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abhishekmishra7021
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Abhishek Mishra

कभी-कभी कवि कभी-कभी आशावादी

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Abhishek Mishra

माँ तुम से ही है संसार 
माँ तुम से ही है पूरा परिवार
माँ तुम से ही है विश्वास
माँ तुम से ही है जीवन मैं आस
माँ तुम से ही है शरीर की काया 
माँ तुम से ही है जीवन मैं छाया
माँ तुम से ही है निस्वार्थ की परिभाषा
माँ तुम से ही है  सीखी है सारी भाषा 
माँ तुम ही हो जीवन का पहला शब्द
माँ तुम ही हो आखरी ऐसी मैं फरियाद करू।।

©Abhishek Mishra मां
#MothersDay2021

मां #MothersDay2021

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Abhishek Mishra

याद तो उनकी आएगी पर उन्हे बताएं कैसे।।
 
उनकी राहों को मंजिल पर जाने से रोके कैसे।।
मन तो जरूर हो रहा उदास अपने आप को समझाएं कैसे ।।
पर ये यादें तो होती है अमर इस सच को झुठलाएं कैसे।।

©Abhishek Mishra उनकी याद 

#PoetInYou

उनकी याद #PoetInYou

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Abhishek Mishra

कुछ ख़ामोशी सी पसरी है, इन हवाओं में  
फैला चारो ओर घोर सन्नाटा है ।।

कुछ ना-उम्मीदी सी पसरी है, इन फिज़ाओं में
लगता है जैसे कुदरत को हमने बोहत रुलाया है।।


                           -✍️ अभिषेक मिश्रा खामोशी।।

खामोशी।।

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Abhishek Mishra

मैं वहाँ तक पहुँचना चाहा,जहाँ कोई राह नहीं है।
मैं वहाँ तक समझना चाहा,जहाँ कोई सवांद नहीं है।
मैं वहाँ तक लड़ना चाहा,जहाँ कोई आश नहीं है।
मैं वहाँ तक ठहरना चाहा,जहाँ कोई संसार नहीं है।

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Abhishek Mishra

तुझ पे जो चढ़ा ये जो झूठा गुरुर है,ये तेरी बेतुकी दिमाग का फितूर है।।
ना कम आंक किसी को अपने आप से , सब को नवाजा खुदा ने बहुत खूब है।
अपनी परेशानियों का ठीकरा किसी और पे ना फोड़,
ये तेरे ही कर्मो के फलस्वरूप है। #कविता
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Abhishek Mishra

माना मैंने उड़ना नही है आसान पर ,एक बार पंख फैला कर तो देखो।
माना मैंने कठिन है चढ़ाई पर ,एक बार पैर उठा कर तो देखो।
माना मैंने जीवन है मुश्किलो से भरा सफर पर, एक बार जी कर तो देखो।
माना मैंने समुद्र है अत्यन्त गहरा पर, एक बार छलाँग कर तो देखो। # एक बार

# एक बार

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Abhishek Mishra

ख़ुशी है तेरे अंदर तो क्यों ढूंढे तू किसी और मे।।
अच्छी सोच है तेरे अंदर तो क्यों नकल करे किसी और के।।
कठिन फैसले की शक्ति है तेरे अंदर तो  क्यों पूछे किसी और से।।
ज़िन्दगी जब है सब की अपनी अपनी तो क्यों अपनाये किसी और के।
जी ले ज़िन्दगी अपने बलबूते पे ,हार भी होगी जीत भी होगी पर गर्व होगा तुझे अपने होने पे।। # सोच

# सोच

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Abhishek Mishra

ना अब उसके अन्दर वो वाला सुकून था,ना अब उसके पीछे वो वाला हुजूम था।।
वो टाल तो रहा था,पर वो अब भी सच से दूर-दूर तक महरूम था।।
मैंने जब कुंदेरा उसके रूह को तो पता चला ,वो कर रहा था अपने आप पे जुलुम था।।
मैंने सोचा क्यों ना जगाया जाय इसे,जो भूल चुका था उसे जो उसका जूनून था।। #आत्ममंथन
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Abhishek Mishra

अहाँ के विचार मे बहुत तरहक सचार अईछ।
तै हमहुं कि बाजु ई बातक विस्तार अईछ।
मुदा विचार स अन्हार रहिनाई इहो दुखद समाचार अईछ।
तै उचित बात रखनाई इहो एक तरहक सदाचार अईछ। विचार

विचार

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Abhishek Mishra

{ऐसालगता है मुझे}
ऐसा लगता है इन सुगबुगाहाटों के पीछे दबी हूई ,कोई सच्ची आवाज़ हो जैसे।।                                   ऐसा लगता है इन परेशानियों के
 पीछे छिपी हुई ,कोई उम्मीद हो जैसे।।
 ऐसा लगता है इन सवालो के पीछे छिपा हुआ,कोई जवाब हो जैसे।।
 ऐसा लगता है इन धुँधली प्रकाश मे छिपी हुई , कोई साफ़ किरण हो जैसे।।
 ऐसा लगता है इन निराशाओं के पीछे छिपी हुई हो, कोई आशा हो जैसे।।
 ऐसा लगता है इन अंधकारमय रात के पीछे छिपी हुई हो, कोई प्रकाशमय सुबह हो जैसे।।
 ऐसा लगता है इन तेज भागते हुए शहर के पीछे छिपा हुआ हो,  कोई शान्त गांव हो जैसे।।
 ऐसा लगता है इन मूसलाधर बारिश के पीछे छिपि हुई ,एक
 शान्त ओस की बूंद हो जैसे।।
ऐसा लगता है मुझे।। # ऐसा लगता है मुझे ।।

# ऐसा लगता है मुझे ।।

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