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saraskumarpoetry6050
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SARAS KUMAR poetry

I'm poet. I'm from tikamgarh madhyapradesh. My YouTube channel -Saras Kumar official

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SARAS KUMAR poetry

#lovebeat
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SARAS KUMAR poetry

हमारी दास्ताँ किससे छुपी हैं 

पसीना माथे पे है 
लहू एड़ियों से बहता 
नंगा सिर हमारा 
सूर्य का ताप सहता 
गरीबी से नहीं डरते 
हम तो अमीरी से दुखी है 
हमारी दास्ताँ किससे छुपी हैं 

रोटियाँ सुखी हुई खायी 
पेट आधा सा भरा है 
हम इमारत को बनाते 
सामान मेरा रोड पे धरा है 
कौन सुनता हैं ओठों की चुप्पी हैं 
हमारी दास्ताँ किससे छुपी हैं #labour #Labourday #श्रमिक #मजदूर
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SARAS KUMAR poetry

आँखों के आँसू न सूखे फिर से आँखें भर आई, 

हाय खुदा ने किरदार भी चुन- चुन  के उठाए है। #rishikapoor #RIP #riprishikapoor #deathrishikapoor
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SARAS KUMAR poetry

श्रद्धांजलि 

कितनी  आँखों  में  तस्वीर   छोड़  गए 
खुदा करे आंसू संग तस्वीर न बह जाए 
मेरे ओठों पे  कितने  कथन  छोड़  गए 
खुदा करे हर  वक्त ओठों  पे  रह  जाए #irrfankhan #RIP #Death
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SARAS KUMAR poetry

World earth day - 
Poetry -
आपके चैनल के लिए - 

हे मानव अब और नहीं 
क्या मेरा कोई सिरमौर नहीं 

पर्वत काटे नदिया बाटी 
समतल कर दी घाटी -घाटी 
वृक्षों में अब पतझर आया 
धूमिल हो गई सारी माटी 
प्रदुषण ने अब जहर उगला, 
जिसका कोई ओर छोर नहीं 
हे मानव अब और नहीं। 

मैं जीवन हूँ प्राणदायनी 
पंचतत्व की मे हूँ स्वामिनी 
क्यों भूले के सब तेरा है 
हे कलयुगी रावण अभिमानी 
निर्मल, स्वच्छ, शाकाहारी रहो,
तुम नहीं जानवर ढोर नहीं 
हे मानव अब और नहीं। 

प्लास्टिक, पाॅलिथिन त्यागों 
हे विश्व मानव तुम जागो 
शपथ ग्रहण करो आज ही 
पृथ्वी को अभी बचालो
मैं निर्दयी हुई तो सुनलो, 
फिर तो किसी का ठौर नहीं, 
हे मानव अब और नहीं। 


  -सरस कुमार #EARTHGIF #EARTHDAY #Worldearthday
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SARAS KUMAR poetry

ऐ गमछा तो बुन्देलखंड में सदियों से 
प्रसिद्ध है 
हमारे दादा परदादा 12 हाथ का गमछा से 
सिर बाध ते थे 
भाई साहब हमारे यहाँ 
गमछा को हमेशा सिर में बाँधते है 
मौका आने पर 
ओढ़ते और बिछाते हैं 
इसे हमेशा गले में डालकर चलते है 
बाहर जाने पर पिता जी कहते है 
अरे बेटा - 
सुआपी से मौह तो बाँद ले (बुन्देली लोकभाषा )
और बेटा कहता हैं - 
हऔ दद्दा ( हाँ पिता जी )

हम इस बात की घमंड में है 
कि हमारा घर बुन्देलखंड में है। 

कवि - सरस कुमार #गमछा
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SARAS KUMAR poetry

#onlinepoetry 
#onlinepoem 
#lockdown
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SARAS KUMAR poetry

#lockdown #stayhome 
sangharsh chhida zivan main 
Kavi - saras Kumar

#lockdown #stayhome sangharsh chhida zivan main Kavi - saras Kumar #कविता #nojotovideo

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SARAS KUMAR poetry

सुबह भी शाम भी दोपहर भी तेरा नाम चले 
ऐ इश्क़ है इश्क़ में हर पहर ही मेरा जाम चले 
लोट आ जाने वाले तुझे कसम है प्यार की 
तेरे बिन पते पर भी मेरे पते का पैगाम चले #shayrisad #love #romantic
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SARAS KUMAR poetry

उन्मुक्त गगन कहता है 
सहमी सहमी गलियाँ लगती है 
कैद हुए इंसान बैठे हैं 
सहसा थाली तालियाँ बजती हैं 

छोटी सी दुनिया लगती है जैसे अपना ही घर हो 
न नाते रिस्ते कुटुम्ब कबीले केवल हम भर हो 
चारो ओर सन्नाटा पसरा 
भय से सब बस्ती सजती हैं 

कैसा प्रलय आया है ऐसा सुना नहीं न देखा  
बचाव है संजीवनी बूटी खींच लो लक्ष्मन रेखा 
प्रकृति का भूचाल अनोखा 
सारी सृष्टि मनु पर हँसती हैं 

दाने -दाने को रोते है और खाने पीने को रोते है 
बच्चे नहीं जानते दूरी माँ के सीने को रोते है 
मैं रोता गिरे आँसू धारा 
भू के घाव को भरती है #stay_home_stay_safe  saraskumar
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