhi khushiyon ki mahfil 
sajate the hum,
Ab mahfil me khamoshi 
lekar aane lage

©Divyanshi singh ruhiva Uski choti-choti baatein 
ab yaad aane lagi,
Wo yaadon mujhe 
tadpane lagi,
Uskay sath jo beete 
mohabbat ke din,
Uskay na rahne par 
gum tadpane lage,

Uski choti-choti baatein ab yaad aane lagi, Wo yaadon mujhe tadpane lagi, Uskay sath jo beete mohabbat ke din, Uskay na rahne par gum tadpane lage, #Quotes #lost

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Divyanshi singh ruhiva

मां जताती नही है सारे दुख खुद सह कर बच्चो से प्यार निभाती हैं। खुद भूखा रह कर अपने बच्चों को खाना खिलाती हैं मां जताती नही है सारे दुख खुद सह जाती हैं हमें अगर बुखार आ जाए तो सारा घर सर पर उठती हैं इक मां ही तो है जो अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर जाती हैं

©Divyanshi singh ruhiva मेरी प्यारी माँ

मां जताती नही है सारे दुख खुद सह कर बच्चो से प्यार निभाती हैं। खुद भूखा रह कर अपने बच्चों को खाना खिलाती हैं मां जताती नही है सारे दुख खुद सह जाती हैं हमें अगर बुखार आ जाए तो सारा घर सर पर उठती हैं इक मां ही तो है जो अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर जाती हैं

#MothersDay2021

मेरी प्यारी माँ मां जताती नही है सारे दुख खुद सह कर बच्चो से प्यार निभाती हैं। खुद भूखा रह कर अपने बच्चों को खाना खिलाती हैं मां जताती नही है सारे दुख खुद सह जाती हैं हमें अगर बुखार आ जाए तो सारा घर सर पर उठती हैं इक मां ही तो है जो अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर जाती हैं #MothersDay2021

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Divyanshi singh ruhiva

दिल की रोशनी से रोसन था घर मेरा
प्यार के मौसम में महका था मन मेरा
होले  होले जब बरसते थे बदल 
धक-धक धक-धक धड़कता था दिल मेरा

©Divyanshi singh ruhiva दिल की रोशनी 
से रोसन था घर मेरा
प्यार के मौसम में 
महका था मन मेरा
होले  होले जब 
बरसते थे बदल 
धक-धक धक-धक 
धड़कता था दिल मेरा

दिल की रोशनी से रोसन था घर मेरा प्यार के मौसम में महका था मन मेरा होले होले जब बरसते थे बदल धक-धक धक-धक धड़कता था दिल मेरा #Light

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Divyanshi singh ruhiva

तेरी आंखों में खो जाने को जी चाहता है तेरी मोहब्बत में 
खुद को मिटाने को जी चाहता है
अजीब है ये इश्क भी जनाब दिन को रात चाहता है रात को दिन चाहता है

©Divyanshi singh ruhiva तेरी आंखों में खो जाने को जी चाहता है
तेरी मोहब्बत में खुद को मिटाने को जी चाहता है
अजीब है ये इश्क भी जनाब
दिन को रात चाहता है रात को दिन चाहता है
#Love #romance

तेरी आंखों में खो जाने को जी चाहता है तेरी मोहब्बत में खुद को मिटाने को जी चाहता है अजीब है ये इश्क भी जनाब दिन को रात चाहता है रात को दिन चाहता है Love romance

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Divyanshi singh ruhiva

मेरी नजरों को तेरी नजरों का इक नजराना चाहिए
मोहब्बत आजमाने का इक नया आशियाना चाहिए।

मेरी बाहों को तेरी बाहों का इक सहारा चाहिए 
जहा रूह को सुकून मिले वो महखना चाहिए।

आसमान में जैसे चांद सूरज का होना चाहिए 
मेरे नाम के आगे तेरे सरनेम का भी होना चाहिए।

मेरी नजरों को तेरी नजरों का इक नजराना चाहिए
मोहब्बत आजमाने का इक नया आशियाना चाहिए।

जैसे अधूरा है रांझा अपनी हीर के बिना
वैसे ही मेरा वजूद तेरे बिना मुझे अधूरा चाहिए।

जिदंगी जन्नत होगी वहां 
मेरे हाथों में तेरा हाथ होगा जहां

मेरी नजरों को तेरी नजरों का इक नजराना चाहिये
मोहब्बत आजमाने का इक नया आशियाना चाहिए।

मेरे आंखों में सिर्फ इक तेरा ही ख्वाब होना चाहिए
मेरी हर धड़कनों में तेरा ही इक जिक्र होना चाहिए

©Divyanshi singh ruhiva मेरी नजरों को तेरी नजरों का इक नजराना चाहिए
मोहब्बत आजमाने का इक नया आशियाना चाहिए।

मेरी बाहों को तेरी बाहों का इक सहारा चाहिए 
जहा रूह को सुकून मिले वो महखना चाहिए।

आसमान में जैसे चांद सूरज का होना चाहिए 
मेरे नाम के आगे तेरे सरनेम का भी होना चाहिए।

मेरी नजरों को तेरी नजरों का इक नजराना चाहिए मोहब्बत आजमाने का इक नया आशियाना चाहिए। मेरी बाहों को तेरी बाहों का इक सहारा चाहिए जहा रूह को सुकून मिले वो महखना चाहिए। आसमान में जैसे चांद सूरज का होना चाहिए मेरे नाम के आगे तेरे सरनेम का भी होना चाहिए। #Love #kissday

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Divyanshi singh ruhiva

एक बार फिर तुमसे मिलने की चाहत करनी है
जो अधूरी रह गई है मोहब्बत उसे फिर से पूरी करनी है

इस जहान में न सही तो उस सितारो के जहान में ही सही, 
दिल से दिल की बाते बेहिसाब करनी है

तेरा आना  नामुमकिन है पता है मुझे ,
मेरा तेरे पास आने की वो खुशनुमा चाहत मुकम्मल करनी है

एक बार फिर तुमसे मिलने की चाहत करनी है
इस अधूरी सी जिंदगी में फिर से खुशियों की बौछार करनी है

©Divyanshi singh ruhiva एक बार फिर तुमसे मिलने की चाहत करनी है
जो अधूरी रह गई है मोहब्बत उसे फिर से पूरी करनी है

इस जहान में न सही तो उस सितारो के जहान में ही सही, दिल से दिल की बाते बेहिसाब करनी है

तेरा आना  नामुमकिन है पता है मुझे ,
मेरा तेरे पास आने की वो खुशनुमा चाहत मुकम्मल करनी है

एक बार फिर तुमसे मिलने की चाहत करनी है जो अधूरी रह गई है मोहब्बत उसे फिर से पूरी करनी है इस जहान में न सही तो उस सितारो के जहान में ही सही, दिल से दिल की बाते बेहिसाब करनी है तेरा आना नामुमकिन है पता है मुझे , मेरा तेरे पास आने की वो खुशनुमा चाहत मुकम्मल करनी है #Health

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Divyanshi singh ruhiva

ऐ खुदा अब तू मेरा फ़ैसला कर
मुझे मेरे हर दर्द से रिहा कर
 
जिंदगी की राहें अब बहुत कठिन लगने लगी हैं 
मुझे अब मेरे हर कर्ज़ से अदा कर

माना बहुत गलतियां की हैं मैंने इस जीवन में
मुझे मेरे हर गुनाह के लिए माफ कर

ऐ खुदा अब तू मेरा फ़ैसला कर
मुझे मेरे हर दर्द से रिहा कर...।।

©Divyanshi singh ruhiva ऐ खुदा अब तू मेरा फ़ैसला कर
मुझे मेरे हर दर्द से रिहा कर
 
जिंदगी की राहें अब बहुत कठिन लगने लगी हैं 
मुझे अब मेरे हर कर्ज़ से अदा कर

माना बहुत गलतियां की हैं मैंने इस जीवन में
मुझे मेरे हर गुनाह के लिए माफ कर

ऐ खुदा अब तू मेरा फ़ैसला कर मुझे मेरे हर दर्द से रिहा कर जिंदगी की राहें अब बहुत कठिन लगने लगी हैं मुझे अब मेरे हर कर्ज़ से अदा कर माना बहुत गलतियां की हैं मैंने इस जीवन में मुझे मेरे हर गुनाह के लिए माफ कर #Quotes #RAMADAAN

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Divyanshi singh ruhiva

उदासियो भरे पल चल रहे हैं
रोज कोई न कोई किसी अपने को खो रहा हैं
किसी रोज खुशियों भरे पल जिया करते थें सब 
आज डरे सहमे जी रहे हैं
ज़िंदगी समझने चले थे हम 
आज ज़िंदगी से रूबरू हो कर देख रहे हैं हम
कभी मां बाप साथ छोड़कर शहर में रहना पसंद करते थें 
आज गांव वापस आने के साधन ढूंढ रहे हैं लोग 
कभी मोलो और बड़े मकानों के 
चक्कर में पेड़–पौधे काट डाले थें सब
आज ऑक्सीजन के लिए भटक रहे हैं सड़को पर सब
जिंदगी समझने चले थे हम
आज ज़िंदगी से रूबरू हो कर देख रहे हैं हम।

©Divyanshi singh ruhiva
  उदासियो भरे पल चल रहे हैं
रोज कोई न कोई किसी अपने को खो रहा हैं
किसी रोज खुशियों भरे पल जिया करते थें सब 
आज डरे सहमे जी रहे हैं
ज़िंदगी समझने चले थे हम 
आज ज़िंदगी से रूबरू हो कर देख रहे हैं हम
कभी मां बाप साथ छोड़कर शहर में रहना पसंद करते थें 
आज गांव वापस आने के साधन ढूंढ रहे हैं लोग

उदासियो भरे पल चल रहे हैं रोज कोई न कोई किसी अपने को खो रहा हैं किसी रोज खुशियों भरे पल जिया करते थें सब आज डरे सहमे जी रहे हैं ज़िंदगी समझने चले थे हम आज ज़िंदगी से रूबरू हो कर देख रहे हैं हम कभी मां बाप साथ छोड़कर शहर में रहना पसंद करते थें आज गांव वापस आने के साधन ढूंढ रहे हैं लोग #Quotes #Corona_Lockdown_Rush

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Divyanshi singh ruhiva

सांझ का समय था सफर भी सुहाना था
देखो आज दो अजनबी मिले रहे थे
कुछ- कुछ सरमाए हुए थे, यूंही दो दिल मिल रहे थे
धड़कने बढ़ रही थी ओथ जैसे मानो 
फेबिगम से चिपके हुए थे 
धीरे से फिर उनकी नजरें नज़रों से टकराई
दिल की बातें फिर भी देखो ओथो तक ना आयी
मुलाक़ात की देखो बेला खत्म होने को आई
दिल में रह गई जो बात मैंने कह भी ना उनसे पाई
आंखो में जो होए सरारत कैसे मैं अब बतलाऊ
बंद करूं या खोलू आंखे उसी को देखो पाऊ
लिखने बैठी उसे जो खत मैं बार बार वो फाड़ू 
समझ ना दिल की बातें कैसे उसे मैं समझाऊं
जो खत में मैं लिख ना पाई उसने वो लिख डाला.....!
पढ़ कर खत मैंने उनका, देखो अपना दिल भर डाला 
शुरू हुई फिर देखो, दिल की दिल से सारारत।

©Divyanshi singh ruhiva सांझ का समय था सफर भी सुहाना था
देखो आज दो अजनबी मिले रहे थे
कुछ- कुछ सरमाए हुए थे, यूंही दो दिल मिल रहे थे
धड़कने बढ़ रही थी ओथ जैसे मानो फेबिगम से चिपके हुए थे 
धीरे से फिर उनकी नजरें नज़रों से टकराई
दिल की बातें फिर भी देखो ओथो तक ना आयी
मुलाक़ात की देखो बेला खत्म होने को आई
दिल में रह गई जो बात मैंने कह भी ना उनसे पाई

सांझ का समय था सफर भी सुहाना था देखो आज दो अजनबी मिले रहे थे कुछ- कुछ सरमाए हुए थे, यूंही दो दिल मिल रहे थे धड़कने बढ़ रही थी ओथ जैसे मानो फेबिगम से चिपके हुए थे धीरे से फिर उनकी नजरें नज़रों से टकराई दिल की बातें फिर भी देखो ओथो तक ना आयी मुलाक़ात की देखो बेला खत्म होने को आई दिल में रह गई जो बात मैंने कह भी ना उनसे पाई #Love #LoveStory #Isqh #Muh_par_raunak

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